राष्ट्रीय खेलों में मध्य प्रदेश की हॉकी बेटियों ने जीता कांस्य
झारखण्ड को 5-2 से हराया, साधना, ऐश्वर्या और ज्योति ने किए गोल
खेलपथ संवाद
ग्वालियर। मध्य प्रदेश की हॉकी बेटियों ने अपने बेजोड़ और दमदार खेल से मंगलवार को मजबूत झारखण्ड टीम को 5-2 से पराजित कर राष्ट्रीय खेलों का कांस्य पदक अपने नाम किया। यह पहला अवसर है जब मध्य प्रदेश की हॉकी बेटियां न केवल किसी बड़ी प्रतियोगिता में खेलीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों से सुसज्जित टीमों को पराजित करने में भी सफलता हासिल की। इस टीम की कप्तान ग्वालियर की इशिका चौधरी तो उप-कप्तान करिश्मा यादव रहीं।
मध्य प्रदेश की टीम सेमीफाइनल में पंजाब से 2-1 से हारी जरूर लेकिन प्रदेश की खिलाड़ियों ने अपने शानदार प्रदर्शन से इस बात का संदेश जरूर दिया कि आने वाला कल उनका है। देखा जाए तो डेढ़ दशक पहले मध्य प्रदेश में महिला हॉकी का अस्तित्व शून्य था लेकिन खेल मंत्री यशोधरा राजे के प्रयासों से ग्वालियर में शुरू की गई एकेडमी ने प्रदेश की बेटियों में न केवल पुश्तैनी खेल के प्रति ललक पैदा की बल्कि आज प्रदेश में महिला हॉकी का मजबूत आधार तैयार हो चुका है।
गुजरात में राष्ट्रीय खेलों के लिए जब मध्य प्रदेश टीम का चयन हुआ तो हर किसी को मलाल था कि जूनियर खिलाड़ियों को क्यों मौका दिया गया। आज इन बेटियों द्वारा जीता गया कांस्य पदक आलोचकों के मुंह पर ताला जड़ने के लिए काफी है। राष्ट्रीय खेलों में महिला हॉकी का खिताब हरियाणा ने पंजाब को 1-0 से हराकर जीता। इन दोनों ही टीमों में एक दर्जन से अधिक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी खेलती दिखीं। कांस्य पदक मुकाबले में मध्य प्रदेश की टीम ने जिस झारखण्ड को पराजित किया उस टीम में भी एक से बढ़कर एक बेहतरीन खिलाड़ी शामिल थीं। मध्य प्रदेश की इस विजय में साधना सेंगर और ऐश्वर्या के दो-दो तथा ज्योति के एक गोल का अहम योगदान रहा।
राष्ट्रीय खेलों में महिला हॉकी के कांस्य पदक मुकाबले में मध्य प्रदेश ने झारखण्ड को 5-2 से हराया। इस हार के साथ ही हॉकी में झारखण्ड के पदक जीतने की उम्मीदों पर पानी फिर गया। पिछले 11 वर्षों में यह पहला मौका है, जब झारखण्ड की महिला हॉकी टीम राष्ट्रीय खेलों से बिना पदक लौटी है। मध्य प्रदेश महिला हॉकी टीम द्वारा जीता गया यह कांस्य पदक खास है क्योंकि इसे अपनी बेटियों ने जीता है। इस कामयाबी के लिए टीम की हर सदस्य प्रशंसा और बधाई की पात्र है। इस उपलब्धि के लिए टीम के मुख्य प्रशिक्षक परमजीत बरार, सहायक प्रशिक्षक वंदना उइके तथा फिजियो विजय आदि के प्रयासों की भी प्रशंसा की जानी चाहिए क्योंकि इनकी ही नीति-रणनीति से मध्य प्रदेश की झोली में यह सफलता आई है।