डर के साये में जी रहे गोरखपुर के खेल प्रशिक्षक और खिलाड़ी
चार दिन बाद भी प्रशिक्षक प्रवीण कुमार को नहीं मिला इंसाफ
मैं रहूं या न रहूं समझौता कतई नहीं करूंगाः पॉवरलिफ्टिंग प्रशिक्षक
खेलपथ संवाद
गोरखपुर। खेल अधिकारियों की हीलाहवाली से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर का रीजनल स्पोर्ट्स स्टेडियम प्रशिक्षकों तथा खिलाड़ियों के लिए सुरक्षित नहीं रहा। बुधवार शाम यातायात उप निरीक्षक राकेश कुमार सिंह, उसके बेटे नन्हें सिंह तथा उसके साथियों ने पॉवरलिफ्टिंग प्रशिक्षक प्रवीण कुमार और कई खिलाड़ियों की बेरहमी से पिटाई की। दुखद बात तो यह कि इस गम्भीर मामले में अभी तक कैंट पुलिस ने प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की है। प्रशिक्षक जिला अस्पताल में दर्द से कराह रहा है, उसे इंसाफ दिलाने की बजाय समझौते का दबाव बनाया जा रहा है।
प्रशिक्षक प्रवीण कुमार और खिलाड़ियों के साथ हुई मारपीट से रीजनल स्पोर्ट्स स्टेडियम गोरखपुर ही नहीं समूचे उत्तर प्रदेश के क्रीड़ांगनों में भय का वातावरण निर्मित हो गया है। सवाल यह कि यदि किसी खेल अधिकारी के साथ ऐसी ही वारदात हुई होती तो भी क्या खेल निदेशालय इसी तरह चुप्पी साधे रहता। दुखद तो यह भी कि यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जनपद है, बावजूद सद्भाव का पाठ पढ़ाने वाले क्रीड़ांगन प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों के लिए सुरक्षित नहीं हैं। अपने जीवन के 24 साल खेल विभाग को देने वाला पॉवरलिफ्टिंग प्रशिक्षक प्रवीण कुमार बहुत दुखी है, उसकी आंतरिक चोटों और पीड़ा की किसी को परवाह नहीं है। मीडिया लगातार मामले के हर पहलू को उजागर कर रहा है लेकिन सम्मानित प्रशिक्षक को इंसाफ दिलाने की खेल निदेशालय लखनऊ और क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी आले हैदर की तरफ से रत्ती भर भी कोशिश नहीं हुई है।
नियमतः इस गम्भीर मामले में क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी आले हैदर को तत्काल प्राथमिकी दर्ज करवानी थी लेकिन वह अपनी ही जांच समिति का ढिंढोरा पीट रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि रीजनल स्पोर्ट्स स्टेडियम गोरखपुर इससे पहले भी कई बार फसाद का अखाड़ा बन चुका है लेकिन हर बार हर वारदात पर सुलह की मुहर लगाई गई। मारपीट से घायल हुए प्रशिक्षक और खिलाड़ियों की पीड़ा का भान अभी भी आले हैदर को नहीं है।
दूरभाष पर हुई खेलपथ से बातचीत में प्रशिक्षक प्रवीण कुमार ने जो कुछ भी बताया वह काफी चौंकाने वाला है। रीजनल स्पोर्ट्स स्टेडियम गोरखपुर में जो कुछ हुआ उसके पीछे वेटलिफ्टिंग प्रशिक्षक की भूमिका संदेह के घेरे में है। वाराणसी से आए खेल गुरु वर्चस्व जमाने की खातिर बाहरी अराजक तत्वों का सहारा ले रहे हैं। मारपीट की इस वारदात में सुलह-समझौता कराने की हो रही कोशिशों पर प्रशिक्षक राजू का कहना है कि मैं रहूं या न रहूं अपने साथी प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों के लिए अंतिम सांस तक लड़ूंगा।
गंभीर रूप से घायल पाॅवरलिफ्टिंग प्रशिक्षक प्रवीण कुमार ने कैंट थाने में यातायात पुलिस के उप निरीक्षक और उसके पुत्र तथा वेटलिफ्टिंग प्रशिक्षक के खिलाफ दी तहरीर वापस लेने से साफ इंकार कर दिया है। राजू का कहना है कि वह किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे। प्रशिक्षक राजू ने बताया कि आरएसओ साहब आए थे। कुशलक्षेम जानकर चले गए। आरएसओ के निर्देश पर मामले की जांच कर रही तीन सदस्यीय आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ अपनी रिपोर्ट सम्भवतः आज (शनिवार) सौंप देगा। आरएसओ आले हैदर कहते हैं कि जांच रिपोर्ट के आधार पर ही इस मामले में आगे कार्रवाई की जाएगी। घटना में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
इस गम्भीर वारदात के बाद खेल विभाग सक्रिय हो गया है। रीजनल स्पोर्ट्स स्टेडियम में प्रशिक्षण को आने वाले विभिन्न खेलों के खिलाड़ियों के प्रवेश पत्र देखने के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है। आरएसओ आले हैदर ने शुक्रवार को प्रवेश ले चुके एक-एक खिलाड़ियों के परिचय पत्र देखे। इस दौरान अनधिकृत रूप से प्रवेश करने वालों को सख्त हिदायत देते हुए उन्हें स्टेडियम से बाहर किया गया। साथ ही यह चेतावनी दी गई कि भविष्य में यदि कोई बिना परिचय पत्र के स्टेडियम में पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई करते हुए पुलिस को सौंप दिया जाएगा। आले हैदर की यह सक्रियता क्या गोरखपुर में खेलों का बेहतर माहौल बना सकेगी, यह तो भविष्य ही बताएगा।