यूपी में पुराने खिलाड़ियों को मैदान में उतारने की कार्ययोजना पर अमल कब

अब प्रदेश की घर बैठी ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को भी मिलेगा मौका
खेलपथ संवाद
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश को खेलों में उत्तम प्रदेश बनाने की योजनाएं तो बनती हैं लेकिन उन पर अमल नहीं होने से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हसरतें अधूरी रह जाती हैं। दिसम्बर महीने में सरकार ने तय किया था कि नए के साथ उन पुराने खिलाड़ियों को भी मौका दिया जाए, जो अपने छात्र जीवन में विभिन्न स्तर की प्रतियोगिताएं खेल चुके हैं। पुराने व अनुभवी खिलाड़ियों के फिर से मैदान में उतरने से नए खिलाड़ियों को खेल की बारीकियां समझने और तैयारी में मदद मिलेगी। जो भी हो योजना तो बनी लेकिन अमल में कब आएगी यह बताने वाला कोई नहीं है।
उत्तर प्रदेश को खेलों में उत्तम प्रदेश बनाना इसलिए सम्भव नहीं क्योंकि खेल निदेशालय ही नहीं चाहता कि प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों का भला है। फिलवक्त प्रदेश में प्रशिक्षण का काम बंद है, प्रशिक्षकों के अभाव में एक अप्रैल से प्रशिक्षण शुरू हो पाएगा इसमें भी संदेह है। खैर, संसाधन व सुविधाओं के अभाव में घर बैठी ग्रामीण खेल प्रतिभाएं मैदान में फिर अपना करिश्मा दिखाएंगी। इसके लिए सभी जिला युवा एवं क्रीड़ा अधिकारियों को ऐसी प्रतिभाओं को तलाश कर मैदान तक लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन्हें सरकार वे सभी सुविधाएं देगी जो उनके खेल के लिए जरूरी होंगी। ऐसे खिलाड़ियों में वरीयता दी जाएगी, जो तहसील, जिला व प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं, लेकिन नौकरी या सुविधा न मिलने की वजह से गांवों में रह रहे हैं।
सरकार का शहर के साथ ग्रामीण खेलों के विकास पर भी फोकस है। इसके लिए सभी ग्राम पंचायतों में खेल मैदान व स्टेडियम बनाए जा रहे हैं। ब्लाॅक, तहसील व जिलास्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन करके ग्रामीण खिलाड़ियों को मौका दिया जा रहा है। इसी कड़ी में सरकार ने तय किया है कि नए के साथ उन पुराने खिलाड़ियों को भी मौका दिया जाए, जो अपने छात्र जीवन में विभिन्न स्तर की प्रतियोगिताएं खेल चुके हैं। पुराने व अनुभवी खिलाड़ियों के फिर से मैदान में उतरने से नए खिलाड़ियों को खेल की बारीकियां समझने और तैयारी में मदद मिलेगी। युवा कल्याण विभाग के इससे संबंधित ड्राफ्ट को मंजूरी के लिए उच्च स्तर पर भेज दिया गया है। मंजूरी मिलते ही व्यवस्था लागू कर दी जाएगी।
युवा कल्याण व खेल विभाग मिलकर करेंगे काम
चूंकि ग्रामीण क्षेत्रों में युवा कल्याण व खेल विभाग द्वारा खेल संसाधनों का विकास किया जा रहा है, इसलिए पुराने खिलाड़ियों को जोड़ने की जिम्मेदारी दोनों विभागों को आपसी समन्वय से निभाने को कहा गया है। प्रस्ताव के मुताबिक वॉलीबाल, जेवलिन थ्रो, दौड़, फुटबॉल, हैंडबॉल, कबड्डी व हॉकी के पुराने खिलाड़ियों को तरजीह दी जाएगी। प्रस्ताव के तहत 35 से 40 साल की उम्र वाले पुराने खिलाड़ियों को ग्रामीण खेल मैदानों में कोच के तौर पर रखा जाएगा। पहले चरण में 86 ग्रामीण स्टेडियमों में इनकी नियुक्ति आउटसोर्सिंग के माध्यम से होगी। मानदेय 12000 रुपये प्रतिमाह रखा गया है। कम उम्र वाले खिलाड़ियों को जरूरत के मुताबिक स्पोर्ट्स कॉलेजों में फिर से दाखिला और जरूरत पड़ने पर इन कॉलेजों में सीटें भी बढ़ाई जा सकेंगी। इनमें ऐसे खिलाड़ियों का चयन होगा, जिनकी उम्र कम है और अधिक समय तक खेलने की क्षमता हो।

 

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