बिहार में शारीरिक शिक्षा और शिक्षकों को बेपटरी करने की कोशिश

पाठ्य चर्चा में शारीरिक शिक्षा को उचित स्थान नहीं मिला
खेलपथ संवाद
पटना। बिहार की पाठ्य चर्चा में शारीरिक शिक्षा को उचित स्थान न देकर नीतीश सरकार न केवल गलत कर रही है बल्कि इससे अंशकालिक शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य अनुदेशक बेरोजगार हो जाएंगे। बिहार सरकार इस मामले में यदि समय रहते नहीं चेती तो शारीरिक शिक्षा को बेपटरी होने से कोई नहीं बचा पाएगा। शारीरिक शिक्षा को केवल व्यायाम या खेल के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि इसे समग्र शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाना चाहिए।
शारीरिक शिक्षा छात्र-छात्राओं के शारीरिक और मानसकि विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बिहार में इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सरकार को चाहिए कि वह शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा देने के कदम उठाए और शिक्षकों को उचित मानदेय तथा अन्य सुविधाएं प्रदान करे।
शारीरिक शिक्षा छात्र-छात्राओं को शारीरिक रूप से सक्रिय रहने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। शारीरिक गतिविधि से तनाव कम होता है, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार होता है और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। टीम वर्क और सहयोग छात्र-छात्राओं को सामाजिक कौशल विकसित करने में मदद करता है।
बिहार में शारीरिक शिक्षकों की कई समस्याएं हैं। शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों को कम मानदेय दिया जाता है, जिससे वे अपनी सेवाएं देने के लिए प्रेरित नहीं होते हैं। शैक्षणिक संस्थानों में अवसंरचना की कमी है वहीं स्कूलों में खेल के मैदान, उपकरण और सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, जिससे छात्र-छात्राओं को शारीरिक शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
बिहार में पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित शारीरिक शिक्षक ही नहीं हैं। इतना ही नहीं पाठ्य चर्चा में शारीरिक शिक्षा को महत्व नहीं दिया जाता है तथा छात्र-छात्राओं को इसे गंभीरता से लेने के लिए प्रेरित भी नहीं किया जाता। देखा जाए तो बिहार के मध्य विद्यालयों में छह हजार से अधिक पद रिक्त हैं।
अब सवाल उठता है कि बिहार को शारीरिक शिक्षा को पटरी पर कैसे लाया जाए। इसके लिए शारीरिक शिक्षकों को उचित मानदेय और सुविधाएं दी जानी चाहिए। शैक्षणिक संस्थानों में खेल के मैदान, उपकरण और सुविधाएं विकसित की जानी चाहिए। स्कूलों में पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित शारीरिक शिक्षा शिक्षक नियुक्त किए जाने चाहिए। पाठ्य चर्चा में शारीरिक शिक्षा को महत्व दिया जाना चाहिए और इसे सभी कक्षाओं में शामिल किया जाना चाहिए। शारीरिक शिक्षा को समग्र शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाना चाहिए और इसे केवल व्यायाम या खेल के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।