मां के साथ और आशीर्वाद ने बनाया मजबूतः प्रगनाननंदा

कार्लसन के खिलाफ खेलना ही बड़ी उपलब्धि
नई दिल्ली।
रमेशबाबू प्रगनाननंदा विश्व कप के फाइनल में नार्वे के विश्व नंबर एक मैग्नस कार्लसन से हार जरूर गए, लेकिन चेन्नई के 18 वर्षीय इस शतरंज खिलाड़ी के लिए फाइनल में कार्लसन के खिलाफ खेलना ही बड़ी उपलब्धि है। प्रगनाननंदा ने कहा कि सच्चाई यह है कि उन्होंने फाइनल तक के सफर के बारे में सोचा ही नहीं था। 
होनहार प्रगनाननंदा ने कहा- उनके लिए फाइनल में पहुंचना और कार्लसन के खिलाफ खेलना ही बड़ी बात है। प्रगनाननंदा अपनी इस सफलता का श्रेय अपनी मां नागलक्ष्मी को देते हैं, जो पूरे टूर्नामेंट में उनके साथ साये की तरह रहीं। वह कहते हैं कि यह मां का साथ और उनका आशीर्वाद है, जिसने इस टूर्नामेंट में उन्हें मजबूती प्रदान दी।
प्रगनाननंदा विश्व कप की इस सफलता को अपनी मां, परिवार और कोच आरबी रमेश को समर्पित करते हैं। वह बताते हैं कि यह पहली बार नहीं है जब उनकी मां किसी टूर्नामेंट में उनके साथ थीं। वह हमेशा उनके साथ विदेशी टूर्नामेंटों में जाती हैं। इस दौरान वह उनकी हर छोटी से छोटी चीज का ख्याल रखती हैं, जिससे वह अपने को मैच केलिए तैयार कर पाते हैं। प्रगनाननंदा बताते हैं कि उन्हें भारतीय खाना, खासतौर पर दक्षिण भारतीय व्यंजन पसंद हैं। उनकी मां ने उन्हें विदेशी दौरों पर अपने हाथ से दक्षिण भारतीय व्यंजन बनाकर खिलाती हैं।
कार्लसन के खिलाफ मौके का फायदा नहीं उठाया
इससे पहले रैपिड प्रारूप में कार्लसन को तीन बार हरा चुके प्रगनाननंदा फाइनल के बारे में बताते हैं कि टाईब्रेकर की पहली बाजी में वह अच्छा नहीं कर पाए। हालांकि उनके पास मौके थे और दूसरी बाजी में कार्लसन ने उन्हें कोई मौका नहीं था, जिसके चलते उन्हें ड्रॉ खेलना पड़ा।
साथी अर्जुन के खिलाफ मैच था सबसे कठिन
प्रगनाननंदा ने इस टूर्नामेंट में विश्व नंबर दो अमेरिका के हिकारू नाकामुरा और फैबियनो कारुआना को हराया, लेकिन उनके मुताबिक इस विश्वकप में उनका हर मैच काफी कठिन था, लेकिन क्वार्टर फाइनल में खेला गया साथी खिलाड़ी और दोस्त अर्जुन एरीगेसी के खिलाफ खेला गया मुकाबला बेहद कठिन था। यह ऐसा मुकाबला था, जिसमें उन्हें काफी ज्यादा धैर्य रखना पड़ा।
शीर्ष 10 में जगह बनाना लक्ष्य
प्रगनाननंदा को इस बात की भी खुशी है कि इस टूर्नामेंट चार भारतीय खिलाड़ी क्वार्टर फाइनल में पहुंचे। वह कहते हैं कि भारतीय खिलाड़ी इस वक्त विश्व शतरंज में अच्छा कर रहे हैं। डी गुकेश तो विश्व के शीर्ष 10 में पहुंच चुके हैं। उनकी भी कोशिश रहेगी कि वह जल्द से जल्द शीर्ष 10 में जगह बनाएं। प्रगनाननंदा ने अर्जुन एरीगेसी के बारे में कहा कि उनमें भी काफी आगे तक जाने की क्षमता है।
कैंडिडेट्स की तैयारियां अभी से
प्रगनाननंदा कहते हैं कि विश्व कप के फाइनल में पहुंचकर कैंडिडेट्स के लिए क्वालिफाई करना उनके लिए सपने के सच होने जैसा है। विश्वनाथन आनंद के बाद विश्व चैंपियन को चुनौती देने वाले का फैसला करने वाले कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में खेलना उनके लिए चुनौती होगी। यह टूर्नामेंट अगले वर्ष है और वह अभी से इसकी तैयारी में जुट जाएंगे।

 

रिलेटेड पोस्ट्स