खेलों में गौरवशाली कदम बढ़ाता ग्वालियर

श्रीप्रकाश शुक्ला

ग्वालियर। देश का दिल मध्यप्रदेश तथा खेलों का दिल ग्वालियर को कहें तो अतिश्योक्ति न होगी। इस ऐतिहासिक शहर का खेल अतीत तो गौरवशाली रहा ही है वर्तमान भी कमोबेश ताली पीटने वाला ही कहा जा सकता है। शासकीय और निजी प्रयास खेलों में इस शहर को बहुत आगे ले जाते दिख रहे हैं। ग्वालियर की सबसे बड़ी विशेषता यहां की प्रबुद्ध खेलप्रेमी आवाम है, जिसकी करतल ध्वनि से यह शहर दिनोंदिन खेलों की दुनिया में नई इबारत लिख रहा है।

यहां के खिलाड़ियों के करिश्माई खेल की पड़ताल करनी है तो हॉकी पुरोधा कैप्टन रूप सिंह व शिवाजी पंवार के गौरवमयी काल की तरफ नजर डालनी होगी। पिछले लगभग तीन दशक में यहां खेलों की अधोसंरचना पर हुए काम और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय आयोजनों ने शहर को बिल्कुल खास बना दिया है। इस शहर और अंचल को खेलों की दृष्टि से समृद्ध करने का श्रेय सिंधिया राजवंश को जाता है। ऐतिहासिक कैप्टन रूप सिंह मैदान को 1996 में प्लड लाइट की सौगात देकर जहां क्रिकेटप्रेमी माधव राव सिंधिया ने दुनिया में ग्वालियर की चमक बिखेरी थी वहीं 2006 में उनकी बहन यशोधरा राजे सिंधिया ने कम्पू जिला खेल परिसर को महिला हॉकी एकेडमी और बैडमिंटन एकेडमी की सौगात देकर इसे खास बना दिया।   

अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शहर को 50 हजार दर्शक क्षमता वाला अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं से परिपूर्ण मैदान देने को प्रतिबद्ध हैं। क्रिकेट जानकारों की कही सच मानें तो नया स्टेडियम इस साल बनकर तैयार हो जाएगा तथा अगले साल ग्वालियर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की दावत दे सकता है। हम कह सकते हैं कि इस शहर को बुआ-भतीजे की जोड़ी जहां खेलों में लगातार समृद्ध कर रही है वहीं ग्वालियर नगर निगम, लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षण संस्थान तथा जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रयास भी सराहनीय हैं।

इस शहर की बिटिया यशोधरा राजे सिंधिया लगभग 16 साल से मध्य प्रदेश की खेल एवं युवा कल्याण मंत्री हैं, इनकी दीर्घ सोच से आज यह प्रदेश देश के सामने नजीर है। यहां संचालित खेल एकेडमियों में मिल रही खिलाड़ियों की सुविधाएं मध्य प्रदेश को सबसे अलग राज्य बनाती हैं। ग्वालियर में 2006 में आबाद हुई महिला हॉकी एकेडमी की उपलब्धियां किसी से छुपी नहीं हैं। खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया अब 2028 और 2032 मिशन ओलम्पिक बतौर हॉकी अकादमी का खाका खींच चुकी हैं। उनकी मंशा है कि अब ओलम्पिक टीम में मूलतः मध्यप्रदेश खासतौर से ग्वालियर की ही अधिकांश खिलाड़ी बेटियां खेलती नजर आएं।

देखा जाए तो ग्वालियर शहर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया के नाम से आबाद क्रीड़ांगनों में भी सुबह-शाम खिलाड़ियों की किलकारियां गूंजती रहती हैं। भविष्य के दृष्टिगत ग्वालियर के ट्रिपल आईटीएम के सामने करीब 200 करोड़ की लागत का 50 एकड़ में अंतरराष्ट्रीय खेलगांव बनना प्रस्तावित है। इसके समीप दिव्यांग स्टेडियम का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है। खेलों में इस शहर को लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षण संस्थान और जीवाजी विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग का भी भरपूर सहयोग मिला और मिल रहा है। लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षण संस्थान में तो अंतरराष्ट्रीय सुविधायुक्त अनेकों खेल मैदान हैं। हम कह सकते हैं कि अब ग्वालियर शहर हर तरह के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन करने में सक्षम है।

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