1988 से बुरे सपने की तरह है ओलम्पिक में टेबल टेनिस का प्रदर्शन

विश्व नंबर पांच कोरियाई जोड़ी को हराकर शरत-मनिका ने हासिल किया था टोक्यो का टिकट
इससे पहले सिर्फ दो ओलम्पिक में चार टेबल टेनिस खिलाड़ी खेले थे
एशियाई खेलों ने जगाई ओलंपिक पदक की आस
नई दिल्ली।
भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ियों के लिए ओलंपिक किसी बुरे सपने की तरह रहे हैं। आज तक कोई भी भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी खास क्या आम प्रदर्शन को अंजाम नहीं दे पाया है, लेकिन इस बार अचिंत्य शरत कमल और मनिका बत्रा की जोड़ी मिश्रित युगल में पदक की दावेदार मानी जा रही है।
इस जोड़ी ने जिस तरह विश्व नंबर पांच कोरियाई जोड़ी को ओलंपिक क्वालिफायर के फाइनल में हराकर टोक्यो का टिकट हासिल किया उसके बाद से सारी निगाहें इन पर आ टिकी हैं। हालांकि यह जोड़ी बिना कोई टूर्नामेंट खेले ओलंपिक में खेलने जा रही है।
1988 के सियोल ओलंपिक में पहली बार टेबल टेनिस शामिल किया गया। तब से अब तक हमेशा भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी ओलंपिक का हिस्सा रहे हैं, लेकिन उनका प्रदर्शन महज भागीदारी तक ही निर्भर रहा।
गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्णिम प्रदर्शन और जकार्ता एशियाई में खेलों में जीते गए कांस्य पदक ने शरत कमल, मनिका, जी सथियन और सुतीर्था मुखर्जी के अंदर कूट-कूटकर विश्वास भर दिया है। शरत तो यहां तक कह चुके हैं कि जब भारतीय एशियाई खेल में पदक जीत सकते हैं तो ओलंपिक में भी जीता जा सकता है। शरत कहते हैं कि एशियाई खेलों के पदक ने ही उनके अंदर ओलंपिक के पदक का सपना जगाया है।
शरत और मनिका को एक साथ ओलंपिक के लिए तैयारियों का ज्यादा मौका नहीं मिला है। ओलंपिक क्वालिफाई करने के बाद 17 जून से सोनीपत में लगाए गए शिविर में दोनों को एक साथ बुलाया गया।
यहां उन्होंने सानिल शेट्टी, मानव ठक्कर जैसे जोड़ीदारों के साथ मिलकर तैयारियां कीं। लेकिन ओलंपिक क्वालिफाई करने के बाद दोनों एक भी टूर्नामेंट नहीं खेले हैं। बावजूद इसके दोनों में जबरदस्त तालमेल है। टोक्यो में सिर्फ तीन जीत उन्हें इतिहास रचने का मौका देगी।
मैं यह मानता हूं कि मनिका और शरत की जोड़ी ने जिस तरह का खेल ओलंपिक क्वालीफायर में दिखाया है उससे उनके पदक जीतने के अवसर हैं। मैं 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक से भारतीय टीम के साथ हूं। ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ी खास नहीं कर पाए हैं।
इस बार मुझे इस जोड़ी से उम्मीद है, बावजूद इसके फेडरेशन की योजनाओं के अनुरूप खिलाडिय़ों की तैयारियां नहीं हो पाई हैं। उन्हें यूरोप और चीन में तैयारियों के लिए भेजना था, लेकिन कोरोना के चलते सब गड़बड़ हो गया। सिंगल्स में भी शरत, सथियन, मनिका पिछली बुरी यादों को पीछे छोडने की कूवत रखते हैं। धनराज चौधरी-सीईओ टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया

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