दिव्यांग खिलाड़ियों का प्रधानमंत्री मोदी ने बढ़ाया हौसला

कहा- आप जीते हैं या सीखे हैं, हारना कुछ नहीं होता
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि देश बदलाव की बयार देख रहा है और उनकी एथलीट-केंद्रित सरकार खिलाड़ियों के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर कर रही है। प्रधानमंत्री ने दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में हांगझोऊ पैरा एशियाई खेलो में पदक जीतकर लौटे भारतीय खिलाड़ियों से मुलाकात की। उन्होंने इस दौरान कहा कि उनकी सरकार एथलीटों को सर्वश्रेष्ठ सुविधाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, 'आज हम देश में बदलाव की बयार देख रहे हैं। पहले जब कोई खेल को अपनाता था तो लोग इसे जीवन का एक तय हिस्सा नहीं मानते थे। लेकिन अब चीजें बदल रही हैं। आप लोग भारत के बाहर थे और चीन में खेल रहे थे। आपको पता नहीं होगा कि मैं भी आपके साथ था। मैं हर पल आपकी हर गतिविधि को, आपके प्रयासों को आपके विश्वास को मैं यहां बैठकर जी रहा था। आप सभी ने जिस तरह देश का मान बढ़ाया है वो वाकई ही शानदार है।'
आपकी खुद से भी होती है प्रतिस्पर्धा
मोदी ने कहा, 'खेल हमेशा से प्रतिस्पर्धी होते हैं। आप हर खेल में एक-दूसरे से मुकाबला करते हैं। एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देते हैं। मैं जानता हूं कि एक मुकाबला आपके अंदर भी चलता है और आप खुद से भी प्रतिस्पर्धा करते हैं। आपको स्वयं से भी लड़ना पड़ता है।
उन्होंने कहा, 'सोना जितना तपता है, उतना ही निखरता है, उतना ही खरा उतरता है। उसी तरह आप तप करके खरे उतरे हैं। यहां जो खिलाड़ी चुने गए वो वहां से जीतकर आए तो कोई सीखकर आया। आपमें से एक भी हारकर नहीं आया। खेल में दो ही चीज होती हैं या तो जीतना या सीखना, हारना होता ही नहीं है।'
व्यक्तिगत एथलीट पर खर्च हो रहे 4-5 करोड़ रुपये
मोदी ने 2030 युवा ओलंपिक खेलो और 2036 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक को भारत में लाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई। उन्होंने कहा, 'देश ने हमेशा अच्छे एथलीट पैदा किए हैं, लेकिन शुरुआती वित्तीय सहायता की कमी उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन की राह में एक बड़ी बाधा बनकर आई। वह पुरानी सोच बदल गई है। आज व्यक्तिगत एथलीट पर 4-5 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। जब क्षमता को सही मंच मिलता है, तभी प्रदर्शन सुनिश्चित होता है। खेलो इंडिया और टारगेट ओलंपिक पोडियम जैसी योजनाएं सरकार की कुछ ऐसी बड़ी पहल हैं।'
आप देश के लिए बन जाते हैं प्रेरणा
मोदी ने कहा कि जब भी कोई पैरा एथलीट सफल होकर घर लौटता है तो वह न सिर्फ खुद को गौरवान्वित महसूस करता है बल्कि देश के लिए प्रेरणा बन जाता है। उन्होंने कहा, 'आप हर किसी को सोचने पर मजबूर कर देते हैं। अगर कोई दिव्यांग व्यक्ति इतना अच्छा प्रदर्शन कर रहा है तो यह उनके (सक्षम लोगों) लिए प्रेरणा बन जाता है। आपका प्रदर्शन जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को प्रेरित करके प्रभावित करता है।'
बच्चों को करें खेल के लिए प्रोत्साहित
पीएम ने पैरा एथलीटों से आग्रह किया कि वे अपने परिवार और घरों में बच्चों को खेलों के लिए प्रोत्साहित करें। पीएम ने यह भी बताया कि ग्वालियर में एक अत्याधुनिक विकलांगता खेल प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया गया है। पीएम ने पैरा एथलीटों से आग्रह किया कि वे सिर्फ यहीं नहीं रुकें और नए संकल्प और वादों के साथ आगे बढ़ें। उन्होंने कहा, 'आपने जो भी बाधाएं पार की हैं, वह देश के लिए आपका सबसे बड़ा योगदान है। आप में से कई लोग जन्म से ही दिव्यांग के साथ जी रहे हैं और आप में से कई लोगों को दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ा है। आपकी उपलब्धियां राष्ट्र के लिए प्रेरणा हैं और विपरीत परिस्थितियों पर मानवीय भावना की जीत हैं। आपकी प्रगति में सरकार आपके साथ है।' भारतीय पैरा एथलीटों ने इतिहास रच दिया। उन्होंने हांगझोऊ एशियाई पैरा खेलों में 111 पदक जीते। यह प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बहु-खेल प्रतियोगिता में देश के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है। पैरा एथलीटों ने 29 स्वर्ण, 31 रजत और 51 कांस्य के साथ कुल 111 पदक जीते।
पांचवें स्थान पर रहा भारत
पदक तालिका में भारत चीन (521 पदक: 214 स्वर्ण, 167 रजत, 140 कांस्य), ईरान (44 स्वर्ण, 46 रजत, 41 कांस्य), जापान (42 स्वर्ण, 49 रन, 59 कांस्य) और कोरिया (30 स्वर्ण, 33 रजत, 40 कांस्य) से नीचे पांचवें स्थान पर रहा, जो अपने आप में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। पहला पैरा एशियाई खेल 2010 में चीन के ग्वांगझू में आयोजित किया गया था, जहां भारत एक स्वर्ण सहित 14 पदकों के साथ 15वें स्थान पर रहा था। 2014 और 2018 संस्करण में भारत क्रमशः 15वें और नौवें स्थान पर रहा था।

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