आश्वासन दे शिक्षा मित्रों को गुमराह कर रही सरकारः अनिल यादव

नई नियमावली बनाकर शिक्षा मित्रों को स्थायी करने की मांग

खेलपथ संवाद

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा को मजबूती देते प्राथमिक विद्यालयों में कार्य कर रहे लगभग 1.48 लाख शिक्षामित्रों को सरकार लगातार आश्वासन का झुनझुना थमा रही है। शिक्षा मित्र उपेक्षा से दुखी हैं, वे लगातार सरकार और शिक्षा विभाग से मानदेय बढ़ाने तथा स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं लेकिन शिक्षा विभाग के मंत्री-संत्री अनसुना कर रहे हैं।

अब उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने सरकार से अपील की है कि नई नियमावली बनाकर शिक्षामित्रों को स्थायी किया जाए, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि शिक्षामित्रों के हितों की रक्षा के लिए अब तक कई कमेटियाँ बनीं और अनेक बैठकें हुईं, लेकिन आज तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है।

25 जुलाई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त कर दिया गया था, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति गंभीर रूप से प्रभावित हुई। उस समय से लेकर अब तक उनके मानदेय में कोई वृद्धि नहीं हुई है। वर्तमान में शिक्षामित्रों को महज 10 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है, जो बढ़ती महंगाई के दौर में पर्याप्त नहीं है। इस स्थिति ने लाखों शिक्षामित्रों और उनके परिवारों को आर्थिक संकट में डाल दिया है।

शिक्षामित्र लम्बे समय से स्थायी नियुक्ति की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें सरकारी शिक्षकों की तरह वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाएँ मिल सकें। शिक्षक संघ का आरोप है कि सरकार केवल आश्वासन दे रही है और गुमराह कर रही है। कई बार कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। शिक्षा मित्रों का कहना है कि उन्होंने वर्षों तक शिक्षा व्यवस्था को मजबूती दी है, लेकिन अब वे अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं। सरकार ने कुछ राहत योजनाएँ चलाईं, लेकिन वे स्थायी समाधान नहीं दे सकीं।

शिक्षा मित्रों की स्थिति सुधारने के लिए नई नियमावली बनाकर शिक्षामित्रों को स्थायी करने के लिए सरकार को कानूनी ढांचा तैयार करना होगा तथा जब तक स्थायी समाधान नहीं निकलता, शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि आवश्यक है।

उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि शिक्षा मित्रों की स्थिति पर मानवीय दृष्टि से कोई ठोस  निर्णय लें। यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो शिक्षामित्र आंदोलन को और तेज कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि वह शिक्षामित्रों की सेवाओं का सम्मान करते हुए उन्हें स्थायी करने की दिशा में सार्थक कदम उठाए।

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