पर्वतारोही प्रिया की राह का रोड़ा बनी आर्थिक तंगहाली

सोनभद्र की बेटी का सपना माउण्ट एवरेस्ट फतह करना

खेलपथ संवाद

नई दिल्ली। प्रतिभा, हिम्मत और शिखर छू लेने का जुनून रखने वाली उत्तर प्रदेश के सोनभद्र निवासी प्रिया कुमारी आर्थिक तंगहाली के चलते माउण्ट एवरेस्ट फतह करने का अपना साकार नहीं कर पा रही है। यह उदीयमान पर्वतारोही फिलवक्त दिल्ली में रहकर उन लोगों से मिल रही है, जिनसे उसे आर्थिक प्रोत्साहन की उम्मीद है। खेलों की ढींगे हाकने वालों ने अब तक उसे बिना एक पाई दिए सिर्फ आश्वासन का ही झुनझुना थमाया है।

प्रिया कुमारी सोनभद्र की जानी-मानी पर्वतारोही तथा साइकिलिस्ट हैं। प्रिया सोनभद्र जिले के पिछड़े इलाके में से चोपन गांव की रहने वाली हैं। प्रिया का सपना है कि वह एक दिन माउंट एवरेस्ट पर भारत का तिरंगा लहराते हुए अपने जिले और प्रदेश का नाम रोशन करें। इस फौलादी बेटी को 2016 में पर्वतारोहण में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए  उत्तर प्रदेश सरकार से रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार भी मिल चुका है लेकिन उसके बाद उसकी किसी ने सुध नहीं ली। आर्थिक तंगहाल प्रिया के साथ जो हो रहा है उससे निराश जरूर है लेकिन वह हिम्मत कतई नहीं हारी है।

आर्थिक तंगहाली प्रिया के सपनों की उड़ान पर ब्रेक जरूर लगा रही है लेकिन उसे उम्मीद है कि एक दिन वह अपना सपना जरूर साकार करेगी। रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से सम्मानित प्रिया कुमारी का हर दिन बेटियों की पढ़ाई तथा स्वच्छता अभियान पर लोगों को जागरूक करने में बीतता है। पर्वतारोहण और साइकिलिंग में अब तक कई बेजोड़ सफलताएं अपने नाम कर चुकी इस बेटी के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं जिनका समाधान वह स्वयं कर रही है। वह इसके लिए किसी को दोषी नहीं मानती।

सच कहें तो उत्तर प्रदेश और देश में खेलों का यदि सिस्टम सही होता तो प्रिया जैसी बेटियों को अपने सपने साकार करने के लिए दर-दर भटकते हुए जन-जन से पैसे की याचना नहीं करनी पड़ती। प्रिया माउंट एवरेस्ट फतह करने के साथ ही चाहती हैं कि अपने जिले में महिलाओं और गरीब बच्चों के लिए एक संस्थान खोलें। इस संस्थान से गरीब महिलाओं और बच्चियों की मदद हो, उनके सपने पूरे किए जा सकें। संस्थान में सुविधाएं उपलब्ध हों ताकि सोनभद्र का कोई और पर्वतारोही प्रिया कुमारी न बने जिसके सपनों के बीच आर्थिक तंगी आड़े आए।

प्रिया कुमारी की उपलब्धियां

1-रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार 2016 (उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित)

2 - अग्रणी पर्वतारोही: उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की पहली पर्वतारोही

3- साइकिलिंग में उपलब्धि: 8 राज्यों, 53 जिलों, 4000 किलोमीटर और 3 अलग-अलग देशों से यात्रा करते हुए उत्तर पूर्व क्षेत्र को कवर करने वाले पहले साइकिल चालक।

4- पर्वतारोहण उपलब्धियाँ: 2023 में 6,000 मीटर से अधिक ऊंची तीन चोटियों पर चढ़ाई की।

5- हिमालय के दूसरे सबसे बड़े ग्लेशियर "बारा शिगरी" पर सफलतापूर्वक चढ़ाई हिमनद।

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