ग्वालियर की बिटिया रजनी पेरिस पैरालम्पिक में दिखाएगी दम
हंगरी में पैरा खिलाड़ी रजनी झा ने किया बेजोड़ प्रदर्शन
खेलपथ संवाद
ग्वालियर। कहते हैं कि सपने सभी को देखना चाहिए लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए उसे मशक्कत करने से भी पीछे नहीं रहना चाहिए। ग्वालियर की बेटी रजनी झा ने न केवल सपना देखा बल्कि हंगरी में आयोजित आईसीएफ कैनो स्प्रिंट वर्ल्ड कप और पैराकैनो वर्ल्ड चैम्पियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए पेरिस पैरालम्पिक के लिए भी क्वालीफाई कर लिया।
मध्य प्रदेश राज्य क्याकिंग-केनोइंग एकेडमी भोपाल की प्रशिक्षु पैरा खिलाड़ी रजनी झा ने केएल-2 वूमेन 200 मीटर में ओलम्पिक गेम्स के क्वालीफिकेशन के सेमीफाइनल मुकाबले में अपनी शारीरिक दक्षता तथा शानदार खेल कौशल से एक मिनट 9.25 सेकेंड का समय लेकर तृतीय स्थान प्राप्त करते हुए फाइनल राउण्ड के लिए अपनी जगह सुनिश्चित की।
रजनी के प्रशिक्षक कैप्टन पिजूष कांती बरोई ने बताया कि फाइनल में जगह बनाते ही रजनी ने पेरिस पैरालम्पिक खेलने की पात्रता हासिल कर ली। प्रतियोगिता में केएल-2 वूमेन 200 मीटर स्पर्धा में इजराइल की तालिया ने पहला तथा चीन की डानक्विन वांग ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। आज शनिवार को फाइनल मुकाबला होगा। फाइनल मुकाबले में नौ खिलाड़ी प्रतिभागिता करेंगे। यह खिलाड़ी चायना, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, इंग्लैण्ड, स्पेन, इजराइल और भारत के हैं।
ग्वालियर की बिटिया रजनी झा फिलवक्त मध्य प्रदेश राज्य क्याकिंग-केनोइंग एकेडमी भोपाल में प्रशिक्षक कैप्टन पिजूष कांती बरोई के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण हासिल कर रही है। कैप्टन पिजूष के मुताबिक रजनी बहुत प्रतिभाशाली है। रजनी ने छह महीने पहले एकेडमी में एसोसिएट प्लेयर के रूप में प्रवेश लिया था। रजनी विक्रम अवॉर्ड प्राप्त खिलाड़ी है तथा भोपाल आरटीओ में कार्यरत है। रजनी के पैरालम्पिक में चयनित होने पर पूरे मध्य प्रदेश में खुशी का माहौल है। यह पहला अवसर है जब वाटर स्पोर्ट्स में मध्य प्रदेश के दो पैरा खिलाड़ी पैरालम्पिक में प्रतिभागिता करेंगे। मध्य प्रदेश राज्य क्याकिंग-केनोइंग एकेडमी भोपाल की जहां तक बात है यहां के खिलाड़ियों ने वर्ष 2007 से अब तक राष्ट्रीय स्तर पर 469 स्वर्ण, 313 रजत और 166 कांस्य सहित कुल 948 पदक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 10 स्वर्ण, 15 रजत और19 कांस्य सहित 44 पदक अर्जित किये हैं।
आरटीओ में क्लर्क के पद पर पदस्थ इंटरनेशनल पैरा खिलाड़ी रजनी झा जब एक साल की थी तभी उसे पोलियो हो गया था। पूरा शरीर काम नहीं करता था। डॉक्टर के कहने पर 6 साल की उम्र में उसने स्वीमिंग शुरू की। एक्वा थैरेपी के माध्यम से बॉडी मूव होने में मदद मिली और स्वीमिंग को ही खेल के रूप में अपना लिया। रजनी की शानदार उपलब्धियों को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार इसे एकलव्य और विक्रम अवॉर्ड से नवाज चुकी है। इतना ही नहीं खेल कोटे से वह मध्य प्रदेश परिवहन निगम में क्लर्क बनी। रजनी का चयन वर्ष-2006 में मलेशिया में खेले गए एशिया फेसिपिक गेम्स के लिए हुआ। यही उसकी लाइफ का टर्निंग पॉइंट था। वहां उसे एक गोल्ड और एक ब्रांज मिला था। इसके बाद रजनी स्पोर्ट्स को लेकर सीरियस हो गई। इस बेटी ने सफलता की ऐसी कहानी लिखी है जोकि हर किसी के लिए प्रेरणादायी है।