उत्तर प्रदेश में डॉ. आनंदेश्वर पाण्डेय करेंगे खिलाड़ियों को आनंदित

सांप निकलने के बाद लकीर पीटने की कवायद

कोविड काल में प्रभावित खिलाड़ियों की सूची मांगी

श्रीप्रकाश शुक्ला

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सांप निकलने के बाद लकीर पीटने का रिवाज बढ़ता जा रहा है। निदेशालय खेल द्वारा पिछले 14 महीने से घर बैठाए गए लगभग साढ़े चार सौ अंशकालिक प्रशिक्षकों की सुध न लेने वाला उत्तर प्रदेश ओलम्पिक एसोसिएशन कोरोना संक्रमणकाल में आर्थिक परेशानियों का सामना करने वाले खिलाड़ियों की मदद करने का शिगूफा छोड़ चुका है। खिलाड़ियों को आनंदित करने का यह सराहनीय काम महासचिव डॉ. आनंदेश्वर पाण्डेय करने जा रहे हैं। इसके लिए सभी राज्य खेल संघों से उन्होंने पीड़ितों की सूची मांगी है।

कोविड संक्रमण ने समूची दुनिया में खेलों पर तुषारापात किया है। इससे भारत कुछ अधिक ही प्रभावित हुआ है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां जंगलराज चल रहा है। संक्रमणकाल के 15 महीनों में शायद ही किसी खिलाड़ी या खेल प्रशिक्षक को कहीं से कोई आर्थिक मदद मिली हो। मदद की कौन कहे मैदानों को गुलजार करने वाले साढ़े चार सौ प्रशिक्षकों को ही घर बैठा दिया गया। प्रशिक्षकों के घर बैठाने से जहां खेल मैदान सूने हो गए वहीं प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के अरमानों पर भी पानी फिर गया।

पिछले साल 20 जुलाई, 2020 को डॉ. आनंदेश्वर पाण्डेय ने प्रशिक्षकों को न्याय दिलाने का भरोसा दिया था। तब उत्तर प्रदेश ओलम्पिक एसोसिएशन (यूपीओए) के महासचिव डॉ. आनंदेश्वर पाण्डेय ने प्रदेश सरकार से अनुरोध किया था कि खेल विभाग में तैनात अंशकालिक मानदेय प्रशिक्षकों को न्यूनतम पांच हजार रुपया प्रतिमाह गुजारा भत्ता जिलों में स्थापित जिला खेल प्रोत्साहन समिति/प्रशिक्षण शिविर मद से दिलाया जाए। डॉ. पाण्डेय की उस कोशिश का खेल प्रशिक्षकों को आज तक फूटी कौड़ी लाभ नहीं मिला। पाण्डेय हठधर्मी निदेशक खेल आर.पी. सिंह को भी मनाने में सफल नहीं हो सके जबकि खेलों से जुड़े लोग इन दोनों के याराना की दिल खोलकर चर्चा करते नहीं थकते।

पिछले सप्ताह खेलपथ ने उत्तर प्रदेश के खेल संगठन पदाधिकारियों से तंगहाल खेल प्रशिक्षकों के मामले को उठाने की बात कही थी। देर आयद दुरुस्त आयद। भारतीय ओलम्पिक संघ के खजांची और उत्तर प्रदेश ओलम्पिक एसोसिएशन के महासचिव डॉ. आनंदेश्वर पाण्डेय ने आर्थिक विपन्नता का सामना कर रहे खिलाड़ियों की मदद के लिए उनकी सूची मांगने का नेक काम कर दिया है।

बकौल महासचिव डॉ. आनंदेश्वर पाण्डेय हमारी योजना है कि भारत सरकार व ओलम्पिक एसोसिएशन से मान्यता प्राप्त खेलों से जुड़े ऐसे खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता दी जाए ताकि इस मुश्किल समय में उन्हें राहत मिल सके। डॉ. पाण्डेय ने इसके लिए सभी खेल संघों के सचिव व अध्यक्ष को ई-मेल के माध्यम से पत्र प्रेषित किए हैं। इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि सभी खेल संघ कोविड काल में बेरोजगारी के चलते बुरी तरह प्रभावित और आर्थिक विपन्नता का सामना कर रहे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों की एक सूची बनाने का कष्ट करें जिसमें उक्त खिलाड़ियों का नाम, उपलब्धियां, मोबाइल नम्बर व फोटो का उल्लेख हो।

अब देखना यह है कि उत्तर प्रदेश ओलम्पिक एसोसिएशन को खिलाड़ियों की सूची कब मिलती है। इस पत्र में पाण्डेय जी प्रशिक्षकों का भी जिक्र कर देते तो सोने पे सुहागा साबित होता। पाण्डेय जी आप तो खेलों के पुराने खलीफा हो बिना प्रशिक्षकों की मदद के उत्तर प्रदेश में खिलाड़ी कैसे तैयार होंगे? उत्तर प्रदेश ओलम्पिक एसोसिएशन द्वारा खेल संघों को प्रेषित पत्र में राज्य के सर्वोच्च खेल सम्मान लक्ष्मण व रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड से सम्मानित पुरुष व महिला खिलाड़ी जोकि इस समय बेरोजगार हैं, उनकी भी सुध ली गई है। ऐसे खिलाड़ी सीधे 9415022230 ह्वाट्सऐप नम्बर पर अपनी तंगहाली की सूचना प्रेषित कर सकते हैं। यद्यपि पीड़ितों को आर्थिक सहायता दिलाने की व्यवस्था कैसे और कब की जाएगी, इसका पत्र में जिक्र नहीं है।

डॉ. पाण्डेय जी आप बधाई के पात्र हैं कि आपने खेलहित में कोई बड़ा कदम उठाया है, उम्मीद है कि आपके इस प्रयास से खिलाड़ियों के चेहरे पर मुस्कान जरूर लौटेगी, कब लौटेगी यह आपकी कोशिशों पर निर्भर करेगा। खेलपथ का आपसे आग्रह है कि बेरोजगार प्रशिक्षकों की भी सुध जरूर लें। डॉ. आर.पी. सिंह को समझाएं वह शायद आपकी बात को नजरअंदाज नहीं कर सकेंगे। इससे उत्तर प्रदेश में खेलों का भला होगा और बेरोजगार हो चुके प्रशिक्षक रोजगार पाते ही आपकी बलैयां लेंगे।

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