वजन कम रख पाना सबसे बड़ी चुनौती होगीः विनेश फोगाट

ओलम्पिक कोटा हासिल कर आलोचकों को दिया करारा जवाब
खेलपथ संवाद
बिश्केश (किर्गिस्तान)।
ओलम्पिक कोटा हासिल कर राहत महसूस कर रही विनेश फोगाट का मानना है कि पेरिस खेलों की तैयारी के लिए 50 किलोग्राम के सबसे निचले वर्ग में अपना वजन बनाये रखना उनके लिए चुनौतीपूर्ण होगा। विनेश ने एशियाई ओलम्पिक क्वालीफायर में शानदार प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने बिना अंक गंवाये अपना लगातार तीसरा ओलम्पिक कोटा पक्का कर लिया।
विनेश भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के विरोध के कारण लगभग डेढ़ साल तक नियमित अभ्यास और खेल से दूर रहीं। इस दौरान अंतिम पंघाल ने 53 किलोग्राम वर्ग में कोटा स्थान हासिल कर लिया। विनेश लम्बे समय से इसी भार वर्ग में चुनौती पेश करते रही हैं। देश की सबसे सफल महिला पहलवान के पास ओलम्पिक कोटा सुनिश्चित करने के लिए वजन वर्ग बदलने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। 
विनेश ने 50 किलोग्राम वर्ग में कोटा सुनिश्चित करने के बाद कहा,  मुझे अपने वजन को बेहतर तरीके से प्रबंधित करना होगा। मैंने इतने लम्बे समय के बाद अपने वजन को कम कर 50 किलो तक किया है इसलिए मैं इसे जितना सम्भव हो उतना बनाए रखने की कोशिश करूंगी। इस 29 साल की पहलवान ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू की वेबसाइट से कहा, मेरी मांसपेशियां मजबूत हैं, इससे मेरा वजन जल्दी बढ़ जाता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं कितनी फिट हूं, फिर भी मेरा वजन बढ़ता है। मैं सिर्फ अपना वजन नियंत्रित करना चाहती हूं। मेरे पास चार महीने बचे हैं और हर दिन बहुत महत्वपूर्ण है।
विनेश ने कहा, मैंने वजन में बदलाव इसलिए किया क्योंकि मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। मैंने अपनी खुशी से ऐसा नहीं किया। मैंने 50 किलोग्राम वर्ग में अपने देश के लिए कोटा जीता। मुझे खुशी है कि मैं ओलम्पिक में जा सकती हूं। मैं 50 किलोग्राम वर्ग में जाऊंगी या 53 किलोग्राम वर्ग में, यह ट्रायल में तय होगा, लेकिन जो भी हो, मैंने अपने देश के लिए कोटा जीता है। विनेश को इससे पहले रियो और तोक्यो ओलम्पिक में निराशा का सामना करना पड़ा है। लेकिन वह अब हर हाल में ओलम्पिक पदक के सपने को पूरा करना चाहती है। उन्होंने कहा, मैं बस अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहती हूं। मुझे कुश्ती करते हुए 20 साल हो गए हैं। मुझे बस ओलम्पिक पदक चाहिए। हर कोई इसके लिए काम कर रहा है।
विनेश ने दावा किया था कि वह अवसाद से जूझ रही थीं और यहां तक कि वह कोविड-19 की चपेट में भी आ गई थीं और तत्कालीन डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ लम्बे समय तक विरोध और कानूनी लड़ाई के कारण मानसिक दबाव काफी बढ़ गया था। इन सब के बावजूद वह बिश्केक में कोटा जीतने में सफल रही। उन्होंने कहा, यह कठिन था लेकिन जब आप जीतते हैं तो हर चीज सार्थक हो जाती है। मैं अगले चार पांच दिन शांति के साथ रह सकती हूं। मेरा मुख्य लक्ष्य ओलंपिक में पदक जीतना है। मैं वह करने की कोशिश करूंगी जो पिछले दो ओलंपिक में नहीं कर सकी। मैं इस ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन कर सकती हूं। 

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