शिवांगी की प्रतिभा को सलाम

लक्ष्य 2024 ओलम्पिक

श्रीप्रकाश शुक्ला

कोटा। राजस्थान में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, यदि प्रतिभाओं को उचित परवरिश, अधिक से अधिक खेल के अवसर और सुविधाएं मिलें तो यहां के खिलाड़ी भी राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश व देश का नाम रोशन कर सकते हैं। कोटा जहां देश भर की युवा पीढ़ी अपना करियर संवारने के लिए अध्ययन-अध्यापन को जाती है वहां ऐसी खेल प्रतिभाएं भी हैं जोकि अपने कौशल को निखार कर मादरेवतन का मान बढ़ाने को छटपटा रही हैं। उदीयमान गोलाफेंक खिलाड़ी शिवांगी सेठी भी उन्हीं में से एक है। शिवांगी के पिछले दो साल के प्रदर्शन पर गौर करें तो इस बेटी ने राज्यस्तर पर अपनी प्रतिभा की धूम मचा रखी है। इस बेटी का लक्ष्य 2024 ओलम्पिक है। शिवांगी जूनियर और सीनियर राज्य स्तर पर दर्जनों पदक जीत चुकी है।

राजस्थान में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं हैं। यहां की प्रतिभाओं में खेलों को लेकर दिलचस्पी भी है लेकिन अधिकांश प्रतिभाएं शासकीय उदासीनता और एसोसिएशनों की भर्राशाही से त्रस्त हैं। यदि इन प्रतिभाओं पर जरा भी ध्यान दे दिया जाए तो ये राजस्थान की धरा से उठकर फलक पर पहुंच सकती हैं। गोलाफेंक खिलाड़ी शिवांगी सेठी लगातार अपने शानदार प्रदर्शन से न केवल स्वर्णिम सफलता हासिल कर रही है बल्कि राजस्थान को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित करने को दिन-रात पसीना भी बहा रही है। हमारे मुल्क में खिलाड़ी तैयार करने का कोई माकूल सिस्टम नहीं है। जो भी खिलाड़ी खेल क्षितिज पर अपनी प्रतिभा की हनक दिखा रहे हैं, उसके पीछे उनके माता-पिता का अप्रतिम योगदान है।

शिवांगी भी अपने पिता रोहित सेठी के लगातार प्रोत्साहन से ही आगे बढ़ रही है। स्कूल नेशनल की रजत पदकधारी शिवांगी एथलेटिक्स में देश का मान बढ़ाने का न केवल सपना देख रही है बल्कि इसके लिए कई घण्टे की मशक्कत भी कर रही है। रांची में आज 10 अक्टूबर से शुरू हो रही सीनियर एथलेटिक्स में शिवांगी का शिरकत न करना चौंकाने वाली बात है। यह ऐसा मंच था जहां उसे मेडल भले ही नहीं मिलता लेकिन वह अपने आपका आकलन जरूर कर सकती थी।

खैर, अपनी धुन की पक्की शिवांगी को रांची न जाने का मलाल तो है लेकिन वह निराश होने की बजाय अपने खेल को निखारने में जुट गई है। राजस्थान में खेलों के समुन्नत विकास के कागजी घोड़े बेशक दौड़ते हों लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी होता नहीं दिख रहा। जिम्मेदार अफसर गाहे-बगाहे खेल प्रतिभाओं को निखारने के नाम पर स्वांग करते तो दिखते हैं लेकिन उसका लाभ खिलाड़ियों को नहीं मिल पाता। कोटा के खेलप्रेमियों का कहना है कि यदि जिले के जिम्मेदार अधिकारी खिलाड़ियों का जरा भी सहयोग कर दें तो यहां से तमाम अच्छे खिलाड़ी निकल सकते हैं।

शिवांगी की खेलों में शानदार उपलब्धियों को देखते हुए राज्यस्तर पर उसका दर्जनों बार सम्मान किया जा चुका है। शिवांगी ने जूनियर स्तर पर राजस्थान स्टेट एथलेटिक्स में 2014 और 2015 में स्वर्ण पदक, 2016 तथा 2017 में रजत पदक, 2018 में स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही इस साल राष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रदेश के लिए कांस्य पदक जीता है। शिवांगी ने 2018 में सीनियर स्टेट में रजत तथा 2019 सीनियर स्टेट में स्वर्ण पदक जीते हैं। इतना ही नहीं शिवांगी ने 2016 में एसजीएफआई के जूनियर नेशनल में जोकि कोझिकोड केरला में हुआ था, उसमें रजत पदक जीता था। शिवांगी महिला गोलाफेंक में देश की चुनिंदा खिलाड़ियों में शुमार होने के बावजूद अनदेखी का शिकार है। खेलों को समर्पित इस बेटी में बला की ताकत तथा जुनून है, लोग लाख इसकी प्रतिभा को आज न सराह रहे हों लेकिन कल इस बेटी का गुणगान राजस्थान ही नहीं समूचा राष्ट्र करेगा, ऐसा मेरा मानना है।

रिलेटेड पोस्ट्स