जूडोका तूलिका के साथ फेडरेशन ने की हद दर्जे की बदमाशी

'चहेती' के लिए वेट कैटेगरी हटाई. तैयारी के लिए सिर्फ ढाई महीने मिले
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
तूलिका मान 78 किलोग्राम से अधिक भारवर्ग में भारत को पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स में जूडो में गोल्ड मेडल दिलाने से चूक गईं। वे वर्ल्ड की नंबर-1 खिलाड़ी स्कॉटलैंड की सारा एडलिंग्टन से मुकाबला हार गईं। तूलिका पहले सारा पर भारी पड़ती नजर आ रही थीं। पहले उन्होंने बढ़त भी बना ली, लेकिन आखिरी में एडलिंग्टन ने बाजी पलट दी और तूलिका को सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा। तूलिका को देश के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने के लिए बर्मिंघम से पहले देश में व्यवस्था से जीतना पड़ा।
इंडियन ओलम्पिक एसोसिएशन ने इस बार जूडो का कोटा ही कम कर दिया। जूडो के लिए तीन मेंस और तीन विमेंस का कोटा निर्धारित किया गया। जूडो फेडरेशन ऑफ इंडिया की टेक्निकल कमेटी ने विमेंस में 48, 57 और 63 किलोग्राम वेट कैटेगरी और मेंस में 60, 66 और 100 किलोग्राम कैटेगरी को निर्धारित किया। इसमें तूलिका मान की वेट 78+ किलो को जगह नहीं दी गई। उनकी वेट कैटेगरी की जगह 63 किलो वेट को तवज्जो दी गई।
तूलिका ने स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया से लेकर भारतीय ओलम्पिक संघ तक से गुहार लगाई। उनके पक्ष में पूर्व सेक्रेटरी मनमोहन जायसवाल ने भी आईओए और खेल मंत्रालय को पत्र लिखा। उनका दावा है कि जेएफआई में शामिल कुछ लोगों ने अपनी चहेती जूडोका को कॉमनवेल्थ गेम्स में भेजने के लिए ही 63 किलोग्राम के वेट कैटेगरी को शामिल किया था, जबकि इस वेट में पिछले गेम्स में भी मेडल नहीं मिले थे। दूसरी ओर 78+ किलोग्राम में तूलिका ने कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में मेडल जीते थे।
इस वेट कैटेगरी में पहले भी भारत को मेडल मिल चुके हैं। ऐसे में 78+ किलो वेट कैटेगरी को शामिल किया जाने को लेकर उन्होंने साई और जूडो फेडरेशन आफ इंडिया को पत्र लिखा। जिसके बाद आईओए सेक्रेटरी राजीव मेहता ने हस्तक्षेप करते हुए 63 किलोग्राम वेट की जगह 78+ किलोग्राम वेट को शामिल किया। जायसवाल ने दावा कि तूलिका के वेट को लेकर अप्रैल में आईओए का फैसला आया। इसकी वजह से उन्हें तैयारी का मौका नहीं मिला। अगर तूलिका को पहले से पता होता, तो शायद वह पहले से ही तैयारी करती। उन्हें केवल ढाई महीने का समय ही तैयारी के लिए मिल पाया।
जूडो में जीते खिलाड़ी नहीं हैं टॉप्स में शामिल
फेडरेशन की आपसी गुटबाजी का नुकसान जूडो खिलाड़ियों को उठाना पड़ा है। फेडरेशन की गुटबाजी के कारण ही इसे सस्पेंड कर दिया गया है। इसकी वजह से खिलाड़ियों की बात रखने वाला भी कोई नहीं है। बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने वाले तीनों खिलाड़ी टॉप्स योजना में शामिल नहीं हैं। बर्मिंघम में मेंस के 60 किलो वेट में विजय कुमार यादव ने ब्रॉन्ज मेडल और विमेंस में 48 किलो वेट में सुशीला लिकमाबाम और 78+ किलो में तुलिमान ने ब्रॉन्ज मेडल जीते।

 

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