पहलवानों से लगातार चौथे ओलम्पिक में पदक की आस

हॉकी के बाद देश को सर्वाधिक पांच पदक दिलाए हैं इस खेल ने 
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
ओलम्पिक में हॉकी के बाद देश का सबसे सफलतम खेल कुश्ती है। पहलवान अब तक देश को पांच ओलम्पिक पदक दिला चुके हैं। 2008 के बीजिंग ओलंपिक से यह सिलसिला लगातार चलता आ रहा है। इस बार भी भारतीय पहलवान टोक्यो में पदक के बड़े दावेदार हैं ऐसा और कोई नहीं बल्कि पहलवानों की विश्व रैंकिंग बताती है। 
53 किलो में विनेश विश्व की नम्बर एक पहलवान हैं तो बजरंग 65 किलो में, दीपक पूनिया 86 किलो में नंबर दो की पदवी पर हैं वहीं 57 किलो में रवि कुमार नंबर तीन के स्थान पर हैं। इन चारों के अलावा सोनम मलिक (62), अंशु मलिक (57), सीमा बिसला (50) के पास ओलम्पिक का अनुभव तो नहीं है लेकिर वे इसकी भरपाई अपने जोश और ताकत से करेंगी।
टोक्यो ओलंपिक के लिए कुल सात पहलवानों ने क्वालीफाई किया है। पुरुष पहलवान इस वक्त रूस में तैयारियां कर रहे हैं। जहां दुनिया के अन्य नामी गिरामी पहलवान तैयारियों में जुटे हैं। विनेश हंगरी में हैं तो सोनम, सीमा और अंशु भारत में ही अपने अखाड़ों में तैयारियां कर रही हैं। विनेश को इस बार स्वर्ण पदक का दावेदार बताया जा रहा है। रियो ओलंपिक में वह दुर्भाग्यशाली रही थीं जो पदक नहीं जीत पाईं। चीनी पहलवान ने उनका घुटना तोड़ दिया था। विनेश हर हाल में उस कड़वी याद तो टोक्यो में पदक के जरिए खत्म करना चाहती हैं। टॉप सीड होने के नाते विनेश की टक्कर जापानी मायो मुकेदा से शुरूआती दौर में नहीं पड़ेगी। यही कारण है कि उन्हें इस बार पदक का बड़ा दावेदार बताया जा रहा है। 
मुकेदा से विनेश कई मुकाबलों में पार नहीं पा सकी हैं। बजरंग को भी जापानी पहलवान आटोगुरो से पदक का मुकाबला करना पड़ सकता है। आटोगुरो से बजरंग पहले नहीं टकराए तो उनका भी पदक पक्का माना जा रहा है। रवि से काफी उम्मीदे हैं। वह किसी को भी हराने की क्षमता रखते हैं। सोनम और अंशु के पास अनुभव की भले कमी हो, लेकिन दोनों को कमतर नहीं आंका जा सकता है। सोनम रियो ओलंपिक की पदक विजेता साक्षी मलिक को कई बार पटखनी दे चुकी हैं। ओलंपिक क्वालिफायर में वह बुरी तरह चोटिल हो गई थीं। जिसके चलते वह देश से बाहर तैयारियों के लिए नहीं गईं। सीमा भी चोट के चलते यहीं रहीं।

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