हॉकी में विश्व चैम्पियन बनना है तो दबंगता से खेले भारत

1975 विश्व विजेता टीम के सदस्य अशोक ध्‍यानचंद का आकलन
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
ओडि़शा के दो शहरों भुवनेश्वर और राउरकेला में 13 जनवरी से होने जा रहे हॉकी विश्व कप पर 1975 विश्व विजेता टीम के सदस्य अशोक ध्‍यानचंद का कहना है कि यदि भारत को खिताब जीतना है तो उसे तेज-तर्रार हॉकी खेलनी होगी। प्रतियोगिता में एक से बढ़कर एक टीमें हैं जिनके खिलाफ भारतीय टीम को समझबूझ भरी हॉकी खेलनी होगी। भारत में क्षमता है लेकिन उसे मैदान में चरितार्थ करना होगा।
ओडिशा में 13 जनवरी से शुरू होने वाले पुरुष एफआईएच हॉकी विश्व कप में भारत की निगाहें दूसरी बार चैम्पियन बनने पर होंगी। भारत ने पहला हॉकी विश्व कप खिताब 1975 में जीता था और इसके बाद टीम को ऐसी सफलता नहीं मिली। पिछले 47 वर्षों से यह टीम दूसरी बार ‌‌विश्व विजेता बनने का ख्वाब तो देख रही है लेकिन सेमीफाइनल तक भी नहीं पहुंची है। क्या भारत इस बार अपनी धरती पर चैम्पियन बन पाएगा? इसके बारे में पूर्व हॉकी खिलाड़ी अशोक ध्यानचंद का आकलन कुछ इस तरह का है।
सवाल - इस हॉकी विश्व कप में भारत से कितनी उम्मीदें हैं और क्या यह टीम 47 साल के सूखे को खत्म कर पाएगी?
अशोक ध्‍यानचंद- कोई भी टीम जब मैदान पर उतरती है तो वह विजेता बनना चाहती है। पिछले कुछ वर्षों में भारत का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है और वह सराहनीय है। टीम के खिलाड़ियों में एक-दूसरे को सपोर्ट करने की भावना साफतौर पर नजर आती है जो टीम को ऊंचाई तक ले जाने में सहायक सिद्ध होती है। सबसे बड़ी बात यह है कि हमारे खिलाड़ियों में गजब की मारक क्षमता आई है। अब वो गेंद को छोड़ते नहीं और अगर गेंद छूट जाती है तो वो वापस जाते हैं कि गेंद को अपने कब्जे में लें और यह काफी अच्छी आदत मैं टीम के अंदर देख रहा हूं और इसका परिणाम ओडिशा में साफतौर पर देखने को मिलेगा।
सवाल - भारत को इस बार टफ ग्रुप में रखा गया है जहां उसे इंग्लैंड, स्पेन और वेल्स जैसी टीमों के साथ खेलना है। क्या यह टीमें भारत को नुकसान पहुंचा सकती हैं?
अशोक ध्‍यानचंद - नहीं। इन टीमों से भारत को कोई नुकसान नहीं होगा। यहां पर भारत को शुरू से ही मैच जीतना होगा और अगर शुरुआत अच्छी रही तो भारत ग्रुप में बेहतर स्थिति में होगा। यह जरूर है कि मैच कठिन होंगे क्योंकि आज खेल नया है, तकनीक नई है, ग्राउंड नए हैं, लेकिन भारत के खिलाड़ियों को बहुत अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया है और उनको काफी अच्छा एक्सपोजर मिला हुआ है। टीम में स्कोरर हैं, डिफेंस हमारा बहुत अच्छा है। हरसिमरनजीत पेनाल्टी स्ट्रोक को बेहतरीन तरीके से हैंडल करते हैं और हमारे फारवर्ड खिलाड़ी भी गोल करने में सक्षम हैं। यह सारी चीजें भारतीय टीम को मजबूत बनाती हैं और मुझे उम्मीद है कि टीम बेहतर करेगी।
सवाल- इस बार फाइनल में किन-किन टीमों के पहुंचने की सम्भावना है और कौन विजेता बन सकता है?
अशोक ध्‍यानचंद- इस बार फाइनल में भारत, आस्ट्रेलिया, हालैंड और जर्मनी के पहुंचने की सम्भावना है। हालांकि मैं इंग्लैंड को भी इसका दावेदार मानता हूं। हॉकी की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि आप किसी टीम के खिलाड़ी को बेस्ट नहीं कह सकते। कोई भी टीम यहां बेस्ट बन सकती है। भारत को मैं जीत का दावेदार मानता हूं, लेकिन इस टीम को हर एक मैच में अपनी मारक क्षमता दिखाते हुए बेस्ट प्रदर्शन करना होगा।
सवाल- हाल ही में आस्ट्रेलिया दौरे पर टीम को हार का सामना करना पड़ा था, आखिर कहां पर कमी रह गई थी?
अशोक ध्‍यानचंद- देखिए, आस्ट्रेलिया दुनिया की बेस्ट टीम है और उसके खिलाड़ी बड़ी चुनौती पेश करते हैं। यहां पर हमारी टीम के खिलाड़ियों को हर एक मैच से सीखने की जरूरत है। अगर खिलाड़ी सभी मैचों के बाद अपनी समीक्षा करेंगे तो वे और बेहतर होते चले जाएंगे।

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