शातिर वंतिका बचपन से ही खेल रही शतरंज

पढ़ाई से भी समझौता नहीं, मां ने बताया ग्रैंडमास्टर बनने का सफर
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारतीय चेस खिलाड़ी वंतिका अग्रवाल ने अंतरराष्ट्रीय मास्टर खिताब हासिल कर लिया है। वह ऐसा करने वाली 11वीं भारतीय महिला हैं। वंतिका की हालिया फॉर्म शानदार रही है। उन्होंने पिछले दो महीने में चार अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेले हैं। इस दौरान उन्होंने फाइड रेटिंग (अंतरराष्ट्रीय शतरंज संघ) में 61 अंक हासिल किए हैं। इस शानदार प्रदर्शन के दम पर वह देश की तीसरी सबसे बेहतरीन रैंकिंग वाली खिलाड़ी बन गई हैं। उनकी इस उपलब्धि से उनका पूरा परिवार बेहद खुश है। जानिए वंतिका की मां क्या बताती हैं अपनी बेटी के बारे में।
1. वंतिका ने कब से चेस खेलना शुरू किया, कैसे इस खेल में उनकी रुचि बढ़ी?
जवाबः वंतिका और उनके बड़े भाई ने स्कूल के दिनों से ही चेस खेलना शुरू कर दिया था। दोनों ने घर आकर चेस बोर्ड की मांग की और घरवालों ने आसानी से यह मांग पूरी भी कर दी, लेकिन जब वंतिका की रुचि इसमें बढ़ी तो चेस की एकेडमी ढूढ़ने में परेशानी आई। छह महीने तक कोशिश करने के बाद आखिरकार वंतिका का एकेडमी में दाखिला हुआ। हालांकि, ट्रेनिंग शुरू होने से पहले ही उन्होंने जूनियर लेवल पर पदक जीतना शुरू कर दिया था। इससे उनके परिवार का मनोबल बढ़ा और वंतिका को इस खेल में करियर बनाने के लिए परिवार से प्रोत्साहन मिला।
2. चेस बहुत लोकप्रिय खेल नहीं है, ऐसे में इस खेल में अपना करियर चुनने में उन्हें कितनी परेशानी आई?
जवाबः चेस बहुत ज्यादा लोकप्रिय खेल नहीं है, क्योंकि इसे मीडिया में उतनी तवज्जो नहीं दी जाती है। अगर इस पर भी ध्यान दिया जाए तो यह खेल लोकप्रिय हो सकता है। यह ऐसा खेल है, जिसे छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग तक सभी खेल सकते हैं। इससे अल्जाइमर जैसी बीमारी से छुटकारा मिलता है। वंतिका के लिए चेस करियर का एकमात्र विकल्प नहीं था। उन्होंने हमेशा से ही पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दिया। सिर्फ टूर्नामेंट के समय वह स्कूल नहीं जा पाती थीं। इसके अलावा उन्होंने हमेशा अपनी पढ़ाई पर जोर दिया, क्योंकि उनके माता-पिता का मानना था कि अगर वह चेस में कुछ खास नहीं हासिल कर पाती हैं तो सामान्य बच्चों की तरह पढ़ाई के जरिए उनके पास अपना करियर बनाने का मौका रहेगा। 
3. चेस के अलावा खुद को फिट रखने के लिए वह कौन से आउटडोर स्पोर्ट खेलती हैं?
जवाबः वंतिका बचपन से अपने बड़े भाई के साथ ही खेलते हुए बड़ी हुई हैं। ऐसे में वह छोटे में बैडमिंटन और क्रिकेट भी खेलती थीं। उनकी मां ने टेनिस खेलने के लिए भी उन्हें प्रेरित किया था। वह बॉस्केटबॉल और फुटबॉल भी खेली हैं। साथ ही डांस में भी वह समय देती हैं। इन सब चीजों से वह खुद को फिट रखती हैं। वह अपनी सेहत बनाए रखने के लिए दौड़ने भी जाती हैं। 
4. चेस में करियर बनाने में उन्हें क्या परेशानी आई और परिवार ने कैसे मदद की?
जवाबः यह काफी महंगा खेल है। अलग-अलग टूर्नामेंट में खेलने के लिए आपको अलग-अलग जगहों पर जाना होता है। आने-जाने का खर्च काफी ज्यादा होता है। शुरुआत में वंतिका की मां उन्हें दिल्ली में होनी वाली प्रतियोगिताओं में ही भाग लेने के लिए ले जाती थीं, लेकिन धीरे-धीरे उनका प्रदर्शन निखरा और लोगों ने कहा कि "पूत के पांव पालने में ही दिख रहे हैं।" इसके बाद वंतिका की मां उन्हें अलग-अलग जगहों पर चेस खेलने के लिए लेकर जाने लगीं। 
5. हर माता-पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे उनका नाम रोशन करें। वंतिका ने सिर्फ 20 साल की उम्र में देश का नाम रोशन किया है। आप अभी कैसा महसूस कर रही हैं?
जवाबः बहुत अच्छा लग रहा है। लोग आकर तारीफ करते हैं तो अच्छा महसूस होता है। कई लोगों का कहना है कि आपने लड़की के लिए इतना किया, ये तारीफ के काबिल है, लेकिन मैंने कभी अपने बच्चों के बीच भेदभाव नहीं किया। मेरे माता-पिता ने भी मेरे साथ कभी भेदभाव नहीं किया। यही वजह थी कि मैं चाहती थी कि मेरी भी बेटी हो और मैंने उसके लिए अपने बेटे से ज्यादा किया है।

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