कर्णनगरी के शूटर और तीरंदाज निराश

इन खेलों को राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर किए जाने का मलाल
खेलपथ संवाद
करनाल।
बर्मिंघम में 28 जुलाई से शुरू हो चुके राष्ट्रमंडल खेलों में यदि शूटिंग और तीरंदाजी को भी स्थान मिला होता तो देश की पदक तालिका में कर्णनगरी का भी कम से कम दो पदकों का योगदान जरूर रहता क्योंकि राष्ट्रमंडल खेलों के पिछले रिकॉर्ड पर नजर डाली जाए तो वर्ष 2010 में भारत में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में हमारे देश के खिलाड़ियों ने श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 38 स्वर्ण सहित 102 पदक हासिल किए थे। वहीं वर्ष 2018 में आस्ट्रेलिया में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों के शूटिंग इवेंट में अनीश भानवाला ने देश की झोली में एक स्वर्ण पदक डाला था।
वहीं 2010 के बाद हुए राष्ट्रमंडल खेलों की बात करें तो 26 स्वर्ण सहित कुल 66 पदक प्राप्त किए थे। दोनों बार हमारे देश का शूटिंग में शानदार प्रदर्शन रहा। कर्णनगरी के भीम अवॉर्डी अंतरराष्ट्रीय शूटर अनीश भानवाला और अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज रिद्धि फोर के हालिया प्रदर्शन को देखते हुए पदक लाने की उम्मीदें थीं। दोनों खिलाड़ी देश के लिए लगातार पदक ला रहे हैं, लेकिन इन दोनों खेलों को राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर किए जाने से खिलाड़ियों में निराशा है।
2018 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक विजेता भीम अवॉर्डी अंतरराष्ट्रीय शूटर अनीश भानवाला का कहना है कि राष्ट्रमंडल खेलों से शूटिंग जैसे खेल बाहर होना बहुत दुखद है। शूटिंग में भारत का प्रदर्शन हमेशा शानदार रहा है। इसकी बदौलत ही हम हमेशा पदक तालिका में इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा को पछाड़ते रहे हैं। इसके बाहर होने से हमारी पदक तालिका पर असर पड़ सकता है। इस बार तो छोड़िए 2026 में होने वाले राष्टमंडल खेलों में भी शूटिंग और रेसलिंग को बाहर रखा गया है। देश की सरकार को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए। कुछ हद तक सरकारें प्रयास कर भी रही हैं। 2019 और 2020 में आईओए और वर्ल्ड शूटिंग फेडरेशन के अध्यक्ष ने राष्ट्रमंडल खेलों से कुछ माह पहले बाहर किए गए खेलों की अनुमति भी प्राप्त कर ली थी। जिसे कोरोना काल का हवाला देकर निरस्त कर दिया गया।
- अनीश भानवाला
अब तक 10 अंतरराष्ट्रीय और 54 राष्ट्रीय पदक हासिल कर चुकीं कर्णनगरी की बेटी रिद्धि फोर का कहना कि हर खिलाड़ी का राष्ट्रमंडल खेल, एशियन गेम्स और ओलंपिक में खेलने का सपना होता है। ऐसे में प्रतियोगिता से उसके खेल को ही बाहर कर दिया जाए तो बहुत बुरा लगता है। एशियन गेम्स को लेकर भी पूरी तैयारी चल रही थी। वह भी स्थगित हो गए। हालांकि अगले वर्ष एशियन गेम्स हाेंगे तो और बेहतर प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा। काफी समय से दोनों खेलों को राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर करने की जानकारी मिल रही थी। पता लगा था कि बाहर किए गए दोनों ही खेल चंडीगढ़ में होने थे। अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धा के लिए जाने वाले खिलाड़ियों को उनकी संस्थाएं एयरपोर्ट पर छोड़कर आईं होंगी जबकि हमें घर पर बैठकर इस इवेंट में हिस्सा न ले पाने का मलाल है।
- रिद्धि फोर, अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली खेल प्रतियोगिताओं से कुछ खेल बाहर करना बहुत दुखद है। शूटिंग, तीरंदाजी और रेसलिंग को राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर करने से देश की पदक तालिका पर बुरा असर पडे़गा। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर केंद्र और प्रदेश सरकारों ने परंपरागत खेलों के साथ-साथ अन्य प्रकार के खेलों में ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है। जिससे कोई खेल बाहर किया जाए तो दूसरे खेलों में आए पदकों से भारत की पदक तालिका पर असर न पडे़। खास कर प्रदेश सरकार खेल सुविधाओं पर काफी धन खर्च कर रही है, जिसका असर आने वाले वर्षों में सबके सामने होगा।
- सत्यबीर सिंह, वरिष्ठ फेंसिंग कोच
जिन खेलों में हमेशा शानदार प्रदर्शन कर खिलाड़ी हमारे देश का नाम रोशन करते हैं। एक-एक करके ऐसे खेलों को राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर करना दुखद है। खिलाड़ी इस प्रतियोगिताओं के लिए इंतजार करते हैं। सरकारें भी अब हर प्रकार के खेलों को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे भविष्य में हमारी पदक तालिका पर कोई प्रभाव न पडे़।
- अशोक दुआ, जिला खेल अधिकारी

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