खेल निदेशक आर.पी. सिंह पर जांच की आंच

मामला नियम विरुद्ध पदोन्नतियों में घालमेल का

खेलपथ संवाद

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के खेल निदेशक आर.पी. सिंह पर साढ़े साती सवार हो चुकी है। मुख्यमंत्री कार्यालय को उनके खिलाफ मिली नियम विरुद्ध पदोन्नतियों में घालमेल की शिकायत के बाद विशेष सचिव ईशान प्रताप सिंह ने अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव तथा सचिव खेलकूद विभाग को 22 अगस्त, 2022 को आर.पी. सिंह के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। यदि जांच में शिकायत सही पाई गई तो खेल निदेशक को न केवल अपनी कुर्सी से हाथ धोना होगा बल्कि उन पर चारसौबीसी का मामला भी चल सकता है।

ज्ञातव्य है कि पूर्व हॉकी खिलाड़ी राम प्रकाश सिंह पर समाजवादी पार्टी के शासनकाल में ही खेल एवं युवा कल्याण मंत्री नारद राय ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। आरोपों की जांच चल ही रही थी कि आर.पी. सिंह ने अपना ऐसा मायाजाल चलाया कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उन पर लट्टू हो गए। मुख्यमंत्री की कृपा हासिल होते ही उन्होंने जहां भ्रष्टाचार की चल रही जांच को प्रभावित किया वहीं सारे दस्तावेजों को भी खुर्द-बुर्द करवा दिया। उनकी पत्रावली में ऐसे दस्तावेज नहीं हैं जोकि उन्हें कसूरवार साबित करते। यह सब सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी से पता चला।

देखा जाए तो उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जो जांच हुई, वह रिपोर्ट तो होनी ही चाहिए थी लेकिन उनकी पत्रावली से जांच रिपोर्ट ही गायब है। रिपोर्ट गायब होना संदेह को जन्म देता है। खैर, जब उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे तब वह रीजनल स्पोर्ट्स आफीसर लखनऊ मंडल थे। देखा जाए तो इन्होंने जब से खेल निदेशालय में कदम रखा तभी यह लखनऊ से बाहर कभी नहीं गए। एक बार इनका तबादला आजमगढ़ हुआ भी लेकिन वहां सेवा देना इन्होंने उचित नहीं समझा तथा जोड़-तोड़ का सहारा लेकर राजधानी में अपने पैर और मजबूती से जमा दिए। समाजवादी पार्टी के शासन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की खुशामद का इन्हें इस कदर लाभ मिला कि नियम विरुद्ध खेल निदेशक की कुर्सी तक जा पहुंचे।

दरअसल, शासकीय सेवा के भी कुछ नियम-कायदे होते हैं लेकिन आर.पी. सिंह ने नियम-कायदों को बला-ए-ताक रखकर अब तक जो चाहा वो किया है। सल्तनत बदलने के बाद खेलप्रेमियों को उम्मीद थी कि योगी आदित्यनाथ सरकार आर.पी. सिंह की कुंडली खंगाल कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाएगी लेकिन यहां भी उनका कोई बाल बांका नहीं कर सका। खैर, अब वह प्रशिक्षक विकास यादव की शिकायत पर बुरे फंसते दिख रहे हैं। देखा जाए तो कुछ माह पहले उत्तर प्रदेश के ही एक प्रशिक्षक ने आर.पी. सिंह की पदोन्नतियों में नियमों की अनदेखी की शिकायत राष्ट्रपति,  प्रधानमंत्री और केन्द्रीय खेल मंत्रालय से की थी। तब केन्द्रीय खेल मंत्रालय के अवर सचिव खेल सीडीएन राज कुमार गुप्ता ने 23 जुलाई, 2022 को सचिव खेल एवं युवा कल्याण को जांच के लिए पत्र लिखा था लेकिन उस पत्र पर किसी ने संज्ञान लेना मुनासिब नहीं समझा।

आर.पी. सिंह को तय मियाद से पहले पदोन्नति का सुख लाभ मिला है, यह दस्तावेजों को देखने से साफ इंगित होता है। देखा जाए तो खेल निदेशालय में आर.पी. सिंह की धाक और धौंस का डर सभी को रहता है। क्या मजाल कि उनकी अनुमति के बिना कोई परिंदा भी पर मार जाए। जो भी हो खेल निदेशक के खिलाफ विभाग के पदाधिकारियों के मुंह पर बेशक दही जमा हो, पिछले 29 महीने से दर-दर की ठोकरें खाने वाले कुछ खेल प्रशिक्षकों ने न केवल शेर की मांद में हाथ डाला है बल्कि उसके होश उड़ा रखे हैं। यदि इस मामले में सही जांच हुई तो आर.पी. सिंह की विदाई तय है। खेल निदेशालय में अब तक के जांच इतिहास को देखें तो आर.पी. सिंह ने जो चाहा है वही हुआ है। अब देखना यह है कि इस बार वह अपने आपको कैसे बचा पाते हैं।              

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