उत्तर प्रदेश के खिलाड़ी जीतें पदक, बनें राजपत्रित अधिकारी

एक सितम्बर 2020 के बाद मेडल जीतने वालों को मिलेगा लाभ
ओलम्पिक, पैरालम्पिक, कॉमनवेल्थ, एशियन, विश्व कप, विश्व चैम्पियमशिप प्रतियोगिताएं होंगी आधार
खेलपथ संवाद
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में खेलों की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ओलम्पिक, पैरालम्पिक, कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स, विश्व कप और विश्व चैम्पियमशिप प्रतियोगिताओं में मेडल जीतने वाले 24 खिलाड़ियों को नौ विभागों में सीधे राजपत्रित अधिकारी बनाने का फैसला लिया है। इसका लाभ उन खिलाड़ियों को मिलेगा जिन्होंने एक सितम्बर, 2020 के बाद मेडल जीते हैं। देखा जाए तो इस दरम्यान सिर्फ ओलम्पिक और पैरालम्पिक खेल ही हुए हैं लिहाजा एक-दो खिलाड़ियों को छोड़कर बाकी खिलाड़ियों को लम्बा इंतजार करना पड़ सकता है।
खिलाड़ियों के हित में सोमवार 10 मई को योगी सरकार ने मंत्रिपरिषद की बैठक में बड़ा फैसला लिया है। अब उत्तर प्रदेश के होनहार खिलाड़ियों को सरकारी सेवा में सीधे नौकरी मिल सकेगी। मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय खेलों में उत्तर प्रदेश के मूल निवासी पदक विजेता खिलाड़ियों को राजपत्रित पदों पर नियुक्ति के संबंध में मंत्रिपरिषद ने प्रस्ताव पास किया है। अब नौ विभागों ग्राम विकास विभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग, युवा कल्याण विभाग, परिवहन विभाग, वन विभाग एवं राजस्व विभाग में सीधे-सीधे 24 खिलाड़ियों की राजपत्रित पदों पर तैनाती की जा सकेगी। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी। यह समिति खिलाड़ियों के सरकारी सेवा में चयन का निर्णय लेगी। 
ओलम्पिक, पैरालम्पिक, एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स, विश्व कप और विश्व चैम्पियनशिप में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को यह लाभ मिलेगा। यह खिलाड़ी बिना लोकसेवा आयोग की परीक्षा दिए बीडीओ, बीएसए, डीपीआरओ, सहायक खेल अधिकारी, नायब तहसीलदार जैसे पदों पर नियुक्तियां पा सकेंगे। इसका लाभ एक सितम्बर 2020 के बाद पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को ही मिलेगा। 
उत्तर प्रदेश में खेलों का बेहतर माहौल बनाने के लिए जरूरी था कि सरकार समय सीमा की बजाय उम्र सीमा तय करती ताकि अधिक से अधिक खिलाड़ियों को इसका लाभ मिलता। सरकार को यदि वाकई खेलहित में कुछ करना है तो उसे सबसे पहले प्रशिक्षकों की नियुक्ति करनी चाहिए। देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में साढ़े चार सौ पदों के मुकाबले अभी 156 प्रशिक्षक ही आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त किए जा सके हैं।
देखा जाए तो सरकार ने जनवरी, 2022 में भी एक खिलाड़ी हित का फैसला लिया था। वर्ष 2022 की शुरुआत में प्रदेश सरकार ने खिलाड़ियों की काफी पुरानी मांग को अमलीजामा पहनाते हुए नियमावली जारी की थी। उत्तर प्रदेश सरकारी विभाग, उत्कृष्ट खिलाड़ियों की समूह 'ग' के पदों पर सीधी भर्ती, नियमावली, 2022 को जारी किया गया था। इसके अंतर्गत समूह-ग की कुल रिक्तियों में दो प्रतिशत सीटों पर उत्कृष्ट खिलाड़ियों की सीधी भर्ती करने का प्रावधान है। इसमें 32 खेलों के खिलाड़ियों को शामिल किया गया है जिसे समय-समय पर और भी खेलों को जोड़ने का प्रावधान की बात कही गई थी।
अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय चैम्पियनशिप को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है। श्रेणी-ए में सीनियर ओलम्पिक व पैरालम्पिक गेम्स, विश्वकप में जूनियर-सीनियर और विश्व चैम्पियनशिप में भी जूनियर-सीनियर दोनों हैं। इसी तरह श्रेणी-बी में एशियाई खेल, एशियाई पैरा खेल, राष्ट्रमंडल खेल, राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप व एशियाई चैम्पियनशिप का सीनियर वर्ग शामिल हैं। श्रेणी-सी में साउथ एशियन खेल सीनियर, युवा ओलम्पिक गेम्स और कामनवेल्थ युवा खेल में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी हैं। श्रेणी-डी में राष्ट्रीय खेल में सीनियर, राष्ट्रीय चैम्पियनशिप जूनियर-सीनियर, भारतीय विश्वविद्यालय एसोसिएशन, अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय टूर्नामेंट और अखिल भारतीय अंतर खेल चैम्पियनशिप शामिल हैं।
ये थे नियुक्ति के मानक
खिलाड़ियों के लिए भर्ती मानक में श्रेणी-ए में प्रतिभाग, श्रेणी-बी में कोई पदक प्राप्त हो, श्रेणी-सी में कम से कम द्वितीय रहा हो और श्रेणी-डी में प्रथम स्थान प्राप्त किया होना चाहिए। इनके अलावा क्रिकेट में अंतरराष्ट्रीय एक दिवसीय या टेस्ट मैच खेलने वालों को आवेदन की पात्रता थी। शतरंज में ग्रांड मास्टर उपाधि वाले खिलाड़ी योग्य होंगे। नियुक्ति वर्ष में पिछले पांच सालों की उपलब्धि को शामिल करने की बात कही गई थी। देखा जाए तो सरकार घोषणाएं तो खूब कर रही है लेकिन अमल किसी में भी नहीं हो रहा।

 

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