भारत के सामने फिरकी की मददगार पिचें बनीं फंदा
टीम इंडिया के बल्लेबाज स्पिन खेलने में कमजोर साबित
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। खेल में अक्सर कहा जाता है कि घरेलू परिस्थितियां खिलाड़ियों को ताकत देती हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में क्रिकेट में भारत ने कई बार वही गलती दोहराई है, जिसने उन्हें अपने ही घर में असहज कर दिया। अब टर्निंग पट्टियां भारतीय बल्लेबाजों का मुंह चिढ़ाती नजर आती हैं।
रैंक टर्नर, यानी वह पिच जहां गेंद खूब टर्न करे और स्पिनर्स को खेल का राजा बना दे, भारत की लम्बे समय से पसंदीदा हथियार रही है। हालांकि, कई बार यह हथियार उल्टा चला और भारतीय बल्लेबाज खुद अपने ही जाल में फंस गए। गौतम गंभीर देखरेख वाली टीम के साथ कोलकाता टेस्ट में जो हुआ, वह इस बड़े पैटर्न का सिर्फ नया अध्याय था।
यह कहानी कई वर्षों से लिखी जा रही है। कभी इंग्लैंड ने इसका फायदा उठाया, तो कभी ऑस्ट्रेलिया ने और कभी न्यूजीलैंड ने। अब दक्षिण अफ्रीका का नाम भी इसमें जुड़ चुका है। फिरकी वाली पिचें, जो कभी टीम इंडिया का मुख्य हथियार हुआ करती थीं, अब उसी पिच पर भारतीय बल्लेबाज खुद फंसने लगे हैं। आईए उन मैचों के बारे में जानते हैं, जब घर पर फिरकी वाली पिच ही भारतीय टीम के लिए हार की वजह बनी।
2012 की उस सुबह वानखेड़े की पिच को देखकर हर कोई यही कह रहा था- ये मैच तो दो दिन भी नहीं टिकेगा, और भारत आराम से जीतेगा। लेकिन जिस कहानी की शुरुआत आसान लग रही थी, उसका क्लाइमैक्स किसी ने नहीं सोचा था। पहली पारी में पुजारा ने शतक जड़ा और भारत ने 327 रन बनाए। तब तक सब ठीक लग रहा था। लेकिन फिर मैदान पर उतरे केविन पीटरसन। उनके बैट से निकली 186 रन की पारी ने पिच पर मौजूद हर परेशानियों को मानो दोस्त बना लिया। इसके बाद मोंटी पनेसर के छह विकेट वाले जादूई स्पेल ने भारत की नींद उड़ा दी।
भारत की दूसरी पारी 142 पर हांफ गई। अंग्रेजों ने 86 रन की बढ़त को आसानी से जीत में बदल दिया। कहानी यहां खत्म नहीं हुई। इस हार ने इंग्लैंड को पंख दे दिए। कोलकाता टेस्ट उन्होंने जीता, नागपुर ड्रॉ कराया और 31 साल बाद भारत में टेस्ट सीरीज जीती। यह पहला बड़ा सबक था, जिससे भारत ने बहुत कुछ सीखा।
2012 में इंग्लैंड से हार के बाद भारत ने टर्निंग ट्रैक तो बनाए, लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने दमदार बल्लेबाजी की और विपक्षी टीमों की एक न चलने दी। 2017 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में फिर से टीम इंडिया को जोरदार झटका लगा। पुणे की पिच को तैयार किया गया था ताकि ऑस्ट्रेलिया डर जाए, लेकिन डर कौन गया? ऑस्ट्रेलिया नहीं, भारत। पहली बार किसी ने सुना था कि स्टीव ओ'कीफ नाम का कोई फिरकी गेंदबाज है, जिसने भारत में मैच पलट दिया। उन्होंने 12 विकेट लेकर भारतीय बल्लेबाजी को उखाड़ फेंका।
स्टिव स्मिथ ने शतक जमाया और भारत को 441 रन के पहाड़ जैसे लक्ष्य पर सिर्फ 107 पर ढहा दिया गया। उस दिन कमेंट्री में एक लाइन गूंजी थी- ये मैच नहीं, चेतावनी है। हालांकि भारत ने यह सीरीज बाद में पलट दी, लेकिन यह हार एक बड़े संदेश की तरह थी कि रैंक टर्नर हमेशा अपने लिए फायदेमंद नहीं होता।
इंदौर टेस्ट शुरू हुआ और पहले ही सेशन में भारत का हाल ऐसा हुआ जैसे किसी ने स्क्रिप्ट बदल दी हो। मैथ्यू कुह्नेमन, जिसे दुनिया मुश्किल से जानती थी, ने सिर्फ पहले सेशन में पांच विकेट ले लिए। भारत 109 पर ढेर। ऑस्ट्रेलिया ने 197 बनाकर मामूली लीड ली, जो कि आखिर में अहम साबित हुई।
पुजारा के अर्धशतक पर नाथन लियोन का आठ विकेट वाला स्पेल घातक साबित हुआ। भारत ने 76 का टारगेट दिया और ऑस्ट्रेलिया ने नौ विकेट से आसान जीत दर्ज की। यह हार इसलिए भी बड़ी थी कि भारत ने मैच शुरू होने से पहले ही पिच को देखने पर मुस्कान दी थी, लेकिन वही मुस्कान अंत में कड़वाहट बन गई।
न्यूजीलैंड की टीम भारत दौरे पर आई। इस टीम के साथ केन विलियम्सन नहीं थे और कप्तानी का जिम्मा टॉम लाथम पर था। कीवियों को हर किसी ने हल्के में लिया और सोचा कि रोहित शर्मा की टीम आसानी से पटखनी देगी। बंगलूरू में पहले टेस्ट में कीवियों ने भारत को हरा दिया। बेंगलुरु में पाटा पिच पर हार के बाद टीम मैनेजमेंट ने सोचा कि अब रैंक टर्नर बनाई जाए, जहां कीवी फंसेंगे। लेकिन फंसे कौन? भारतीय बल्लेबाज।
पुणे टेस्ट: सैंटनर की कमाल की गेंदबाजी
पहली पारी में मिचेल सैंटनर ने कहर ढाया और सात विकेट लेकर भारत की पारी को जल्द समेट दिया। रोहित और कोहली जैसे अनुभवी बल्लेबाज भी गेंद पढ़ नहीं पाए। जायसवाल की लड़ाई अकेली थी, लेकिन दूसरे छोर से मदद नहीं मिली। न्यूजीलैंड ने पहली पारी में 259 रन बनाए, जवाब में भारत की पहली पारी 156 रन पर सिमट गई। दूसरी पारी में कीवियों ने 255 रन बनाए और जवाब में टीम इंडिया 245 रन पर सिमट गई। न्यूजीलैंड ने 113 रन से जीत हासिल की।
मुंबई टेस्ट: एजाज पटेल का वानखेड़े प्रेम
एजाज पटेल पहले भी भारत को परेशान कर चुके थे, लेकिन इस बार तो उन्होंने छह विकेट लेकर मैच का पूरा मोमेंटम बदल दिया। न्यूजीलैंड ने पहली पारी में 235 रन बनाए, जवाब में भारत की पहली पारी 263 रन पर खत्म हुई। दूसरी पारी में कीवियों ने 174 रन बनाए और भारत को 147 रन का लक्ष्य दिया। जवाब में टीम इंडिया 121 रन पर सिमट गई। न्यूजीलैंड ने 25 रन से जीत हासिल की। भारत इस सीरीज में अपने ही बुने जाल में फंस गया। लेकिन हम इस सीरीज से कुछ नहीं सीखे। न्यूजीलैंड ने भारत को घर पर 3-0 से हराया और पूर्व क्रिकेटरों ने कहा कि यह वेक अप कॉल है। टीम इंडिया आगे इससे सीखेगी। लेकिन हमने सीखा क्या? कुछ नहीं।
कोलकाता 2025: गंभीर की रणनीति पर उठे सवाल
दक्षिण अफ्रीका सीरीज से पहले उम्मीद थी कि भारत दक्षिण अफ्रीका के अनुभवी स्पिनर्स को देखते हुए वैसी गलती नहीं करेगा, जो न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में की थी। अगर स्पिन ट्रैक बनाया भी जाता है तो भारतीय बल्लेबाज चुनौती पेश करेंगे। लेकिन हुआ क्या? कुछ नहीं। गौतम गंभीर ने पिच का बचाव किया, 'ऐसी विकेट पर बल्लेबाजों को तकनीक दिखानी चाहिए।' लेकिन पूर्व क्रिकेटरों की राय बिल्कुल उलट रही। श्रीकांत ने कहा, 'ये दक्षिण अफ्रीका कोई बहुत बड़ी टीम नहीं है, फिर भी भारत को क्यों ऐसी पिच चाहिए?' हरभजन ने इसे टेस्ट क्रिकेट की हत्या बताया। गांगुली ने साफ कह दिया, 'टीम ने यह पिच मांगी थी।' मुद्दा यह नहीं कि पिच स्पिन दे रही थी, मुद्दा यह था कि भारत ने अपनी सबसे बड़ी ताकत को अपना सबसे बड़ा जोखिम बना लिया।
'गलती वही जो दोहराई न जाए'
हेनरी फोर्ड ने कहा था, 'वह गलती ही क्या जिससे हम सीखें नहीं।' भारतीय टीम ने पिछले एक दशक में रैंक टर्नर का खेल बहुत खेला है, लेकिन सबसे ज्यादा चोट उन्हें वहीं लगी है जहां वे सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करते थे, अपने घर में। कोलकाता में भारत 124 रन का लक्ष्य हासिल नहीं कर सका और 30 रन से मैच हार गया। यह घर पर पिछले छह टेस्ट में चौथी हार रही। लेकिन हमने सीखा क्या? कुछ नहीं। भारत बार बार वही गलती कर रहा है।
श्रीकांत ने कहा, 'मुझे जो बात समझ नहीं आ रही है, वह यह है कि गंभीर ने कहा था कि कोई बुरी बात नहीं है और आपको बेहतर तकनीक दिखानी चाहिए। आप इस तरह के विकेट पर कैसे खेल सकते हैं? कई बल्लेबाजों ने बचाव करने की कोशिश की और स्लिप या एलबीडब्ल्यू पर आउट हो गए। सच तो यह है कि इस दक्षिण अफ्रीकी टीम का बल्लेबाजी क्रम या टीम मजबूत नहीं है। आप इस तरह के खराब विकेट पर क्यों खेलते रहते हैं और फिर खिलाड़ियों की तकनीक को दोष देते हैं?' काफी हद तक श्रीकांत की बात सही भी है। अगला टेस्ट 22 नवंबर से शुरू होना है और देखने वाली बात होगी कि अब टीम ने अपनी गलतियों से कुछ सीखा या नहीं। एक और हार गंभीर को भी मुश्किलों में डाल सकता है।
