यूपी के घर बैठे खेल प्रशिक्षकों को शीघ्र मिलेगा सेवा का अवसर
खेल निदेशालय ने शासन को भेजा 400 प्रशिक्षकों का प्रस्ताव
पूर्व की दोनों आउटसोर्सिंग कम्पनियां अब नहीं देना चाहतीं सेवाएं
खेलपथ संवाद
लखनऊ। पिछले दो माह से घर बैठे खेल प्रशिक्षकों की तैनाती के प्रयास खेल निदेशालय उत्तर प्रदेश ने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए खेल निदेशालय ने शासन को 400 अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव भेजा है। अब देखना यह है कि लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत लगी आचार संहिता के चलते प्रशिक्षकों की नियुक्ति कब और कैसे होती है।
खेल निदेशालय के विधान के मुताबिक प्रदेश के अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों को एक अप्रैल से ही सेवा में ले लिया जाना चाहिए था लेकिन मेसर्स टी एण्ड एम सर्विसेज कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड मुम्बई और मेसर्स अवनि परिधि एनर्जी एण्ड कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ से 31 जनवरी, 2024 को अनुबंध समाप्त होने तथा लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत लगी आचार संहिता के चलते विलम्ब हो गया। सूत्र बताते हैं कि यह दोनों आउटसोर्सिंग कम्पनियां अब खेल निदेशालय को मैन पॉवर नहीं देना चाहतीं। एक कम्पनी को तो शासन से मिलने वाले सेवा शुल्क पर भी एतराज है।
खैर, उत्तर प्रदेश के खेल प्रशिक्षकों की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए खेल निदेशालय को उन्हें पुनः सेवा में लिया जाना चाहिए। वैसे भी पिछले तीन साल में प्रशिक्षकों को निर्धारित 10 माह की सेवा का अवसर नहीं मिला। दूसरे मेसर्स टी एण्ड एम सर्विसेज कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड मुम्बई ने 200 से अधिक प्रशिक्षकों को अभी तक दो माह का मानदेय भुगतान भी नहीं किया है। कम्पनी का कहना है कि खेल निदेशालय ने ही मानदेय का भुगतान नहीं किया है। तो दूसरी तरफ खेल निदेशालय बजट खत्म होने का रोना रोता रहा।
वैसे उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्रीड़ांगनों में खेल प्रशिक्षण की शुरुआत एक अप्रैल से हो जानी चाहिए थी लेकिन अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों की तैनाती नहीं होने से नवोदित प्रतिभाएं प्रशिक्षण से वंचित हैं। विभागीय सूत्रों का कहना है कि प्रशिक्षकों की तैनाती का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है, कुछ दिनों में लगभग चार सौ प्रशिक्षकों को सेवा का अवसर मिल सकता है तथा जिन प्रशिक्षकों का गत वर्ष दिसम्बर और इस वर्ष जनवरी माह का मानदेय बकाया है, उन्हें मानदेय का भुगतान भी अगले कुछ दिनों में कर दिया जाएगा।
खेल निदेशालय को प्रदेश के तकरीबन सभी जिलों में एक अप्रैल से प्रशिक्षण शिविर शुरू कर देना चाहिए लेकिन यह काम कभी समय से नहीं हुआ। दुर्भाग्य तो इस बात का कि विभाग बेशक प्रशिक्षण शिविर समय से शुरू नहीं कर पाता हो लेकिन समय से खत्म अवश्य कर देता है। इस बार खेल विभाग ने समय से खेल प्रशिक्षण शिविर शुरू करने का भरोसा दिया था लेकिन मामला आउटसोर्सिंग प्रक्रिया में ही उलझ कर रह गया है।
इन सब उलझनों के बीच राजधानी लखनऊ तथा एकाध अन्य जिले में खेल प्रोत्साहन समिति के माध्यम से दो माह शिविर संचालित किए गए लेकिन अन्य जिलों में फरवरी और मार्च माह में खेल गतिविधियां पूरी तरह से ठप रही हैं। प्रशिक्षकों के मामले में खेल निदेशक डॉ. आर.पी. सिंह का कहना है कि हमारी ओर से शासन को प्रदेश के 400 अंशकालिक प्रशिक्षकों की तैनाती का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। स्वीकृति मिलते ही उन्हें पूर्व की भांति संबंधित जिलों में तैनाती दे दी जाएगी। जहां तक दिसम्बर-जनवरी माह में बकाया वेतन का सवाल है तो शासन से इसका आधा बजट मिल गया है, जल्द ही प्रशिक्षकों के खाते में पैसा ट्रांसफर हो जाएगा।