45 साल पुराना मैच याद कर भावुक हुए फुटबॉल खिलाड़ी

पेले को छूकर देखना चाहते थे खिलाड़ी, 2-2 से ड्रॉ हुआ था मैच
कोलकाता।
सितम्बर 1977 में ईडेन गार्डेन पर एक ऐतिहासिक फुटबॉल मैच खेला गया था। यह मैच इसलिए ऐतिहासिक है, क्योंकि इसमें फुटबॉल के भगवान कहे जाने वाले फुटबॉलर पेले खेले थे। यह पहला मौका था जब पेले भारत खेलने आए थे। बड़ी बात यह थी कि उस मैच में मोहन बागान ने पेले के कॉस्मॉस क्लब के विजय रथ को 2-2 से ड्रा खेलकर रोका था। उस मैच में मोहन बागान के कोच प्रसिद्ध फुटबॉलर पीके बनर्जी और कप्तान सुब्रतो भट्टाचार्य थे। 24 सितम्बर, 1977 को खेले गए इस मैच को कोलकाता में एक बार फिर याद किया गया। इस मुकाबले को याद कर गुजरे जमाने के फुटबॉलर भावुक हो गए।
हर कोई पेले को देखने के लिए उतावला था
पूर्व फुटबॉलर और तृणमूल कांग्रेस सांसद प्रसून बनर्जी  ने इस मैच से जुड़े पूर्व फुटबॉलरों को एकत्र कर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में सभी दिवंगत खिलाड़ियों को याद किया गया। प्रसून बनर्जी ने बताया कि उस दिन आम फुटबॉल प्रेमियों की छोड़िए खुद मोहन बागान के खिलाड़ी पेले को देखने के लिए उतावले थे। श्याम थापा ने कहा कि हर कोई पेले को देखना चाहता था। मैच शुरू हुआ तो पहले हाफ के शुरुआत के 17वें मिनट में कार्लोस अलबर्टो ने पहला गोल दाग दिया। इसके एक मिनट बाद ही उन्होंने ने पहला गोल कर मैच को 1-1 की बराबरी पर ला दिया। थोड़ी देर बाद मोहन बागन के हबीब ने एक और गोल कर मेजबानों को 2-1 की बढ़त दिला दी। बाद में कॉस्मॉस ने दूसरा गोल कर मुकाबले को 2-2 की बराबरी पर ला दिया।
श्याम थापा याद करते हैं कि लोग तो लोग मैं और हमारे टीम के साथी एक बार पेले को छूकर देखना चाहते थे। सभी उनके पीछे-पीछे भाग रहे थे। 10 नंबर की जर्सी में पेले खेलने मैदान में उतरे थे। 75  हजार से अधिक दर्शक मैदान के अंदर थे और बाहर कितने खड़े थे इसका अंदाजा नहीं है। बस पेले-पेले की ही आवाज आ रही थी। हर कोई दीवाना था। जब हमारे कई खिलाड़ी पेले को छूने की कोशिश कर रहे थे तो हमारे कोच पी.के.बनर्जी ने हमें डांट लगाते हुए कहा था, यह क्या कर रहे हो। अपना खेल खेलो। 
फ्रेंज बेकेनबावर के साथ नहीं खेल पाने का दुख
उस समय के मोहन बागान के टीम के कप्तान सुब्रतो भट्टाचार्य ने कहा, कॉस्मॉस क्लब अमेरिका में फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था। उसमें दुनिया भर के टॉप फुटबॉल खिलाड़ी शामिल थे। यही टीम एशिया के दौरे पर आई थी, जिसमें पेले भी थे। उनकी टीम में एक और जर्मनी के प्रसिद्ध खिलाड़ी फ्रेंज बेकेनबावर जो पेले जितने ही महान खिलाड़ी थे, जापान से इसलिए नाराज होकर वापस लौट गए क्योंकि सभी बस पेले का ही नाम ले रहे थे। उनके साथ नहीं खेल पाने का हमें हमेशा दुख रहेगा।

रिलेटेड पोस्ट्स