देश के 20 बच्चे 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को बहादुर बच्चों का बढ़ाया हौसला
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। वीर बाल दिवस के अवसर पर, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को 20 बच्चों को 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित किया। ये बच्चे 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चुने गए थे। इस साल दो बच्चों को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया गया, जिनके पुरस्कार उनके माता-पिता ने लिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन बच्चों से मुलाकात की और उन्हें 'विकसित भारत' के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण बताया। वीर बाल दिवस गुरु गोविंद सिंह के चार साहिबजादों की शहादत की याद में मनाया जाता है। तमिलनाडु की ब्योमा और बिहार के कमलेश कुमार को मरणोपरांत पुरस्कार दिया गया, जिसे उनके माता-पिता ने स्वीकार किया।
पुरस्कार पाने वाले बच्चों में फिरोजपुर के श्रवण सिंह भी शामिल हैं। उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान सीमा पर तैनात जवानों को चाय-नाश्ता पहुंचाकर अपनी बहादुरी दिखाई थी। वहीं, 14 साल के क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी भी दिल्ली में पुरस्कार लेने पहुंचे। इस वजह से वे विजय हजारे टूर्नामेंट में मणिपुर के खिलाफ अपना मैच नहीं खेल पाए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 20 बच्चों को कला, संस्कृति, खेल और इनोवेशन समेत अलग-अलग क्षेत्रों में उनकी असाधारण उपलब्धियों और योगदान को पहचान देते हुए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार दिया। राष्ट्रपति मुर्मू ने पुरस्कार पाने वालों को अपना आशीर्वाद भी दिया।
पुरस्कार पाने वालों में से एक छात्र ने बताया कि 'उन्हें यह पुरस्कार इनोवेशन कैटेगरी में दो इनोवेशन के लिए मिला है। मैंने दो एआई सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन बनाए हैं, जो लकवा से ग्रस्त मरीजों की उंगलियों और हाथों के मूवमेंट में मदद करते हैं। इनको भारत सरकार ने पेटेंट और कॉपीराइट भी किया है।'
पुरस्कार लेने वालों में एक छोटा बच्चा ऐसा भी है, जिसने 'ऑपरेशन सिंदूर' के समय भारतीय सेना के खानपान का ख्याल किया था। राष्ट्रपति से पुरस्कार लेने के बाद उसने कहा, 'यह पुरस्कार पाकर मैं बहुत खुश हूं। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे यह पुरस्कार मिलेगा और मैं राष्ट्रपति से मिलूंगा।'
पुरस्कार विजेता ने बताया कि जब 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू हुआ था और सीमापार से पाकिस्तान के ड्रोन भी आ रहे थे, तब भारतीय फौज भी उनके खेतों के पास तैनात थी। उसने कहा, 'तब मैंने उनकी सेवा करने के बारे में सोचा। मैं उनके लिए हर दिन मिठाई, चाय, छाछ और बर्फ लाता था।'
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, 'सभी बच्चों ने अपने परिवारों, समाज और पूरे देश का गौरव बढ़ाया है। इसलिए, मैं इन बच्चों के परिवार के सदस्यों को भी बधाई देती हूं। इतने अच्छे और होनहार बच्चों के लिए पुरस्कार समारोह आयोजित करने के लिए मैं महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी और उनकी पूरी टीम की सराहना करती हूं।' इस दिन के महत्व के बारे में बात करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि वीर बाल दिवस हर साल 26 दिसम्बर को सिख धर्म के दसवें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के बेटों, साहिबजादों के साहस और बलिदान का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है।
इन बहादुर बच्चों ने किया सीना चौड़ा
तमिलनाडु की 8 साल की ब्योमा की जान 6 साल के बच्चे की करंट से जान बचाते हुए चली गई थी। इस बहादुरी के लिए ब्योमा को मरणोपरांत बाल पुरस्कार मिला।
बिहार के कैमूर जिला निवासी कमलेश ने दुर्गावती नदी में डूब रहे बच्चे की जान बचाते जान गंवाई थी। इस बहादुरी के लिए कमलेश को बाल पुरस्कार दिया गया है, जो उसके पिता दुखी शाह ने लिया।
बिहार के ताजपुर निवासी 14 साल के वैभव सूर्यवंशी को भी बाल पुरस्कार दिया गया है। वैभव ने पाकिस्तानी क्रिकेटर का 39 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़कर इतिहास रचा था।
केरल के 11 साल के मोहम्मद सिद्दान ने बहादुरी दिखाते हुए करंट से अपने 2 दोस्तों की जान बचाई थी। इस बहादुरी के लिए सिद्दान को बाल पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है।
उत्तर प्रदेश के आगरा निवासी 9 साल के अजय राज के पिता को मगरमच्छ ने पकड़ लिया था, लेकिन अजय ने बिना डरे मगरमच्छ को लकड़ी से हमला करके भगाया था और अपने पिता की जान बचाई थी।
पंजाब के फिरोजपुर निवासी 10 साल के श्रवण ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जवानों को चाय-दूध पिलाकर उनकी सेवा की थी, इसी जिंदादिली के लिए श्रवण को बाल पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया.
आंध्र प्रदेश की 17 वर्षीय शिवानी होसरु उप्परा पैरा एथलीट हैं और खेलों में दिव्यांग शिवानी के बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें बाल पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
झारखंड की 14 वर्षीय फुटबॉलर अनुष्का को खेल क्षेत्र में शानदान प्रदर्शन के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2025 देकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सम्मानित किया।
गुजरात के सूरत जिले की रहने वाली 7 साल की ग्रैंडमास्टर चेस प्लेयर को वाका लक्ष्मी प्रज्ञिका वर्ल्ड चैम्पियन हैं। फिडे वर्ल्ड स्कूल चेस चैम्पियनशिप 2025 में सभी 9 मुकाबले जीतकर लक्ष्मी ने खिताब जीता था। इस बेहतरीन प्रदर्शन के लिए लक्ष्मी को बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
छत्तीसगढ़ के कोनागांव निवासी 14 साल की योगिता मंडावी ने बचपन में ही माता-पिता को खो दिया। नक्सली प्रभावित इलाके में रहते हुए भी हिम्मत नहीं हारी और जूडो की नेशनल प्लेयर बनीं। कई नेशनल अवॉर्ड जीत चुकी योगिता की हिम्मत को पुरस्कृत करने के लिए उन्हें बाल पुरस्कार दिया गया है।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिला निवासी 17 वर्षीय पूजा ने एक ऐसी थ्रेसर मशीन बनाई है, जिससे धूल मिट्टी नहीं उड़ती और यह वायु प्रदूषण को रोकने में कारगर है। इस अनोखे आविष्कार के लिए पूजा को बाल पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है।
