विनेश के लिए आसान नहीं जुलाना की जीत

19 साल से यह सीट कांग्रेस के हाथ नहीं आई
खेलपथ संवाद
जींद।
पहलवानी से राजनीति में कदम रखने वाली विनेश फोगाट के लिए जुलाना सीट कांग्रेस की झोली में डालना बहुत कठिन है। आम आदमी पार्टी ने डब्ल्यूडब्ल्यूई रेसलर कविता दलाल को मैदान में उतार कर उनकी मुश्किलों में और इजाफा कर दिया है। इस सीट पर कांग्रेस का हालिया प्रदर्शन भी बेहद खराब रहा है। तो क्या यह माना जाए कि एक बार फिर विनेश का दिल टूटेगा। 
पेरिस ओलम्पिक 2024 में दिल टूटने के बाद अब भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट ने सियासी अखाड़े में दांव लगाने का फैसला लिया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले विनेश शुक्रवार, 6 सितम्बर को कांग्रेस पार्टी में शामिल हुईं। विनेश फोगाट को जुलाना सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। उन्होंने राजनीति में कदम तो रख दिया है लेकिन उनके लिए यह सफर आसान नहीं होने वाला है।
विनेश फोगाट ने कांग्रेस का दामन थामते ही भाजपा पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि बुरे टाइम पर पता लगता है कि साथ में कौन खड़ा है। जब आंदोलन के समय हमें सड़क पर घसीटा जा रहा था तब भाजपा को छोड़कर देश की हर पार्टी हमारे साथ थी। हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले भले ही विनेश फोगाट हुंकार भर रही हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि जिस जुलाना सीट से उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है, वहां कांग्रेस का बुरा हाल है।
विनेश फोगाट को हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए उनके ससुराल से सीट तो मिल गई है, लेकिन सच तो यही है कि पिछले 19 सालों से उनके ससुराल वाले कांग्रेस को नकार रहे हैं। जी हां, जुलाना सीट से कांग्रेस पिछले 19 सालों से नहीं जीती है। हरियाणा के जुलाना विधानसभा सीट की बात करें तो 1967 में यहां से कांग्रेस के दाल सिंह चुनाव जीते थे। उसके एक साल बाद स्वतंत्रता पार्टी के नारायण सिंह ने उनकी जगह ली। 1970 में बाई इलेक्शन हुआ और दाल सिंह दोबारा जुलाना के विधायक चुने गए। 
1972 में कांग्रेस के ही फतेह सिंह ने जुलाना सीट से जीत हासिल की। 1977 में बड़ा बदलाव हुआ और जनता पार्टी के जिले सिंह ने कांग्रेस को झटका देते हुए जीत दर्ज की। 1982 और 1987 विधानसभा चुनाव में लोकदल के कुलबीर सिंह को जुलाना की जनता ने अपना विधायक चुना। 1991 में जनता पार्टी ने फिर वापसी की और इस बार सूरज भान ने बाजी मारी।
1996 में हरियाणा विकास पार्टी के सत्यनारायण लाठर को जुलाना सीट से जीत मिली। 2000 और 2005 में कांग्रेस एक बार फिर यहां जीतने में कामयाब रही, लेकिन उसके बाद से देश की सबसे पुरानी पार्टी जुलाना में हारती ही रही है। पिछले चुनाव में कांग्रेस को यहां 10 प्रतिशत से भी कम वोट मिले थे। ये आंकड़े विनेश फोगाट को टेंशन में डाल सकती हैं। हालांकि, पेरिस ओलम्पिक में शानदार प्रदर्शन और फिर मेडल जीतने का सपना टूटने के बाद से वो जनता के बीच काफी पॉपुलर हुई हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में इमोशनल कार्ड उनके काम आ सकता है। देखना दिलचस्प होगा कि विनेश फोगाट जुलाना से कांग्रेस की किस्मत को बदल पाती हैं या नहीं।

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