टोक्यो में अपने मुक्कों की ताकत दिखाने को पूजा तैयार

मैरीकॉम के बाद ओलम्पिक में खेलने वाली दूसरी महिला मुक्केबाज
दूध पीकर ओलम्पिक तक पहुंची हैं शाकाहारी पूजा
श्रीप्रकाश शुक्ला
भिवानी।
हाल ही एशियाई मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में स्वर्णिम पंच जड़ने वाली हरियाणा की बॉक्सर पूजा बोहरा टोक्यो ओलम्पिक में अपने मुक्कों की ताकत दिखाने को तैयार हैं। एमसी मैरीकॉम के बाद पूजा बोहरा ओलम्पिक में जौहर दिखाने वाली भारत की दूसरी महिला मुक्केबाज हैं।
हरियाणा की बेटियां किसी भी मामले में बेटों से कम नहीं हैं। टोक्यो ओलम्पिक में इस बार हरियाणा की 16 बेटियां अपना जौहर दिखाने जा रही हैं, उन्हीं में से एक पूजा बोहरा भी हैं। पिछले ओलम्पिक में हरियाणा की बेटियों ने जहां पहलवानी में अपनी धूम मचाई थी, अबकी बार पूजा बेटी मुक्केबाजी में अपना दम दिखाएगी। भिवानी जिले के गांव निमड़ीवाली की मिडलवेट के 75 किलोग्राम भार वर्ग की महिला मुक्केबाज पूजा बोहरा देश के लिए ओलम्पिक में खेलेेंगी। 
इन दिनों पूजा बोहरा इटली में टोक्यो ओलम्पिक की तैयारियोंं में जुटी हुई हैं। 23 जुलाई से आठ अगस्त के बीच होने वाले मुक्केबाजी मुकाबलों में पूजा बोहरा देश की पहली मुक्केबाज होंगी, जिन्होंने ओलम्पिक का कोटा हासिल किया है। इससे पूर्व मैरीकॉम ओलम्पिक खेलों में वाइल्ड कार्ड से एंट्री पाई थी। ग्रीन कार्ड से एंट्री पाने वाली पूजा बोहरा पहली मुक्केबाज हैं।  
एक साधारण परिवार में पैदा हुईं पूजा बोहरा इन दिनों एक्साइज एण्ड टैक्सेशन विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं। इनके पिता हरियाणा पुलिस में एएसआई हैं तथा माता गृहणी हैं। पूजा बोहरा के पिता फुटबॉल के खिलाड़ी रह चुके हैं। ऐसे में खेलों के प्रति पूजा बोहरा की रुचि बचपन से ही है। पूजा बोहरा के ओलम्पिक क्वालीफाई करने के बाद से ही उनके परिवार में खुशी का माहौल है। 
पूजा के पिता राजबीर, मां दमयंती, पूजा के कोच भीम अवॉर्डी संजय श्योराण ने बताया कि पूजा बोहरा जब कॉलेज में पढ़ती थी, उस समय वह बॉस्केबॉल खेलती थी। इसके बाद उन्होंने मुक्केबाजी कोच संजय श्योराण के कहने पर मुक्केबाजी खेलने का निश्चय किया। पूजा बोहरा के करिअर की बात करें तो उन्होंने अब तक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दर्जनों मेडल जीते हैं। 
पूजा ने वर्ष 2012 में मंगोलिया में हुई छठी एशियन महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल, 2015 में चीन में हुई सातवीं एशियन वूमेन बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में ब्रांज मेडल, 2016 में सर्बिया में हुई मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में ब्रांज मेडल, आस्ट्रेलिया में हुए अराफूरा गेम्स में 2011 में सिल्वर मेडल, चाइना ओपन बॉक्सिंग में वर्ष 2011 में ब्रांज मेडल, वर्ष 2014 में कोरिया में हुए 17वें एशियन गेम्स में ब्रांज मेडल, वर्ष 2019 में एशियन वूमेन अमेच्योर बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल, इसी वर्ष 2021 में दुबई में हुई एशियन बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल से अपना गला सजाया है। हरियाणा सरकार पूजा बोहरा को भीम अवॉर्ड से सम्मानित भी कर चुकी है। 
पूजा की माता दमयंती बताती हैं कि जब पूजा ने मुक्केबाजी शुरू की तो एक मां होने के नाते उन्हें इस बात का डर रहता था कि कहीं बेटी के चेहरे पर चोटें आने के कारण उसकी शादी होने में परेशानी न हो, परन्तु पूजा ने अपनी मां को विश्वास दिलाया कि वे खेल के माध्यम से देश का नाम रोशन करेंगी। 
दमयंती के अनुसार पूजा के लिए उन्होंने घर में देशी नस्ल की दो गाय रखी हैं, जिनका दूध पीकर वह ओलम्पिक तक पहुंची है। वह कहती हैं कि उन्होंने कभी भी अपने घर में मांसाहार के लिए स्थान नहीं दिया तथा पूजा को भी घर में शाकाहारी भोजन ही दिया। पूजा के पिता राजबीर व भीम अवॉर्डी कोच संजय श्योराण ने बताया कि आज पूजा बेटा व बेटी के भेदभाव की कड़ी को तोड़ती नजर आ रही है। पूजा बोहरा से अब देशवासियों को ओलम्पिक में स्वर्णिम सफलता की उम्मीद है। पूजा ने खेलपथ को ह्वाट्सऐप पर बताया कि उनकी तैयारियां अच्छी चल रही हैं। वह टोक्यो में मेडल जीतने को पूरी तरह आश्वस्त हैं।

 

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