भारतीय खिलाड़ियों के लिए जापान की राह आसान नहीं

तो बढ़ जाएगा खिलाड़ियों के संक्रमित होने का खतरा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
टोक्यो ओलंपिक गेम्स आयोजन समिति (टीओजीओसी) ने भारतीय खिलाडिय़ों को मुश्किल में डाल दिया है। टोक्यो जाने के लिए भारतीय खिलाडिय़ों को 96 और 72 घंटे की दो आरटीपीसीआर टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट लेकर पहुंचना है, लेकिन देश में ये टेस्ट कहां और किस लैब में कराने हैं इसका फैसला भी खुद आयोजन समिति ने कर लिया है।
भारत स्थित जापानी दूतावास की छानबीन के बाद आयोजन समिति ने भारतीय ओलंपिक संघ को आठ शहरों में 14 लैब की सूची देकर ऐलान किया है कि इन लैबों की रिपोर्ट ही मान्य होगी वरना एथलीटों को प्रवेश नहीं मिलेगा। आठ में से सात शहर ऐसे हैं जहां खिलाड़ी तैयारी नहीं कर रहे हैं। खिलाड़ियों और खेल संघों ने आईओए से गुहार लगाई है कि अगर उनके खिलाड़ी सैकड़ों किलोमीटर का सफर कर टेस्ट कराने जाएंगे तो उनके संक्रमित होने की संभावनाएं प्रबल हो जाएंगी।
भारतीय खिलाडिय़ों और खेल संघों की मांग के बाद आईओए ने आयोजन समिति से गुहार लगाई है कि कोरोना टेस्ट के लिए उन शहरों में लैब की सूची उपलब्ध कराई जाए जहां भारतीय खिलाड़ी तैयारी कर रहे हैं। समिति को इन शहरों में स्वास्थ्य विभाग से मान्यता प्राप्त लैबों की सूची समिति को देकर इनमें टेस्ट कराने की अनुमति मांगी है।
आईओए ने समिति से कहा है कि भारतीय खिलाड़ी इस वक्त पटियाला, पुणे, भोपाल, गुवहाटी, त्रिवेंद्रम, लखनऊ जैसे शहरों में तैयारियां कर रहे हैं। जबकि समिति ने दिल्ली में सिर्फ एक, पटना में एक, चेन्नई में दो, बंगलूरू में एक, मुंबई में पांच, कोलकाता में दो और अहमदाबाद, भुवनेश्वर में एक-एक लैब में टेस्ट की अनुमति दी है।
ज्यादा दिक्कत पटियाला में तैयारी कर रहे खिलाडिय़ों को है। उत्तर भारत में सिर्फ दिल्ली की एक लैब को मान्यता मिली है। पटियाला में एथलेटिक्स, वेटलिफ्टिंग, बॉक्सिंग के बड़ी संख्या में खिलाड़ी हैं। इन्हें लम्बा सफर तय कर दिल्ली आना होगा।
आईओए ने समिति से कहा है कि सभी खिलाड़ी बायो बबल में तैयारी कर रहे हैं। खिलाडिय़ों को बबल में ही तैयारी शिविर से टोक्यो भेजने की योजना है। अगर उन्हें उनके शहरों में टेस्ट की सुविधा नहीं मिली तो यह बबल टूट जाएगा जिससे उनके संक्रमित होने का खतरा बढ़ेगा।
हालांकि पहले आईओए ने खेल संघों को साफ किया था कि लैब बदलना मुश्किल होगा क्यों कि इनका चयन खुद आयोजन समिति ने किया है, लेकिन खिलाडिय़ों और खेल संघों के भारी दबाव के बाद यह मुद्दा आयोजन समिति के समक्ष उठाना पड़ा है।

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