खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने किया दिव्या को सम्मानित

कोनेरू हम्पी को हराकर देशमुख बनीं 'ग्रैंडमास्टर'

खेलपथ संवाद

नई दिल्ली। केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया  ने शुक्रवार को फिडे महिला शतरंज विश्व कप फाइनल विजेता दिव्या देशमुख को सम्मानित किया। वह हाल ही में कोनेरू हम्पी को हराकर भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर बनी हैं।

केन्द्रीय खेल मंत्री द्वारा सम्मानित होने के बाद दिव्या ने कहा, 'मुझे बहुत खुशी है कि यह खिताब भारत आया है। कोनेरू बहुत अच्छा खेलीं लेकिन मुझे किस्मत का साथ मिला और मैं चैम्पियन बन गयी। फाइनल में मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी यह थी कि इस खिताब का भारत आना तय हो गया था।

माननीय मंत्री द्वारा सम्मानित किए जाने पर मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही है क्योंकि यह खिलाड़ियों को प्रेरित करता है और युवाओं को यह संदेश देता है कि उन्हें देश का समर्थन प्राप्त है। मैं शतरंज के लिए लगातार समर्थन देने के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) और खेल मंत्रालय को भी धन्यवाद देना चाहती हूं। इस तरह का निरंतर प्रोत्साहन देश में खेल को बढ़ाने में मदद करेगा।'

विश्व कप विजेता बनने के साथ दिव्या ने ग्रैंडमास्टर की उपलब्धि भी हासिल कर ली। उन्होंने अपने अभियान के दौरान झू जिनर, द्रोणावल्ली हरिका, और तान झोंग्यी जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को मात दी। मांडविया ने कहा कि महिला विश्व कप में भारत की जीत देश की खेल प्रतिभा का प्रमाण है। उन्होंने कहा, 'आप जैसे ग्रैंडमास्टर नयी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे। इससे अधिक युवा खेलों में रुचि लेंगे, खासकर शतरंज जैसे मानसिक खेल में। शतरंज को दुनिया को भारत का एक तोहफा माना जा सकता है और यह प्राचीन काल से खेला जाता रहा है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप दोनों से प्रेरणा लेकर भारत की कई बेटियां दुनिया में आगे बढ़ेंगी।'

खेल मंत्री ने हम्पी की भी सराहना की

खेल मंत्री ने इस दौरान हम्पी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा, 'मुझे पता है कि उन्होंने अपने सफर में कई लोगों को प्रेरित किया है। उन्होंने एक लंबी और विशिष्ट पारी खेली है। मुझे याद है कि मैं घर जाकर अपने बच्चों के साथ उनके मैच को देखता था।'

इस कार्यक्रम से ऑनलाइन तरीके से जुड़ी हम्पी ने कहा, 'यह एक बहुत लंबा और थका देने वाला टूर्नामेंट था। दो पीढ़ियों के शतरंज खिलाड़ियों के आमने-सामने होने के कारण भारत ने फाइनल में अपना दबदबा बनाया और खिताब भारत के नाम रहा।' हम्पी 2002 में महज 15 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बनीं थी।

रिलेटेड पोस्ट्स