खेलों से पूरी तरह मुंह मोड़ चुकी है दिल्ली सरकार : कुलदीप वत्स

नई दिल्ली। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच्चों और युवाओं के समग्र विकास के लिए पूरे देश में खेल संस्कृति के विकास पर जोर दे रहे हैं वहीं दिल्ली सरकार खेलों से पूरी तरह मुंह मोड़ चुकी है। दिल्ली ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष कुलदीप वत्स ने दिल्ली सरकार पर ये गम्भीर आरोप लगाए हैं।

वत्स ने कहा कि दिल्ली सरकार ने राज्य के खेल संघों तथा दिल्ली ओलम्पिक संघ को दी जाने वाली आर्थिक सहायता रोक दी है, जिससे कि यहां राज्यस्तरीय चैम्पियनशिप का आयोजन नहीं हो पा रहा है और इससे सीधा नुकसान उन प्रतिभाशाली बच्चों को हो रहा है जो खेलों के माध्यम से अपने परिवार और देश का नाम रोशन करना चाहते हैं।

वत्स ने दिल्ली ओलम्पिक गेम्स-2019 के आयोजन की घोषणा की। इसका आयोजन 10 से 20 अक्टूबर के बीच होगा और इसमें 15 हजार बच्चे हिस्सा लेंगे। ये बच्चे 40 से अधिक खेलों में अपनी महारथ दिखाएंगे। वत्स ने कहा, इस साल हमें दिल्ली सरकार से कोई सहयोग का समर्थन नहीं मिला है। 2015 में जब दिल्ली ओलम्पिक गेम्स हुए थे, तब सरकार ने बच्चों के लिए 90 लाख रुपये नगद पुरस्कार के तौर पर दिए थे। उस साल दिल्ली ओलम्पिक गेम्स के लिए सरकार का पूरा सहयोग था और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समापन समारोह में शरीक हुए थे।

वत्स ने कहा, इसके अलावा दिल्ली सरकार ने खिलाड़ियों को 75 लाख रुपये कीमत की किट दी थी। इस तरह सरकार ने बीते दिल्ली ओलम्पिक गेम्स के लिए एक करोड़ 65 लाख रुपये का योगदान दिया था लेकिन इस साल दिल्ली सरकार कोई भी समर्थन या सहयोग के लिए तैयार नहीं। 2016 और 2017 में इन खेलों का आयोजन नहीं हो सका था क्योंकि सरकार ने खेलों से मुंह मोड़ लिया है। हमने इस साल दिल्ली ओलम्पिक गेम्स का आयोजन करने का फैसला किया है और यह हम सिर्फ और सिर्फ अपने बूते कर रहे हैं।

वत्स ने कहा कि इसके अलावा दिल्ली में खेल विश्वविद्यालय बनाने का भी मुद्दा दिल्ली ओलम्पिक संघ ने सरकार के सामने रखा था लेकिन सरकार ने इसे लेकर भी कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया। वत्स ने कहा, दिल्ली ओलम्पिक संघ ने बीते कई सालों में राज्य में खेल विश्वविद्यालय बनाने की मांग की है, लेकिन सरकार ने हमारी एक नहीं सुनी और चुप्पी साधे रखी। इसके अलावा हमने अपने लिए एक दफ्तर की मांग की थी लेकिन सरकार ने अब तक यह मांग भी नहीं मानी है।

वत्स ने कहा कि दिल्ली में किसी भी खेल से जुड़ी कोई राज्य चैम्पियनशिप नहीं होती। इससे खिलाड़ियों का नुकसान हो रहा है। इसका कारण यह है कि दिल्ली खेल संघों के पास पैसा नहीं है। वत्स ने कहा, अगर दिल्ली में कोई राज्य स्तरीय चैम्पियनशिप होगी ही नहीं तो उन खेलों से जुड़े खिलाड़ी राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में नहीं खेल पाएंगे। अब अगर वे राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में ही नहीं खेल पाएंगे तो उनके आगे के लिए चुने जाने का सवाल ही नहीं उठता।

वत्स बोले, बीते सालों में सरकार ने राज्य खेल संघों को आर्थिक मदद मुहैया कराई है लेकिन अब यह सिलसिला बिल्कुल रुक गया है। आज दिल्ली के खेल संघ अपने बूते अपना खर्चा चला रहे हैं। इनके अधिकारी अपनी जेब से पैसे लगाते हैं और तब जाकर कुछ हद तक यहां खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन हो पाता है लेकिन यह ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकेगा। किसी भी राज्य में खेलों के विकास के लिए सरकार की भागीदारी अनिवार्य है लेकिन दिल्ली सरकार खेलों से पूरी तरह मुंह मोड़ चुकी है।

वत्स ने कहा कि आर्थिक तंगी के बावजूद दिल्ली ओलम्पिक संघ ने दिल्ली ओलम्पिक गेम्स-2018 का आयोजन राजधानी के बड़े आयोजन स्थलों में कराने का फैसला किया है, जबकि इन स्टेडियों की एक दिन की फीस लाखों में है। जिन स्टेडियमों में दिल्ली ओलम्पिक गेम्स-2018 के मुकाबले होंगे उनमें छत्रसाल स्टेडियम, बवाना स्थित राजीव गांधी स्टेडियम, त्यागराज स्टेडियम, इंदिरा गांधी स्टेडियम कॉम्पलेक्स, नेशनल स्टेडियम प्रमुख हैं।

वत्स बोले, मैं बीते कुछ महीनों में कई बार मुख्यमंत्री जी से मिल चुका हूं लेकिन हमें अब तक कोई समर्थन या सहयोग का वादा नहीं मिला है। इसके बावजूद हम मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को उद्घाटन तथा समापन समारोह में शरीक होने के लिए आमंत्रित करेंगे।

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