जिला खेल परिसर कम्पू में कौशल सीख रहे प्रतिभाशाली मुक्केबाज

एनआईएस एकता यादव सिखा रहीं जीत के गुर

खेलपथ प्रतिनिधि

ग्वालियर। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते जहां देश-दुनिया में खेल गतिविधियों पर विराम लगा हुआ है वहीं ग्वालियर के जिला खेल परिसर कम्पू के बाक्सिंग रिंग पर प्रतिभाशाली मुक्केबाज एनआईएस एकता यादव से सुबह-शाम खेल कौशल और जीत के गुर सीख रहे हैं।

खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी रामाराव नागले का कहना है कि जिला खेल परिसर कम्पू में मध्य प्रदेश शासन के निर्देशानुसार खिलाड़ियों की निर्धारित संख्या और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए विभिन्न खेलों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। एनआईएस एकता यादव सुबह-शाम जिला खेल परिसर कम्पू में उदीयमान मुक्केबाजों का खेल कौशल सुधारने का प्रयास करते देखी जा सकती हैं। प्रशिक्षक एकता यादव का कहना है कि प्रतिभाशाली मुक्केबाजों में खेल सीखने की जहां ललक है वहीं इस खेल में वह ग्वालियर का गौरव बढ़ाने को बेताब हैं। जिला खेल परिसर कम्पू में नियमित अभ्यास करने वाले प्रतिभाशाली मुक्केबाजों में आरती यादव, आभ्या शर्मा, ऋषभ सिकरवार, प्रियांश, रविन्द्र, संदीप सिंह, निखिल दादोरिया, अमित गुर्जर आदि शामिल हैं।

प्रशिक्षक एकता यादव का कहना है कि कोरोना संक्रमण से खेलों और खिलाड़ियों का काफी नुकसान हो रहा है। खेलों में करियर बनाने की चाहत रखने वाले युवा हमेशा राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर के खिलाड़ी बनने का ख्‍वाब देखते हैं लेकिन करोड़ों की जनसंख्‍या वाले देश में सैकड़ों को ही खेलों में देश का प्रतिनिधित्‍व करने का अवसर मिलता है। एकता कहती हैं कि इस गलाकाट प्रतिस्‍पर्धा से घबराकर कई अच्‍छे खिलाड़ी खेलों की ओर से अपना ध्‍यान हटाकर किसी और क्षेत्र में करियर बनाने पर ध्‍यान केन्द्रित करते हैं और खेल उनकी दूसरी प्राथमिकता बन जाते हैं।

एकता प्रतिभाओं को सुझाव देती हैं कि यदि आप अंतरराष्‍ट्रीय या राष्‍ट्रीय स्‍तर के खिलाड़ी न भी बन पाएँ, तब भी खेल जगत में सम्भावनाओं की कोई कमी नहीं है। इसलिए यदि खेल के प्रति समर्पण भाव है, देश के लिए खेलने की इच्‍छा है तो खेलों से पलायन करने की बजाय युवा पीढ़ी को अपना नजरिया बदलना चाहिए क्योंकि यदि कोई युवा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी न भी बन पाए तब भी खेल के क्षेत्र में करियर बनाने के उसके पास अनेक विकल्‍प मौजूद रहते हैं।

 

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