कांसे को चांदी में बदला फिर भी भारतीयों का टूटा दिल

खिताब और विश्व कप टिकट से चूकीं भारतीय हॉकी बेटियां
खेलपथ संवाद
हांगझोउ। एक गोल से बढत बनाने के बाद आखिरी क्वार्टर में लय खोने का खामियाजा भारतीय महिला हॉकी टीम को भुगतना पड़ा। चीन ने रविवार को एशिया कप फाइनल में उसे 4-1 से हराकर अगले साल होने वाले विश्व कप के लिए सीधे क्वालीफाई करने से भी वंचित कर दिया। पिछले सत्र में भारत ने कांस्य पदक जीता था लेकिन इस बार पदक का रंग बदलना संतोष की बात कह सकते हैं।
बेल्जियम और नीदरलैंड में अगले साल होने वाले विश्व कप में सीधे प्रवेश करने के लिए भारत को यह खिताब जीतना था लेकिन उसका सपना अधूरा रह गया। मेजबान चीन ने दमदार प्रदर्शन करते हुए भारत को 4-1 से मात दी। भारतीय टीम पूरे टूर्नामेंट में शानदार लय में दिखी थी और फाइनल तक पहुंचने का सफर काबिल-ए-तारीफ रहा, लेकिन निर्णायक मुकाबले में टीम अपनी लय कायम नहीं रख सकी और दूसरे हाफ में लगातार गोल खाकर पिछड़ गई।
फाइनल मैच का आगाज भारतीय टीम के लिए उम्मीदों भरा रहा। मुकाबले के पहले ही मिनट में भारत को पेनल्टी कॉर्नर करने को मिला। इसका फायदा उठाते हुए अनुभवी फॉरवर्ड नवनीत कौर ने शानदार ड्रैग फ्लिक लगाते हुए गेंद को नेट में पहुंचा दिया। इस गोल से भारत ने शुरुआती बढ़त बना ली और पूरे स्टेडियम में जोश भर गया। नवनीत का शॉट ताकत और सटीकता का बेहतरीन उदाहरण था।
इसके बाद भी भारतीय डिफेंस ने शुरुआती क्वार्टर में बेहतरीन खेल दिखाया। गोलकीपर बिचू देवी और डिफेंडर सुनेलिता टोप्पो ने कई मौकों पर चीन के हमलों को रोककर बढ़त बरकरार रखी। भारतीय टीम पर लगातार दबाव बनाने का फायदा चीन को 21वें मिनट में मिला जब कप्तान ओउ जिक्सिया ने पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलकर स्कोर 1-1 से बराबर कर दिया और हाफ टाइम तक यह मुकाबला बराबरी पर ही रहा।
तीसरे क्वार्टर में भारत ने एक बार फिर दमखम दिखाया। टीम ने कई बार विपक्षी सर्कल में एंट्री की और गोल करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय महिला टीम ने उनकी कोशिश को नाकाम कर दिया। 40वें मिनट में भारत को एक पेनल्टी कॉर्नर भी मिला, लेकिन टीम इसे गोल में तब्दील करने में नाकाम रही। इसके तुरंत बाद चीन ने फुर्ती के साथ काउंटर अटैक किया। ली होंग ने शानदार बैक-हैंड शॉट लगाकर गोलकीपर को मात दी और चीन को 2-1 की बढ़त दिला दी।
ली होंग का यह शानदार गोल भारत पर दबाव बढ़ाने वाला साबित हुआ। चौथे क्वार्टर में चीन ने पूरी तरह मैच पर कब्जा जमा लिया। 51वें मिनट में यिंग झांग के पास पर जोउ मेइरोंग ने फुर्ती से तीसरा गोल दागा। मात्र दो मिनट बाद, 53वें मिनट में झोंग जियाकी ने शानदार व्यक्तिगत मूवमेंट दिखाया और चौथा गोल दाग दिया। लगातार तीन गोल खाने के बाद भारतीय टीम मैच में वापसी नहीं कर सकी। अंतिम सीटी तक स्कोर 4-1 रहा और चीन ने खिताब अपने नाम कर लिया।
भारतीय टीम की ओर से शुरुआती गोल करने वाली नवनीत कौर के अलावा कोई खिलाड़ी स्कोर बोर्ड पर नाम नहीं दर्ज करा सकी। प्रतियोगिता में भारतीय टीम के समूचे प्रदर्शन को देखें तो चैम्पियन जैसा कतई नहीं रहा। भारतीय टीम प्रतियोगिता में चीन ही नहीं जापान को भी तो नहीं हरा सकी। खैर हॉकी बेटियों की यह चांदी उनका हौसला बढ़ाने तथा चमकदार प्रदर्शन के लिए प्रेरणा का काम करेगी।