राष्ट्रीय खेलों में क्यों नहीं खेली पंजाब हॉकी टीम?

अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को इस मामले में सोचने की जरूरत
खेलपथ संवाद
अहमदाबाद।
राष्ट्रीय खेलों में पंजाब हॉकी टीम का न होना ही हैरानी की बात है। राष्ट्रीय हॉकी में पंजाबी खिलाड़ियों का हमेशा वर्चस्व रहा है। कप्तान मनप्रीत सिंह और उप-कप्तान हरमनप्रीत सिंह सहित टीम के आधे से अधिक खिलाड़ी पंजाब से ही चुने जाते हैं और ये अपने शानदार प्रदर्शन से देश को पदक भी दिला रहे हैं। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों का अपने प्रदेश की टीमों से न खेलना सबसे खराब बात है। 
बात ओलम्पिक की हो या कामनवेल्थ गेम्स, इन खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से देश का नाम रोशन किया है। ओलम्पिक में तो गत वर्ष पंजाबी खिलाड़ियों के दम पर टीम ने लगभग 41 वर्षों से चला आ रहा पदकों का सूखा समाप्त किया था। इस गौरवशाली प्रदर्शन के बीच यह अत्यंत निराशाजनक है कि इतने प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के बावजूद पंजाब की पुरुष हॉकी टीम राष्ट्रीय खेलों के लिए क्वालीफाई करने से चूक गई। 
ऐसा पहली बार है जब पंजाब की पुरुष हॉकी टीम राष्ट्रीय खेलों में नहीं दिखाई दी। यद्यपि महिला टीम ने न केवल क्वालीफाई किया बल्कि फाइनल तक भी पहुंची। जब से नेशनल गेम्स की शुरुआत हुई है, तब से हर बार पंजाब की पुरुष हॉकी टीम ने इन मुकाबलों में भाग लिया है। केवल भाग ही नहीं लिया, बल्कि इस दौरान इस टीम ने अधिकतर बार पहला स्थान प्राप्त करते हुए स्वर्ण पदक भी जीता है। खेलो इंडिया में भी पंजाब की विभिन्न वर्गों की टीमों ने शानदार प्रदर्शन किया है। इसके अतिरिक्त हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) में विभिन्न टीमों की तरफ से खेलने वाले पंजाबी खिलाड़ी भी अपनी-अपनी टीमों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
हॉकी पंजाब की एडहाक कमेटी के सदस्य ओलम्पियन बलविंदर सिंह शम्मी ने बताया कि राष्ट्रीय खेलों में वही टीमें भाग लेती हैं जो सीनियर नेशनल हॉकी चैम्पियनशिप में कम से कम क्वार्टर फाइनल तक पहुंचती हैं। इसी वर्ष मई महीने में मध्य प्रदेश के भोपाल में सीनियर नेशनल हॉकी चैम्पियनशिप का आयोजन हुआ था, जिसमें कुल 27 टीमों ने भाग लिया था। पंजाब की टीम इस चैम्पियनशिप में दसवें स्थान पर रहकर राष्ट्रीय खेलों में क्वालीफाई करने से चूक गई थी।
 

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