खेल ने बदल दी फातिमा की जिन्दगी

हादसे से भी नहीं हारी मेरठ की बेटी
शरीर में आए थे 194 टांके
खेलपथ संवाद
मेरठ।
सड़क दुर्घटना ने दिव्यांग बनाया तो मेरठ की फातिमा खातून हौसलों के दम पर खेलों में अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बना चुकी हैं। किठौर के राधना गांव की फातिमा खातून (29) एक सड़क हादसे के बाद छह महीने कोमा में रहीं। होश आया तो खुद को ह्वीलचेयर पर पाया। इसके बाद भी उन्होंने हौसला नहीं टूटने दिया। नए सिरे से जिंदगी की शुरूआत की और खेलों में नए मुकाम की तलाश में जुट गईं। पैरा खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के बाद उन्होंने चौथी रैंक के साथ एशियन गेम्स में जगह बना ली है।
नॉर्थ अफ्रीका के मोरक्को में आयोजित ग्रैंड प्रिक्स में अब मेरठ की बेटी फातिमा ने चक्का फेंक में कांस्य पदक झटका है, जबकि भाला फेंक में वह चौथा स्थान पर रहीं। छठी अंतरराष्ट्रीय पैरा-एथलेटिक्स मीट में फातिमा ने दो पदकों के साथ 2024 पेरिस पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई करने के साथ वर्ल्ड चैंपियनशिप- 2023 व एशियन गेम्स में भी जगह पक्की कर ली है। वह एशिया में दूसरी रैंक की खिलाड़ी भी बन गई हैं।
बिजली विभाग में स्टेनोग्राफर के पद पर तैनात फातिमा ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह खेलों में कॅरियर बनाएंगी। पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद नौकरी लग गई और बेगमपुल स्थित बिजली विभाग की टेस्ट डिवीजन में तैनाती मिली। जुलाई 2016 में राधना गांव से वह स्कूटी से ऑफिस जा रही थीं कि किठौर में एक कार चालक ने टक्कर मार दी। हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हुईं। दोनों हाथ और पैर टूट गए।
हादसे में फातिमा का चेहरा भी बुरी तरह जख्मी हो गया। शरीर में 194 टांके लगे और वह कोमा में चलीं गईं। आठ बहन-भाइयों में सबसे बड़ी फातिमा के परिजन उम्मीद छोड़ चुके थे। हादसे के बाद उसके दोनों हाथों-पैरों में रॉड डालकर नौ जगह बोल्ट लगाए गए। इसके बाद वो व्हीलचेयर पर आ गईं। दुर्घटना के छह माह बाद फातिमा को होश आया और डेढ़ वर्ष तक बिस्तर पर रहीं।
दिव्यांगता के साथ खेलों में रखा कदम
सड़क हादसे से पहले फातिमा का खेलों से कोई नाता नहीं था। हादसे के बाद वो ऑफिस से निकलते हुए कभी-कभी व्हील चेयर से भामाशाह पार्क (विक्टोरिया पार्क) घूमने जाती थीं। चार जुलाई 2017 को उन्होंने पैरा खेलों में हाथ आजमाया। यहां कोच गौरव त्यागी के निर्देशन में खेलों में शुरूआत की। आज फातिमा आत्मविश्वास से लबरेज हैं और यही उनकी ताकत है।
एक ही प्रतियोगिता में जीते तीन गोल्ड मेडल
मार्च 2018 में लखनऊ में आयोजित पैरा स्टेट प्रतियोगिता में फातिमा ने एक साथ तीन गोल्ड मेडल जीते। उन्होंने डिस्कस थ्रो, जेवलिन थ्रो, शॉटपुट में पदक जीता। इसके बाद चंडीगढ़ में पैरा नेशनल में सिल्वर मेडल जीता।उन्होंने 2018 में बीजिंग में हुई अंतरराष्ट्रीय ग्रैंड प्रिक्स में कांस्य पदक झटका। वह अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर 7 व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 3 पदक झटक चुकी हैं। शुक्रवार को नॉर्थ अफ्रीका के मोरक्को में आयोजित ग्रैंड प्रिक्स में फातिमा खातून ने चक्का फेंक में कांस्य पदक झटका है, जबकि भाला फेंक में वह चौथा स्थान पर रहीं। फातिमा ने दो पदकों के साथ 2024 पेरिस पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई करने के साथ वर्ल्ड चैंपियनशिप- 2023 व एशियन गेम्स में भी जगह पक्की कर ली है। वह एशिया में दूसरी रैंक की खिलाड़ी भी बन गई हैं।
किठौर के राधना गांव निवासी 30 वर्षीय फातिमा ने अपने हौसले के बल पर यह मुकाम हासिल किया है। उन्होंने चक्का फेंक में 17.65 मीटर थ्रो करते हुए कांस्य पदक जीता, जबकि भाला फेंक में 15 मीटर के साथ चौथा स्थान हासिल किया। पैरालंपिक के लिए 13 मीटर क्वालिफाई मार्क था।

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