नीरज चोपड़ा ने नवाबों के शहर लखनऊ को सराहा

कहा- पेरिस के अलावा अरशद नदीम मुझसे हमेशा हारा
युवा खिलाड़ी धैर्य रखें और अपनी तकनीक पर काम करें
खेलपथ संवाद
लखनऊ।
पेरिस ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने से चूकने पर अब नीरज चोपड़ा का बयान आया है। उन्होंने बताया कि वह अरशद नदीम का दिन था। बता दें कि, ओलम्पिक 2024 में नीरज स्वर्ण पदक से चूक गए थे। वहीं, पाकिस्तान के अरशद ने नया ओलम्पिक रिकॉर्ड बनाते हुए पहले ही प्रयास में 92.97 मीटर का थ्रो फेंककर स्वर्ण पदक जीता था। नीरज ने बातचीत में नवाबों के शहर लखनऊ में आए बदलाव को खूब सराहा।
नीरज चोपड़ा ने आठ अगस्त को हुए फाइनल में 89.45 मीटर भाला फेंककर रजत पदक जीता था। इसी के साथ वह लगातार दो ओलम्पिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक और फील्ड खिलाड़ी बने थे। उन्होंने  टोक्यो में स्वर्ण पदक जीता था। चोपड़ा ने कहा- कुछ भी गलत नहीं था, सब कुछ सही था। थ्रो भी अच्छा था। ओलम्पिक में रजत प्राप्त करना भी कोई छोटी चीज नहीं है। लेकिन मुझे लगता है कि प्रतियोगिता बहुत अच्छी थी और स्वर्ण पदक उसी ने जीता है जिसका वह दिन था। वह नदीम का दिन था।
चोपड़ा ने इस धारणा को खारिज किया कि हॉकी और क्रिकेट के बाद भाला फेंक भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता का गवाह बनने वाला नया खेल बन गया है। उन्होंने कहा- भाला फेंकने में कोई दो टीमें नहीं हैं, लेकिन विभिन्न देशों के 12 एथलीट हैं जो एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। मैं 2016 से भाला फेंक में नदीम के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा हूं और यह पहली बार है कि नदीम ने जीत हासिल की है।
नदीम के बारे में पूछने पर चोपड़ा ने कहा- वह (नदीम) एक अच्छा इंसान है, अच्छे तरीके से बोलता है, सम्मान करता है, इसलिए मुझे अच्छा लगता है। भालाफेंक में अपनी शुरूआत के बारे में उन्होंने कहा- वह एक अप्रत्याशित पल था, जब मैंने इसकी शुरुआत की। मुझे इसके बारे में कुछ भी नहीं पता था। जब मैं मैदान पर गया, उस समय यह निर्णय लिया। इस दौरान चोपड़ा ने बताया कि भाला फेंकने एथलीट को सबसे ज्यादा ताकत, सहनशक्ति, मानसिक सहनशक्ति की आवश्यकता होती है। उन्होंने आगे कहा- यह इन सभी चीजों का संयोजन है, और कोई एक चीज काम नहीं करेगी, बल्कि इन सभी चीजों को मिलाकर, जिसके पास सबसे अच्छी तकनीक होगी वह अच्छा प्रदर्शन करेगा।
पहले भी लखनऊ आ चुके चोपड़ा ने कहा- मैं इससे पहले 2012 में खेलने के लिए लखनऊ आया था और टोक्यो ओलम्पिक के बाद जब मुख्यमंत्री ने मुझसे आने के लिए कहा था। यह मेरा (लखनऊ का) तीसरा दौरा है। पहले के लखनऊ और अब के लखनऊ में बहुत अंतर है। उस वक्त मैं काफी छोटा था और चीजें ज्यादा याद नहीं रहतीं, उस वक्त मैं ट्रेन से आया था और अब अच्छा एयरपोर्ट बन गया है, अच्छा मॉल बना है और यह पहली बार है कि मैं यात्रा करके शहर को इतना करीब से देख पा रहा हूं। मुझे बहुत अच्छा लगा।
चोपड़ा ने लखनऊ के लालबाग इलाके में एक प्रसिद्ध आउटलेट पर चाय भी पी और लोगों के साथ सेल्फी ली। चोपड़ा ने युवाओं को सलाह देते हुए कहा- युवाओं से मैं कहूंगा कि उन्हें शुरुआत में ही यह नहीं मान लेना चाहिए कि वे पदक जीत लेंगे। उन्हें धैर्य रखना चाहिए, क्योंकि खेल में आपका काफी समय खर्च होता है। आपके शरीर को बढ़ने के लिए समय चाहिए, आपकी मांसपेशियां अच्छे तरीके से मजबूत होंगी, धैर्य रखें और अपनी तकनीकों पर काम करें।

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