डॉ. मुकुंद मूंदड़ा और उनकी टीम के प्रयासों से बची बबिता की जान
के.डी. हॉस्पिटल में हुई युवती के आंतों की मुश्किल सर्जरी
मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के जाने-माने गैस्ट्रो सर्जन डॉ. मुकुंद मूंदड़ा बाबूगढ़, वृंदावन, मथुरा निवासी बबिता (25 वर्ष) पत्नी कैलाश के लिए भगवान साबित हुए। डॉ. मूंदड़ा और उनकी टीम ने तीन स्टेज में संक्रमण के चलते बबिता की फटी आंतों की मुश्किल सर्जरी कर उसे नया जीवन दिया। अब बबिता पूरी तरह से स्वस्थ है तथा उसे छुट्टी दे गई है।
जानकारी के अनुसार कोई तीन माह पहले बाबूगढ़, वृंदावन, मथुरा निवासी बबिता (25 वर्ष) पत्नी कैलाश को गम्भीर अवस्था में के.डी. हॉस्पिटल लाया गया, उसकी आंतें फटी हुई थीं तथा पेट में संक्रमण फैल चुका था। उसकी गम्भीर स्थिति को देखते हुए डॉ. मुकुंद मूंदड़ा ने सीटी स्कैन कराई। सीटी स्कैन से उसकी बीमारी का पता चला, इतना ही नहीं वह ढाई माह के गर्भ से भी थी। युवती की गम्भीर स्थिति को देखते हुए परिजनों को तत्काल सर्जरी की सलाह दी गई।
परिजनों की स्वीकृति मिलने के बाद डॉ. मूंदड़ा और उनकी टीम ने सबसे पहले सर्जरी के माध्यम से बबिता के पेट की सफाई कर संक्रमण खत्म किया। आंतों की स्थिति बहुत खराब होने की वजह से उन्हें बाहर निकाला गया तथा बच्चेदानी की भी सफाई की गई। सर्जरी के माध्यम से मरीज को सबसे पहले खतरे से बाहर निकाला गया उसके तीन महीने बाद बाहर निकाली गई आंतों को यथास्थान शिफ्ट किया गया। इस सर्जरी को मेडिकल भाषा में लैपरोटॉमी कहा जाता है। सर्जरी में डॉ. मुकुंद मूंदड़ा का सहयोग डॉ. यतीश शर्मा, डॉ. अपूर्वा डी, डॉ. सिद्धार्थ वर्मा, डॉ. आशीष माधवन तथा निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. जयेश ने दिया। बबिता को कुछ दिन गहन चिकित्सा इकाई में रखने के बाद, पूरी तरह से स्वस्थ होने पर छुट्टी दे दी गई।
डॉ. मूंदड़ा का कहना है कि यह काफी मुश्किल सर्जरी थी। मरीज को यहां लाने में भी काफी विलम्ब हुआ। जब उसे के.डी. हॉस्पिटल लाया गया उस समय उसकी स्थिति काफी नाजुक थी। ऐसे ऑपरेशन प्रायः तीन स्टेज में ही किए जाते हैं। डॉ. मूंदड़ा का कहना है कि के.डी. हॉस्पिटल में चूंकि हर तरह की आधुनिकतम चिकित्सा सुविधाएं, विशेषज्ञ चिकित्सक तथा टेक्नीशियन हैं इसलिए यहां मुश्किल से मुश्किल सर्जरी आसानी से सम्भव हो पाती है। कैलाश ने पत्नी बबिता की जान बचाने के लिए के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सकों तथा प्रबंधन का आभार माना। कैलाश का कहना है कि वह पूरी तरह निराश हो गए थे लेकिन डॉ. मूंदड़ा के प्रयासों से ही बबिता की जान बच पाई।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल, डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने बड़ी और सफल सर्जरी के लिए डॉ. मूंदड़ा और उनकी टीम को बधाई दी।