शतरंज में अर्जित की खिताबी जीत, दिव्या रही रनरअप

के.डी. डेंटल कॉलेज में शातिरों ने दिखाया जलवा

खेलपथ संवाद

मथुरा। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं के साथ ही प्राध्यापकों ने भी हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता में अर्जित को खिताबी जीत मिली वहीं दिव्या गुप्ता रनरअप रहीं। डॉ. अजय नागपाल और छात्र देवेश को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान मिला। कॉलेज के डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने विजेता और उप-विजेता खिलाड़ियों को ट्रॉफी प्रदान कर प्रोत्साहित किया। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल और प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने विजेता और उप-विजेता खिलाड़ियों को शाबासी दी।

स्पोर्ट्स आफीसर डॉ. सोनू शर्मा की देखरेख में हुई एक दिवसीय शतरंज प्रतियोगिता में एक से बढ़कर एक चालें देखने को मिलीं। प्रतियोगिता का खिताबी मुकाबला अर्जित और दिव्या गुप्ता के बीच खेला गया, जिसमें अर्जित ने बाजी मारी। उधर संस्थान के प्राध्यापक डॉ. अजय नागपाल ने भी अपनी बौद्धिक क्षमता का जलवा दिखाया और तीसरे स्थान पर रहे। प्रतियोगिता के समापन और पारितोषिक वितरण समारोह में प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने कहा कि शतरंज विश्वस्तरीय खेल है। इसके माध्यम से खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी बौद्धिक क्षमता का प्रदर्शन कर सकते हैं लिहाजा इसका बेहतर तरीके से प्रशिक्षण हासिल करना चाहिए।

डॉ. लाहौरी ने कहा कि इस खेल की विशेषता यह है कि इसमें किसी भी उम्र का व्यक्ति सहभागिता कर सकता है। उन्होंने कहा कि शतरंज, जिसे एक समय विशिष्ट खेल माना जाता था, अब भारत में काफी लोकप्रियता हासिल कर रहा है। उत्साही प्रशंसकों और असाधारण खिलाड़ियों की बढ़ती संख्या के साथ, यह खेल वैश्विक मंच पर धूम मचा रहा है। डॉ. लाहौरी ने छात्र-छात्राओं को बताया कि भारत ने दुनिया को 81 ग्रैंडमास्टर दिए हैं, जिससे यह रूस और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा ग्रैंडमास्टर देने वाला देश बन गया है।

स्पोर्ट्स आफीसर डॉ. सोनू शर्मा ने कहा कि इस खेल में विश्वनाथन आनंद ने वैश्विक स्तर पर भारत का गौरव बढ़ाया है। विश्वनाथन आनंद पहले भारतीय ग्रैंडमास्टर हैं, उन्होंने 1988 में खिताब जीता था। आनंद पांच बार के विश्व चैम्पियन हैं और उन्हें अब तक के सबसे महान शतरंज खिलाड़ियों में से एक माना जाता है। डॉ. शर्मा ने कहा कि भारतीय ग्रैंडमास्टरों की सफलता ने भारत में शतरंज के खेल को लोकप्रिय बनाने में मदद की है। अब भारत में लाखों शतरंज खिलाड़ी हैं और यह खेल समाज के सभी स्तर पर खेला जाता है। भारत सरकार ने भी शतरंज को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं। अब देश में कई शतरंज अकादमियां और प्रशिक्षण केंद्र हैं। भारत में शतरंज का भविष्य उज्ज्वल है। प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के एक बड़े पूल और खेल में बढ़ती रुचि के साथ, भारत आने वाले वर्षों में और भी अधिक ग्रैंडमास्टर तैयार करने की अच्छी स्थिति में है।

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