मानसिक सुख व आध्यात्मिक प्रगति के लिए योग महत्वपूर्ण

योग गुरु अमित और सोनिका ने कहा- करो योग, रहो निरोग
खेलपथ संवाद
मथुरा।
शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक सुख व आध्यात्मिक प्रगति के लिए योग महत्वपूर्ण है। योग से बीमारियों को दूर कर खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। योग से नैतिकता का विकास होता है और शाश्वत मूल्यों को विकसित किया जा सकता है। यदि शरीर और मन को स्वस्थ रखना है तो हमें योग की शरण में जाना होगा। योग से आत्मशुद्धि होती है। यह कहना है योग गुरु अमित निगम और सोनिका वर्मा का।
इन दिनों के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में मेडिकल छात्र-छात्राओं के लिए साप्ताहिक योग शिविर का आयोजन किया गया है। छात्र-छात्राओं को योग गुरु अमित निगम और सोनिका वर्मा प्रशिक्षण दे रहे हैं। छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन डॉ. सुधाकर और डॉ. सुनहरा डागुर द्वारा किया जा रहा है। योग गुरुओं का कहना है कि हमारा ब्रह्मांड पांच तत्वों वायु, जल, अग्नि, आकाश और पृथ्वी से मिलकर बना है। मानव जन्म जो हमें मिला है, उसे हम सार्थक बनाएं क्योंकि इतना सुंदर जीवन हमने प्राप्त किया है। पांचों तत्वों में से किसी भी तत्व की कमी या अधिकता जीवन को असंतुलित कर देती है और यह प्रभाव विनाश की ओर ले जाता है। 
कई प्रकार के विकार और रोग शरीर में उत्पन्न हो सकते हैं इसे हम योग के माध्यम से दूर कर सकते हैं। 72 हजार नाड़ियों को संतुलित करने के लिए योग को विज्ञान से जोड़ा गया है। योग से केवल शारीरिक व्यायाम नहीं होता बल्कि योग इससे भी ऊपर है। मन के विकारों को दूर करने का योग महत्वपूर्ण साधन है। योग वेदों से लिया गया है, प्राचीन ऋषियों-मुनियों के द्वारा योग को अपनाया गया है। योग स्वयं के द्वारा ज्ञान प्राप्त करना है, मात्र प्रदर्शन की वस्तु नहीं है। हम अपने अंदर की नकारात्मकता को सकारात्मकता में योग के माध्यम से परिवर्तित कर सकते हैं। 
हम योग को जानें-पहचानें और उसका प्रयोग अपने जीवन में कर अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। योग करने से काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह सब हमसे दूर चले जाते हैं। जब हम अच्छी सोच का विकास करें तो हमें पवित्र, निर्मल, मन की प्राप्ति होगी। महर्षि पतंजलि ने हमें योग सूत्र में अष्टांग योग का विधान दिया है जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि आते हैं।

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