साक्षी-बजरंग ने किया मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन

बजरंग पूनिया ने कहा- पदकों को 15-15 रुपये का बताने वाले अब हमारी नौकरी के पीछे पड़े
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ आंदोलन खत्म होने की खबरों का खंडन किया। दरअसल, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई थी कि साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने धरना वापस ले लिया है। वे रेलवे में अपनी नौकरी पर वापस लौट गए हैं। इसके बाद साक्षी और बजरंग ने ट्वीट कर इन खबरों का खंडन किया और इसे अफवाह बताया। अब इस मामले पर बजरंग ने एक और ट्वीट किया है। इस ट्वीट के जरिये उन्होंने आंदोलन के खिलाफ बोलने वालों पर निशाना साधा है। 
बजरंग ने लिखा, ''हमारे मेडलों को 15-15 रुपए के बताने वाले अब हमारी नौकरी के पीछे पड़ गए हैं। हमारी जिंदगी दांव पर लगी हुई है, उसके आगे नौकरी तो बहुत छोटी चीज है। अगर नौकरी इंसाफ के रास्ते में बाधा बनती दिखी तो उसको त्यागने में हम दस सेकेंड का वक्त भी नहीं लगाएंगे। नौकरी का डर मत दिखाइए।'' बजरंग के इस ट्वीट ने सोशल मीडिया पर खलबली मचा दी है।
इससे पहले बजरंग ने आंदोलन से पीछे हटने वाली खबरों का खंडन किया था। उन्होंने ट्वीट में लिखा था- आंदोलन वापस लेने की खबरें कोरी अफवाह हैं। ये खबरें हमें नुकसान पहुंचाने के लिए फैलाई जा रही हैं। हम न पीछे हटे हैं और न ही हमने आंदोलन वापस लिया है। महिला पहलवानों की एफआईआर उठाने की खबर भी झूठी है। इंसाफ मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी। 
दरअसल, 2021 टोक्यो ओलम्पिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ चल रहे आंदोलन का मुख्य चेहरा हैं। यह तीनों रेलवे में अपनी नौकरी पर वापस लौट गए हैं। इसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया गया कि तीनों ने आंदोलन से नाम वापस ले लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स में सबसे पहले साक्षी का नाम बताया गया।
इसके बाद साक्षी ने ट्वीट कर खबरों का खंडन किया था। साक्षी ने कहा- यह खबर बिल्कुल गलत है। इंसाफ की लड़ाई में न हम में से कोई पीछे हटा है, न हटेगा। सत्याग्रह के साथ साथ रेलवे में अपनी जिम्मेदारी को साथ निभा रही हूं। इंसाफ मिलने तक हमारी लड़ाई जारी है। कृपया कोई गलत खबर न चलाई जाए। ऐसे में पहलवानों के ट्वीट से यह साफ है कि साक्षी, बजरंग और विनेश रेलवे में अपनी नौकरी पर जरूर वापस लौट गए हैं, लेकिन इंसाफ के लिए उनका आंदोलन जारी रहेगा।
इस आरोप को लेकर पहलवान बजरंग, साक्षी और विनेश सबसे पहले 18 जनवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे थे। इसके बाद खेल मंत्रालय से कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद पहलवानों ने धरना समाप्त कर दिया था। कोई कार्रवाई न होने का आरोप लगाते हुए पहलवान 23 अप्रैल को दोबारा दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे। पहलवान और बृजभूषण दोनों तरफ से बयानबाजी का दौर चालू रहा। जहां एक तरफ बृजभूषण ने कहा कि आरोप साबित होने पर वह खुद को फांसी लगा लेंगे, तो वहीं पहलवान उनकी गिरफ्तारी की मांग पर अड़े रहे। 
28 मई को पहलवानों के नए संसद भवन की तरफ कूच करने पर दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। हालांकि, बाद में पहलवानों को छोड़ भी दिया गया था। इतना ही नहीं दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने-प्रदर्शन को भी बंद करा दिया गया था और उनके टेंट हटा दिए गए थे।
इसके बाद 30 मई को पहलवान हरिद्वार पहुंचे थे और ओलंपिक समेत कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीते पदकों को गंगा में बहाने का फैसला लिया था। हालांकि, किसान नेता नरेश टिकैत की मांग पर पहलवानों ने गंगा में पदक बहाने के फैसले को टाल दिया दिया था। इसके बाद शनिवार रात को साक्षी, बजरंग और विनेश ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इस दौरान पहलवानों ने गृह मंत्री से बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग की थी। इसके बाद गृह मंत्री ने पहलवानों से बिना भेदभाव के पूरी जांच का भरोसा दिया था। अमित शाह ने कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा। पुलिस जांच कर रही है। इसके बाद ही पहलवान काम पर लौट गए हैं।

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