ग्रेपलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया और भारतीय कुश्ती संघ मिलकर करें काम

ग्रेपलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया पर यूडब्ल्यूडब्ल्यू की मुहर

खेलहित में भारतीय कुश्ती संघ बड़े भाई की भूमिका निभाए

श्रीप्रकाश शुक्ला

नई दिल्ली। जबरा मारै रोवै न देय, कुछ ऐसी ही हरकतें रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया देश में ग्रेपलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के साथ कर रहा है। भारत में खेल संगठनों की रार किसी से छिपी हुई नहीं है। संगठनों की इस लड़ाई से सबसे अधिक नुकसान खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को हो रहा है। रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया और ग्रेपलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के ताजे मामले में यूडब्ल्यूडब्ल्यू को चार मई, 2021 को एक पत्र जारी करना पड़ा है। इस पत्र में साफतौर पर उल्लेख है कि भारत में ग्रेपलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ही ग्रेपलिंग खेल के लिए एकमात्र भारतीय गवर्निंग बॉडी है।

पाठकों को हम बता दें कि साल 2015 में यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया से कहा था कि वह कुश्ती की शैलियों के साथ ही ग्रेपलिंग खेल को भी विकसित करे लेकिन तब भारतीय कुश्ती संघ ने इस मामले में कोई रुचि नहीं दिखाई थी। दरअसल, रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया और ग्रेपलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया दोनों ही खेल यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग से मान्यता प्राप्त हैं।

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की अरुचि के बाद यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने भारत में ग्रेपलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया को मान्यता प्रदान कर दी। ग्रेपलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने देश भर में इस खेल के विकास और प्रोत्साहन को नया आयाम दिया। वर्तमान में ग्रेपलिंग खेल पूरे भारतवर्ष में प्रचलित हो गया है। यह स्कूली खेलों में शामिल होने के साथ ही यूनिवर्सिटी खेलों का भी हिस्सा हो गया है। इस खेल पर खेल मंत्रालय की मुहर लगना अभी बाकी है। भारत में ग्रेपलिंग खेल के उत्थान से परेशान रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने ग्रेपलिंग कमेटी ऑफ इंडिया बनवाकर सीधे तौर पर यूडब्ल्यूडब्ल्यू के आदेशों की अवहेलना की है।

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा ग्रेपलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के खिलाफ समानांतर बॉडी बना देने से खिलाड़ियों में असली-नकली का भ्रम पैदा हो गया है। भारतीय कुश्ती संघ के इस कृत्य से साफ है कि उसकी मंशा सही नहीं है। उसका कहना है कि चूंकि ग्रेपलिंग खेल कुश्ती का ही मिलाजुला रूप है सो उसे ही इस खेल को चलाने का अधिकार है। सीधे तौर पर देखें तो रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया को इस मामले में सदाशयता दिखाने की जरूरत है। उसने यदि पहले ही ग्रेपलिंग खेल के लिए कुछ किया होता तो शायद देश में ग्रेपलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया बनाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। सच कहें तो संगठन नहीं खेल और खिलाड़ी बड़ा होता है।

इस संदर्भ में एमेच्योर ग्रेपलिंग स्पोर्ट्स एसोसिएशन ऑफ मध्य प्रदेश के सचिव संजय पवार ने खेलपथ से बातचीत में कहा कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने पहले तो इस खेल में कोई रुचि नहीं दिखाई अलबत्ता जब यह खेल देश के हर राज्य में प्रचलित हो गया तब वह इसमें अपना हक जताने लगा है। श्री पवार ने खेलपथ को यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग का 4 मई, 2021 को जारी पत्र भी सौंपा है जिसमें साफतौर पर ग्रेपलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया को ही भारत में ग्रेपलिंग खेल का असली संगठन करार दिया है। यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने भारत में ग्रेपलिंग कमेटी ऑफ इंडिया बनाने को अवैधानिक करार दिया है। यूडब्ल्यूडब्ल्यू का पत्र मिलने के बाद ग्रेपलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों ने साफतौर पर कहा कि उनका संगठन इस खेल के विकास में रोड़े अटकाने वालों की मनमानी सहन नहीं करेगा। जो भी हो इस मामले में भारतीय कुश्ती संघ को रार बढ़ाने की बजाय बड़े भाई की भूमिका निभानी चाहिए तथा यूडब्ल्यूडब्ल्यू के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। किसी भी खेल का नुकसान भारत जैसे देश में गलत बात है।  

 

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