खेल प्रतिभाओं के प्रोत्साहन में मोदी सरकार सबसे आगे

खेलो इंडिया यूथ गेम्स और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के पदक विजेता हो रहे लाभान्वित
श्रीप्रकाश शुक्ला
ग्वालियर।
आजाद भारत में खिलाड़ियों के प्रोत्साहन की बात करें तो नरेन्द्र मोदी सरकार ने प्रशंसनीय कार्य किए हैं यद्यपि इस दिशा में और सुधार की जरूरत है। खेल मंत्रालय ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के माध्यम से युवा खिलाड़ियों को खेल के अच्छे प्रतिस्पर्धी मंच दिए हैं। इतना ही नहीं इन खेलों में चमकदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को खेलवृत्ति के रूप में आर्थिक मदद भी प्रदान की जा रही है।
विश्व में सबसे ज्यादा युवा जनसंख्या होने के नाते मेरे मन में कतई शंका नहीं है कि एक खेल महाशक्ति बन चुका भारत और ऊंचा मुकाम हासिल करने का इंतजार कर रहा है। किसी भी क्षेत्र में विकास के लिए अभिप्रेरित युवाओं से बढ़कर और कोई ऊर्जास्रोत नहीं होता है। विशेषकर, विश्व खेल जगत में हमने ऐसा देखा है। एशियाई और राष्ट्रकुल खेलों में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत ने महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल की हैं। इन खेलों में भारत निरंतर प्रगति की राह पर अग्रसर है। अब सफलताओं के इस क्रम को ओलम्पिक स्तर पर जारी रखना हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर कदम पर युवाओं की क्षमता और उनकी ऊर्जा को बढ़ाने पर बल दिया है। यह सच भी है यदि युवा बेहतर प्रदर्शन करेंगे तो देश बेहतर करता जाएगा। चूंकि भारत विश्व खेल जगत में अपनी पहचान बना चुका है सो यह जरूरी हो जाता है कि हम घरेलू स्तर पर अपने सतत प्रयास को कायम रखें। हमारा लक्ष्य पूरे देशभर में जिला से लेकर राज्य और उसके बाद राष्ट्रीय स्तर तक प्रतिभाओं को ‘तलाशना’ और उन्हें ‘तराशना’ होना चाहिए। शायद इसी दृष्टिकोण के तहत देश में खेलो इंडिया, फिट इंडिया और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसे आयोजन किए जा रहे हैं।
योग सदियों से हमारी समृद्ध परम्परा और संस्कृति का हिस्सा रहा है, जिसे नियमित रूप से साधना करने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर पूरे विश्व के समक्ष खड़ा किया है। विश्व जगत को भारत ने योग के रूप में एक उपहार दिया है जिसे आज सभी स्वीकार भी करते हैं। यही कारण है कि आज ‘विश्व योग दिवस’ पूरे विश्व में मनाया जाने लगा है। शरीर को स्वस्थ और ऊर्जावान रखने के लिए योग से बड़ा और कोई साधन नहीं हो सकता।
कुछ वर्षों पहले तक, हमारे खिलाड़ियों के सामने अवसर व सुविधाओं की कमी और समुचित ढंग से खुद को प्रशिक्षित न कर पाना एक बड़ी बाधा थी। इन वजहों से देश के युवा खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका नहीं मिल पाता था। इसलिए ‘खेलो इंडिया’ या ‘फिट इंडिया’ जैसे अभियान काफी महत्वपूर्ण हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का सपना है कि ‘खेलो इंडिया’ खेलों का आयोजन स्कूलों से लेकर युवाओं व कॉलेजों सहित महिलाओं के स्तर तक किया जाए। प्रधानमंत्री देश को एक मजबूत खेल राष्ट्र बनाना चाहते हैं, इसके लिए उन्होंने तमाम सुविधाएं प्रदान करने के अलावा खिलाड़ियों को उचित मंच व माहौल मुहैया कराया है। पुराने खिलाड़ी अक्सर याद करते मिल जाएंगे कि कैसे वे सुविधाहीन स्टेडियमों में राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते थे जहां न तो ‘चेंज रूम’ की सुविधा होती थी और न ही उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था।
मोदी सरकार इस बात पर दृढ़ है कि ‘खेलो इंडिया’ खेलों का आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियमों में कराया जाए। इससे पहले कभी भी युवाओं को ऐसी उच्चस्तरीय सुविधाओं से लैस स्टेडियमों में प्रशिक्षण लेने या प्रतिस्पर्धा करने का मौका नहीं मिलता था। प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि युवाओं को सबसे बेहतर सुविधाएं प्राप्त हों। इसलिए जब हमारे ग्रामीण क्षेत्रों से युवा ऐसे बड़े आयोजन स्थलों व स्टेडियमों में आए तो उन्हें पता था कि एक नया संसार उनका इंतजार कर रहा है। जब आप ऐसे आयोजन स्थलों में प्रतिस्पर्धा कर जीत हासिल करते हैं तो यह एक नए स्तर का आत्मविश्वास आपमें पैदा करता है।
आज हम अपने युवाओं में एक नया आत्मविश्वास देख सकते हैं। अब हमारे युवा महसूस कर रहे हैं कि वे किसी से कमतर नहीं हैं और यह तमाम खेलों में हो रहा है जिसमें हमारे पारम्परिक खेल भी शामिल हैं। भारत की यह एक समृद्ध परम्परा रही है और खेल स्वस्थ रहने के लिए हमारी दिनचर्या का एक हिस्सा रहा है।
किसी भी देश को प्रगति पथ पर आगे बढ़ने के लिए स्वस्थ राष्ट्र बनना जरूरी है। इसी उद्देश्य से ‘फिट इंडिया’ अभियान को बढ़ावा दिया गया और आज यह एक लोकप्रिय अभियान का रूप ले चुका है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में तमाम दिग्गज नेताओं और शीर्षस्थ खिलाड़ियों ने ‘फिट इंडिया’ अभियान के संदेश को जन-जन तक पहुंचाया है। इस मामले में सोशल मीडिया की जितनी सराहना की जाए वह कम है। इससे लाखों युवाओं को फिटनेस पर काम करने की प्रेरणा मिली है।
इस क्रम में ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह प्रक्रिया किसी खेल का आयोजन कर लेने या फिर एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध करा देने भर तक नहीं रुकती है। ‘खेलो इंडिया’ खेलों के आयोजन के पीछे युवा प्रतिभाओं को तलाशने और पदक विजेताओं को और बड़े स्तर पर अपनी प्रतिभा को निखारने का मौका दिया जाना उद्देश्य है। इसके लिए सरकार ने कभी भी विदेशी प्रशिक्षकों को आमंत्रित करने या अपने प्रशिक्षकों के स्तर को सुधारने में गुरेज नहीं किया।
प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ियों सहित उन स्कूलों या संस्थानों, जहां से वे खिलाड़ी आते हैं, को ‘खेलो इंडिया स्कॉलरशिप’ के जरिए बढ़ावा दिया जा रहा है। जहां व्यक्तिगत तौर पर खिलाड़ियों को ‘स्कॉलरशिप’ दी जाती है, वहीं उन स्कूलों या संस्थानों, जहां से वे खिलाड़ी आते हैं, को आधुनिक सुविधाएं हासिल करने व ज्यादा से ज्यादा प्रशिक्षकों को अनुबंधित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसी का नतीजा है कि अब भारत में युवा चैम्पियन खिलाड़ी उभरकर सामने आने लगे हैं। इससे पहले देश में कभी भी 20 वर्ष से कम उम्र के एशियाई व राष्ट्रकुल खेलों के पदक विजेता इतनी बड़ी संख्या में नहीं थे जितने कि अब हैं। इनमें से कई युवा खिलाड़ी ‘खेलो इंडिया स्कूल गेम्स’ और ‘खेलो इंडिया यूथ गेम्स’ में अपना जलवा दिखा चुके हैं। उन्होंने अन्य युवाओं को कठोर परिश्रम और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया।
मुझे उम्मीद है कि इन युवा अंतरराष्ट्रीय चैम्पियन खिलाड़ियों और पदक विजेताओं में से कई निकट भविष्य में ओलम्पिक पदक विजेता खिलाड़ी के रूप में सामने आएंगे। एक खिलाड़ी के लिए वित्तीय सहायता व खेल सुविधाओं के अलावा प्रोत्साहन की भी बहुत जरूरत पड़ती है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब भी युवा खिलाड़ियों से मिलते हैं, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित करते हुए कहते हैं, हम आपकी प्रतिभा को निखारने के लिए हरमुमकिन सहायता देने को तैयार हैं। 

 

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