भारतीय एथलेटिक्स में धनलक्ष्मी की धमक

हिमा दास और दुती चंद को हराया
फेडरेशन कप में पीटी ऊषा का 23 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा
एक अदद सरकारी नौकरी की बंधी आस
खेलपथ प्रतिनिधि
ग्वालियर।
भारत को नई उड़नपरी मिल गई है। तमिलनाडु की स्प्रिंटर धनलक्ष्मी ने 24वें फेडरेशन कप नेशनल एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर में गोल्ड मेडल अपने नाम किया और 200 मीटर में सिल्वर जीतीं। धनलक्ष्मी ने 100 मीटर में भारत की टॉप स्प्रिंटर दुती चंद और 200 मीटर में हिमा दास को हराया। इतना ही नहीं उन्होंने 200 मीटर इवेंट में पूर्व धावक पीटी ऊषा के 23 साल पहले बनाए रिकॉर्ड को भी तोड़ा।
फेडरेशन कप के 100 मीटर इवेंट में 22 साल की धनलक्ष्मी ने 11.39 सेकेंड का समय निकाला वहीं, एशियन गेम्स की सिल्वर मेडलिस्ट दुती चंद 11.58 सेकेंड के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। हिमा इस इवेंट में गलत स्टार्ट की वजह से डिस्क्वालीफाई हो गईं। 100 मीटर में नेशनल रिकॉर्ड 11.22 सेकेंड का है, जो दुती चंद ने 2019 में 59वें नेशनल ओपन चैम्पियनशिप में बनाया था। धनलक्ष्मी का रिकॉर्ड दूसरे नम्बर पर है।
फेडरेशन कप के 200 मीटर इवेंट में धनलक्ष्मी ने 23.26 सेकेंड लेकर न्यू मीट रिकॉर्ड बनाया। इससे पहले पीटी ऊषा ने 1998 में 23.30 सेकेंड का समय निकालकर रिकॉर्ड बनाया था। जब पीटी ऊषा ने यह रिकॉर्ड बनाया था, उस वक्त धनलक्ष्मी का जन्म भी नहीं हुआ था। इस इवेंट के पहले हीट में उन्होंने हिमा दास को हराया।
हिमा 24.39 सेकेंड के साथ दूसरे नंबर पर रहीं। इस इवेंट के फाइनल यानी दूसरे हीट में हिमा ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया। हिमा ने 23.21 सेकेंड का समय निकाला। वहीं, धनलक्ष्मी 23.39 सेकेंड के साथ दूसरे नंबर पर रहीं और उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा। इवेंट जीतने के बावजूद हिमा ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकीं। क्वालीफिकेशन के लिए उन्हें 22.80 सेकेंड का समय निकालना था।
धनलक्ष्मी तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के गुंदुर गांव की रहने वाली हैं। उन्हें बचपन में काफी गरीबी झेलनी पड़ी। उनकी मां मजदूरी का काम करती थीं। धनलक्ष्मी की दो बहनें भी हैं। उन्हें अपनी गरीबी को दूर करने के लिए स्पोर्ट्स ही एक विकल्प दिखा। धनलक्ष्मी ने मंगलौर के अलावा कॉलेज से पढ़ाई की। उन्हें वहां जो भी स्टाइपेंड मिलता था, वे उसे घर भेजती थीं।
कॉलेज में धनलक्ष्मी ने खो-खो खेलना शुरू किया पर उनके कोच मनिकांदा अरुमुगम ने देखा कि वे इस गेम में उतनी अच्छी नहीं हैं। मनिकांदा खुद एक स्प्रिंटर रह चुके हैं। उन्होंने धनलक्ष्मी को एथलेटिक्स जॉइन करने को कहा। इस दौरान मनिकांदा ने धनलक्ष्मी के खानपान, न्यूट्रिशन का भी ख्याल रखा। साथ ही उन्हें अच्छी कोचिंग भी दी। इसका नतीजा यह हुआ कि मंगलौर में हुई इंटर यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप में धनलक्ष्मी ने गोल्ड मेडल जीत दिखाया।
कोरोना की वजह से पिछले साल हुए लॉकडाउन ने धनलक्ष्मी की ट्रेनिंग को काफी प्रभावित किया। इस दौरान उनकी एक बहन का किसी बीमारी की वजह से निधन भी हो गया। उनके कोच ने किसी तरह एक स्पॉन्सर ढूंढ़ा, जिससे धनलक्ष्मी को फाइनेंशियली मदद मिली। इसकी बदौलत उन्होंने फेडरेशन कप में हिस्सा लिया।
उन्होंने फेडरेशन कप में जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उससे उनका नाम भारत की टॉप-10 एथलीट्स में शुमार हो गया है। उन्हें उम्मीद है कि स्पोर्ट्स के जरिए उन्हें सरकारी नौकरी मिल सकती है, जिससे वे अपने परिवार की देखभाल भी कर सकेंगी।

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