सहदेव यादव के गांव सैड़भर के चार युवा भारोत्तोलक डोपिंग में फंसे

तीन साई सेंटर लखनऊ से भागे, चार साल का प्रतिबंध लगना तय
उत्तर प्रदेश वेटिलिफ्टिंग एसोसिएशन की अध्यक्ष सबीना ने कहा डोपिंग कतई स्वीकार नहीं
खेलपथ संवाद
बागपत।
एक तरफ हमारी हुकूमतें खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए जहां अकूत पैसा खर्च कर रही हैं तो दूसरी तरफ हमारे खिलाड़ी सफलता के लिए शार्टकट रास्ता यानी डोपिंग का सहारा ले रहे हैं। भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के अध्यक्ष सहदेव यादव तथा उत्तर प्रदेश वेटलिफ्टिंग एसोसिएशन की अध्यक्ष सबीना यादव के गांव सैड़भर में लगभग आधा दर्जन युवा वेटलिफ्टरों का डोपिंग में पकड़ा जाना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है। खेलों में बागपत जिले की अलग पहचान है लेकिन इस प्रकरण से जनपद की साख को बट्टा जरूर लगा है। 
हाल ही में गांव सैड़भर के चार युवा भारोत्तोलक डोप टेस्ट में पॉजीटिव पाए गए हैं। लखनऊ के साई सेंटर में खेलो इंडिया के तहत प्रशिक्षण लेने के दौरान करीब दो महीने पहले उनका सैम्पल लिया गया था। उनके शरीर में प्रतिबंधित दवाईयां मिली हैं और इन पर चार साल का प्रतिबंध लगना लगभग तय माना जा रहा है। सैड़भर गांव के रहने वाले भोरोत्तोलक सुहेल, निर्णय यादव, हर्षवर्धन और सनीर राज्यस्तरीय खिलाड़ी हैं। इनका दो साल पहले खेलो इंडिया सेण्टर में चयन हो गया था। ये लखनऊ के साई सेंटर में रहकर प्रशिक्षण ले रहे थे। 
उत्तर प्रदेश वेटलिफ्टिंग एसोसिएशन की अध्यक्ष सबीना यादव के अनुसार दो महीने पहले कई खिलाड़ियों का डोप टेस्ट कराने के लिए सैम्पल लेकर लैब भेजा गया था। इसमें सैड़भर गांव के खिलाड़ी सुहेल, निर्णय यादव, हर्षवर्धन और सनीर डोप टेस्ट में पॉजीटिव पाए गए हैं। नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) ने सभी को सुनवाई के लिए नोटिस भेजा है। इस मामले में चारों खिलाड़ियों पर चार साल का प्रतिबंध लगना तय माना जा रहा है। इन सभी खिलाड़ियों का डोप टेस्ट करने पर शरीर के अंदर एनाबॉलिक स्टेयराइड, ड्रॉस्टेनोलॉन मेटाबॉलाइट, हाईड्रॉक्सी, मिथाइल, एन्ड्रॉस्टेन आदि मिले हैं। यह सभी प्रतिबंधित हैं और इसके बावजूद यह खिलाड़ी इनका सेवन कर रहे थे।
डोप टेस्ट में पॉजीटिव मिलने के बाद सैड़भर गांव के चारों युवा वेटलिफ्टरों को साई सेंटर लखनऊ से निकाल दिया गया तो उनके तीन साथी भी साई सेंटर छोड़कर भाग निकले। सेंटर से भागने वाले तीन एथलीटों का भी डोपिंग टेस्ट हुआ था, लेकिन अभी तक उनकी रिपोर्ट नहीं आने की बात कही जा रही है। लखनऊ के साई सेंटर में बागपत जिले की करीब दस प्रतिभाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही थीं। इनका कुछ महीने पहले डोपिंग टेस्ट कराया गया। इसमें राज्यस्तरीय भोरोत्तोलक सुहेल, निर्णय यादव, हर्षवर्धन और सनीर को डोप टेस्ट में पॉजीटिव पाए जाने पर साई सेंटर लखनऊ से निकाल दिया गया वहीं प्रशिक्षणरत रहे उनके तीन साथी भी डर गए। जो रिपोर्ट आने से पहले ही लखनऊ साई सेंटर छोड़कर भाग गए। उधर डोपिंग टेस्ट में पॉजीटिव मिले दो एथलीट गांव आ गए, जबकि दो दिल्ली चले गए।
कुश्ती, कबड्डी, निशानेबाजी से लेकर अन्य खेलों में अपनी कामयाबी का डंका बजाने वाले बागपत जनपद का दामन भी डोपिंग का दाग लगने से दागदार हो गया। जबकि इससे पहले कई खिलाड़ी प्रशिक्षण और प्रतियोगिता के दौरान डोपिंग टेस्ट पास कर आगे बढ़ चुके हैं और उन्होंने कई पदक भी जीते।
खिलाड़ियों ने दवा लेने की बात स्वीकारी
डोपिंग में पॉजीटिव मिले खिलाड़ियों की जांच यूरिन का सैम्पल लेकर कराई गई थी। एथलीट हर्ष का कहना है कि उसने प्रशिक्षण के दौरान दवा का सेवन किया, लेकिन दवा के प्रतिबंधित होने और उसके असर के बारे में कुछ नहीं पता था। एथलीट सनीर ने बताया कि उसने दवाई ली थी, लेकिन दवा के प्रतिबंधित होने की जानकारी नहीं थी। उधर एथलीट निर्णय यादव और हर्षवर्धन के बारे में उनके परिजनों ने कोई जानकारी नहीं होने की बात कही। इस मामले पर उत्तर प्रदेश वेटलिफ्टिंग एसोसिएशन की अध्यक्ष सबीना यादव का कहना है कि डोपिंग किसी भी स्तर पर हो, स्वीकार नहीं किया जाएगा। डोपिंग से एथलीट ही नहीं बल्कि पूरा समाज दूषित होता है। डोपिंग के खिलाफ अभियान जारी रहेगा, इसके लिए समाज को भी एकजुट होकर युवाओं को समझाना पड़ेगा। अध्यक्ष सबीना यादव जो कुछ भी कह रही हैं वह तो सही है लेकिन उनके ही गांव में डोपिंग का पैठ बनाना तो यही साबित करता है कि उभरते खिलाड़ियों को शार्टकट रास्ता बताने वाला उनका ही कोई आदमी हो सकता है।  

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