साहसी खेल समन्वयक नैंसी बेटी को सलाम

जिला खेल अधिकारी राजेश मनोध्या को चार साल की सजा

श्रीप्रकाश शुक्ला

जबलपुर। रिश्वतखोरों भगवान के घर देर है लेकिन अंधेर कतई नहीं। कहने को सभी कहते हैं कि सरकारी सिस्टम में पारदर्शिता होनी चाहिए, खेलों में रामराज्य आना चाहिए लेकिन बिल्ली के गले में घण्टी बांधने को कोई आगे नहीं आता। खेलपथ खेल समन्वयक साहसी नैंसी बिटिया के साहस को सलाम करता है जिसके प्रयासों से जबलपुर का भ्रष्ट और रिश्वतखोर खेल अधिकारी राजेश मनोध्या सींखचों में पहुंचा। देखा जाए तो खेलों में भ्रष्टाचार की गंगोत्री अकेले जबलपुर में ही नहीं बह रही बल्कि इसके प्रवाह में मध्य प्रदेश का प्रत्येक जिला शामिल है। नैंसी की जितनी तारीफ की जाए कम है।

बताया जाता है कि खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा पिछले साल 30 अगस्त, 2018 को पिपरिया कलां शहपुरा ब्लाक, जिला जबलपुर में मुख्यमंत्री कप खेल प्रतियोगिता आयोजित की गई थी, इस खेल-कूद प्रतियोगिता के खान-पान व सामग्री वितरण की व्यवस्था नैंसी जैन, ग्रामीण युवा समन्वयक शहपुरा ब्लाक से कराई गई थी। प्रतियोगिता के बाद बिल पास कराने को लेकर लगातार खेल अधिकारी राजेश मनोध्या से सम्पर्क किया जाता रहा लेकिन वह बिल पास नहीं कर रहा था,  बाद में जब खुलकर चर्चा की गई, तो उसने कहा कि उसे 10 हजार रुपए दीजिए, तभी बिल पास करेंगे।

तब परेशान नैंसी जैन ने खेल अधिकारी द्वारा रिश्वत मांगने की शिकायत लोकायुक्त एसपी जबलपुर से की थी। साहसी नैंसी की शिकायत पर 17 अक्टूबर, 2018 की सुबह लोकायुक्त के डीएसपी दिलीप झरवड़े, निरीक्षक स्वप्निल दास, निरीक्षक मंजू तिर्की और आरक्षक अतुल सिंह व राकेश विश्वकर्मा की टीम ने खेल अधिकारी राजेश मनोध्या को उनके रानीताल खेल परिसर स्थित कार्यालय से 10  हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों धर दबोचा था और उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई।

11 महीने की कानूनी पेंचीदगियों के बाद मंगलवार 17 सितम्बर, 2019 को जांच के सभी बिन्दुओं पर गौर करते हुए लोकायुक्त की विशेष अदालत ने जबलपुर के पूर्व जिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी राजेश मनोध्या को रिश्वत लेने के आरोप में दोषी पाकर चार साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने आरोपी पर रुपये पांच हजार का जुर्माना भी लगाया है। विशेष लोक अभियोजक प्रशांत शुक्ला के अनुसार राइट टाउन निवासी नैंसी जैन के साहसी प्रयासों से ही रिश्वतखोर खेल अधिकारी को सजा मिल सकी।

अमूमन हर जिले में पल-बढ़ रहे हैं मगमच्छ

मध्य प्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग में एक-दो नहीं बल्कि अमूमन हर जिले में मगरमच्छ पल-बढ़ रहे हैं। आयोजन छोटा हो या बड़ा भ्रष्टाचार की त्रिवेणी में डुबकी जरूर लगाई जाती है। यहां खेलों पर खेल करने का रिवाज है। इतना ही नहीं सामान खरीदी से लेकर संविदा कर्मचारियों की नियुक्तियों तक में जमकर रिश्वतखोरी हुई है।

 

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