अब तक देश को मिलीं 17 महिला खेल रत्न
समाज का मिथक तोड़ती महिला खिलाड़ी
श्रीप्रकाश शुक्ला
नई दिल्ली। कहते हैं कि खिलाड़ी का पसीना सूखने से पहले उसे पुरस्कार मिल जाना चाहिए। इस दिशा में केन्द्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने अब तक के अपने कार्यकाल में बेहतरीन खिलाड़ी हितैषी निर्णय लिए हैं। खेल मंत्री रिजिजू ने जहां खिलाड़ियों के खान-पान पर विशेष ध्यान दिया वहीं खिलाड़ियों को मिलने वाले राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों में भी दरियादिली दिखाई है। किरेन रिजिजू ने इस साल खेल पुरस्कारों के लिए गठित समिति की अनुशंसा पर न केवल अपने सहमति की मुहर लगाई बल्कि उनके प्रयासों से आधा दर्जन युवा खिलाड़ियों को भी अर्जुन पुरस्कार मिलने का सौभाग्य हासिल हुआ।
इस साल जिस तादाद में राष्ट्रीय खेल पुरस्कार बांटे गए उसे लेकर कई दिग्गज खिलाड़ियों ने सवाल भी दागे लेकिन किरेन रिजिजू ने युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने की अपनी मंशा जाहिर कर हर किसी की बोलती बंद कर दी। कोरोना संक्रमण के बावजूद किरेन रिजिजू लगातार सक्रियता दिखा रहे हैं। वह चाहते हैं कि न केवल खिलाड़ियों को अभ्यास के अधिकाधिक अवसर मिलें बल्कि उनके खान-पान पर भी किसी तरह का व्यवधान पैदा न हो। खेलो इंडिया यूथ गेम्स की बात हो या फिर खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की, किरेन रिजिजू इन प्रतियोगिताओं के विजेता खिलाड़ियों को लगातार आर्थिक मदद दिलाने की कोशिशें कर रहे हैं। खेल मंत्री के प्रयासों से इस बार तीन महिला खिलाड़ियों को खेल रत्न हासिल करने का सौभाग्य मिला है। तीन दशक पूर्व शुरू हुए भारत के सबसे बड़े खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न को अब तक 43 खिलाड़ी हासिल कर चुके हैं, जिनमें 17 महिला खिलाड़ी शामिल हैं।
1991-92 से शुरू हुए खेल रत्न पुरस्कारों को पहली बार शतरंज के शहंशाह विश्वनाथन आनंद ने हासिल किया था। 2008 और 2014 में किसी खिलाड़ी को खेल रत्न के काबिल नहीं समझा गया। महिलाओं को खेल रत्न सम्मान मिलने की जहां तक बात है यह गौरव पहली बार 1994-95 में भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी ने हासिल किया था। अब तक जिन 17 महिलाओं को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार मिला है, उनमें भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी के अलावा भारोत्तोलक कुंजारानी देवी (1995-96), एथलीट ज्योतिर्मय सिकदर (1998-99), शूटर अंजली भागवत, एथलीट के.एम. बीनामोल (2002), एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज (2003), मुक्केबाज एम.सी. मैरीकाम (2009), शटलर साइना नेहवाल (2010), टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा (2015), शटलर पी.वी. सिन्धू, जिम्नास्ट दीपा कर्माकर, पहलवान साक्षी मलिक (2016), भारोत्तोलक साइखोम मीराबाई चानू (2018), पैरा एथलीट दीपा मलिक (2019) तथा पहलवान विनेश फोगाट, टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा, हाकी खिलाड़ी रानी रामपाल (2020) शामिल हैं।
हमारे देश में राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों को लेकर हमेशा विवाद हुए। तीन दशक पहले शुरू हुए राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कारों की अहमियत शुरू से ही खेल के मैदानों पर हद से ज्यादा रही है। इससे जुड़ी ईनामी राशि और दूसरी सुविधाओं की वजह से इस पुरस्कार के लिए लॉबिंग पहले से कहीं ज्यादा होने लगी है। सबसे बड़ी बात यह है कि अब तक इन पुरस्कारों के लिए कोई ठोस और पारदर्शी फॉर्मूला नहीं बनाया जा सका है, जिसकी वजह से हर साल विवाद होते हैं। देखा जाए तो 1992 से लेकर साल 2001 तक बेहतरीन खिलाड़ियों को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार दिए गए जिसकी वजह से कोई शोर-शराबा नहीं हुआ। दरअसल, विश्वनाथन आनंद, लिएंडर पेस, सचिन तेंदुलकर, धनराज पिल्लै और पुलेला गोपीचंद ने इन पुरस्कारों को हासिल करने से पहले इतने बड़े कारनामे कर दिए थे, जिन पर उंगली उठाना किसी के लिए वाजिब नहीं था। साल 2001-02 में जब शूटर अभिनव बिन्द्रा को खेल रत्न खिताब मिला उस वक्त वह सिर्फ 20 साल के थे, हालांकि उससे पहले उन्होंने कारनामे तो बहुत किए थे, लेकिन आलोचक उन पर सवाल उठाने से नहीं चूके। वैसे बिन्द्रा ने उसके बाद ओलम्पिक, कॉमनवेल्थ और वर्ल्ड चैम्पियनशिप में पदक जीतकर खुद को खिताब का सही हकदार साबित कर दिखाया।
खैर, अगले ही साल इन पुरस्कारों की चयन समिति को पुराने नियम तोड़ने पड़े, सरकार ने दबाव में आकर एथलीट के.एम. बीनामोल के साथ शूटर अंजलि भागवत के नाम पर भी मुहर लगाई। पहली बार दो खिलाड़ियों को एक साथ खेल रत्न पुरस्कार दिए गए जबकि 15 के बजाय 21 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। इसके बाद वर्ल्ड चैम्पियनशिप की कांस्य पदक विजेता लांग जम्पर अंजू बॉबी जॉर्ज, राज्यवर्धन राठौर, पंकज आडवाणी, मानवजीत सिंह संधू, महेन्द्र सिंह धोनी, एमसी मैरीकॉम, विजेन्दर सिंह, सुशील कुमार तक के नाम को लेकर आपत्ति नहीं हुई। राजीव गांधी खेल रत्न को लेकर अंजली भागवत और कृष्णा पूनिया विवाद भी काफी चर्चा में रहा है। जो भी हो राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार ही ऐसा है जिसमें भारतीय नारी शक्ति पुरुष खिलाड़ियों को माकूल चुनौती दे रही है।