जूनियर के साथ छोटे भाई-बहन सा व्यवहार करें सीनियर्सः डॉ. एस.के. कटारिया

के.डी. डेंटल कॉलेज में हुई एंटी रैगिंग पर कार्यशाला

खेलपथ संवाद

मथुरा। रैगिंग हमारे देश की शिक्षा प्रणाली के लिए अभिशाप है। रैगिंग से छात्र-छात्राओं को बचाने के लिए शिक्षण संस्थानों को पारिवारिक माहौल बनाने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में इससे सैकड़ों छात्र-छात्राओं का करिअर बर्बाद हुआ है। यह बातें गुरुवार को के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में आयोजित एंटी रैगिंग कार्यशाला में मुख्य अतिथि तथा डीसीआई की एंटी रैगिंग सेल के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) एस.के. कटारिया ने अपने सम्बोधन में कहीं।

के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में आयोजित एंटी रैगिंग कार्यशाला में प्रो. एस.के. कटारिया ने सभी यूजी व पीजी छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि रैगिंग का अर्थ किसी भी ऐसे कार्य को करना है जो किसी छात्र को शारीरिक, मानसिक तथा शर्मिंदगी से आहत करने का कारण बनता है। डॉ. कटारिया ने कहा कि रैगिंग अन्य अपराधों से भिन्न है क्योंकि इसका उद्देश्य केवल विकृत सुख प्राप्त करना है। उन्होंने सलाह दी कि यदि सीनियर छात्र-छात्राएं जूनियर्स के साथ छोटे भाई-बहन जैसा व्यवहार करें तो यह समस्या पैदा ही नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सभी स्कूल-कॉलेजों को छात्र-छात्राओं को परिवार सा माहौल देने की कोशिश करनी चाहिए।

डॉ. कटारिया ने कहा कि यदि किसी भी विद्यार्थी के साथ रैगिंग होती है तो उसे तुरंत कॉलेज की एंटी रैगिंग समिति को बताना चाहिए तथा रैगिंग समिति का भी यह कर्तव्य है कि वह शिकायत करने वाले छात्र या छात्रा की पहचान सुरक्षित और गुप्त रखे। प्रो. (डॉ.) कटारिया की जहां तक बात है यह डीसीआई के एंटी रैगिंग सेल के अध्यक्ष होने के साथ ही डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य भी हैं।

प्राचार्य और डीन डॉ. मनेष लाहौरी ने कहा कि के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल पूरी तरह से रैगिंग मुक्त संस्थान है। हमारे कॉलेज का एंटी रैगिंग सेल रैगिंग की रोकथाम और निषेध के साथ ही सभी छात्र-छात्राओं के स्वस्थ मानसिक विकास के लिए एक अच्छा माहौल प्रदान कर रहा है। इसका वही उद्देश्य है जो रैगिंग को खत्म करने के लिए एआईसीटीई का है। एंटी रैगिंग सेल का आदर्श वाक्य है 'टुगेदर, वी फील एट होम'। डॉ. लाहौरी ने कहा कि के.डी. डेंटल कॉलेज में सभी प्रवेशित छात्र-छात्राओं और उनके माता-पिता के लिए रैगिंग विरोधी हलफनामा भरना अनिवार्य है।

डॉ. लाहौरी ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य रैगिंग मुक्त परिसर बनाना है ताकि छात्र-छात्राएं पाठ्यचर्या और पाठ्येत्तर गतिविधियों में बिना किसी बाधा के एक साथ आ सकें और अपने शैक्षिक अनुभवों को विकसित कर सकें। अंत में छात्र-छात्राओं को एंटी रैगिंग से बचाव के लिए पुस्तिकाएं प्रदान की गईं। कार्यशाला में डॉ. उमेश चंद्र, डॉ. अजय नागपाल, डॉ. नवप्रीत, डॉ. शैलेंद्र चौहान, डॉ. विनय मोहन, डॉ. सोनल, डॉ. अतुल, डॉ. हस्ती, प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। अंत में प्राचार्य डॉ. लाहौरी ने प्रो. (डॉ.) एस.के. कटारिया को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका आभार माना।

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