यूपी में खिलाड़ियों की नौकरी प्रक्रिया कागजों में सिमटी

साल 2016 से शुरू हुई प्रक्रिया लेकिन खिलाड़ियों को नहीं मिला लाभ
उत्तर प्रदेश से किनारा कर रहे अधिकांश खिलाड़ी
खेलपथ संवाद
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश सरकार खिलाड़ियों को नौकरी देने के लाख राग अलापती हो, स्याह सच यह है कि खेलों के असल हुक्मरान नहीं चाहते कि खिलाड़ियों में खुशहाली आए। हर चुनावी दौर में घोषणाएं होती हैं लेकिन सत्तासीन होते ही सबकुछ बिसरा दिया जाया है। वर्षों से खेल नीति के तहत सरकारी विभागों में दो प्रतिशत कोटे के प्रावधान की बात की जा रही है, लेकिन आज तक यह योजना कागजों पर ही चल रही है। 
वर्ष 2016 में सपा सरकार के वक्त खिलाड़ियों को नकद धनराशि देने के अलावा जॉब दिलाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। सरकार बदली, 11 सरकारी विभागों के साथ खेल विभाग का समन्वय स्थापित करके जॉब देने के दावे किए गए, लेकिन वे भी खोखले ही साबित हुए। यह बताते हुए शर्मिंदगी हो रही है कि प्रदेश में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने में उनकी उम्मीदों से खेला जा रहा है। नौकरी देने के मामले में हरियाणा, पंजाब और दिल्ली जैसे छोटे राज्य उत्तर प्रदेश से कहीं आगे हैं। इसके चलते ही यूपी के प्रतिभावान खिलाड़ी प्रदेश से किनारा कर रहे हैं। 
वर्षों से खेल नीति के तहत सरकारी विभागों में दो प्रतिशत कोटे के प्रावधान की बात की जा रही है, लेकिन आज तक यह योजना कागजों पर ही चल रही है। वर्ष 2016 में सपा सरकार के वक्त खिलाड़ियों को नकद धनराशि देने के अलावा जॉब दिलाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। सरकार बदली, 11 सरकारी विभागों के साथ खेल विभाग का समन्वय स्थापित करके जॉब देने के दावे किए गए, लेकिन वे भी खोखले ही साबित हुए। साल 2021 में टोक्यो ओलम्पिक में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों का यूपी सरकार ने सम्मान तो किया लेकिन उनका भला करना भूल गई। 
अंतरराष्ट्रीय आयोजनों (ओलम्पिक, एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और वर्ल्ड कप अथवा विश्व चैम्पियनशिप) में पदक विजेताओं को राजपत्रित अधिकारी बनाने का बड़ा निर्णय भी लिया गया। खेल विभाग के पास चार खिलाड़ियों ने आवेदन भी किया था, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। प्रदेश में जॉब की लगातार कमी के चलते तमाम खिलाड़ियों ने यूपी से किनारा कर लिया। इन खिलाड़ियों की लम्बी फेहरिस्त है लेकिन आंकड़ा केवल बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों का लेते हैं जो चौंकाने वाले रहे। राष्ट्रमंडल खेलों में यूपी के कुल 14 खिलाड़ियों ने भाग लिया, लेकिन इनमें से एक भी खिलाड़ी प्रदेश सरकार की जॉब में नहीं लिया गया।
राष्टमंडल खेलों में केवल पदक विजेताओं की बात करें तो रजत जीतने वाली भारतीय पुरुष टीम में शामिल ललित उपाध्याय (वाराणसी) भारत पेट्रोलियम (नोएडा) और कांस्य जीतने वाली महिला हॉकी टीम की सदस्य वंदना कटारिया सेंट्रल रेलवे (मुंबई) में कार्यरत हैं। बर्मिंघम में रजत पदक जीतने वाली महिला क्रिकेट टीम में शामिल हरफनमौला क्रिकेटर दीप्ति शर्मा (आगरा) ने सालों तक यूपी से खेलने के बाद पश्चिम बंगाल का रुख कर लिया है, जबकि तेज गेंदबाज मेघना सिंह (बिजनौर) नार्दर्न रेलवे में कार्यरत हैं। 
खेलों की एथलेटिक्स स्पर्धा में 10 किलोमीटर दौड़ में रजत जीतने वाली प्रियंका गोस्वामी पूर्वोत्तर रेलवे बरेली में कार्यरत हैं, जबकि जैवलिन में कांस्य जीतने वाली अन्नू रानी वर्तमान में नार्दर्न रेलवे दिल्ली में जॉब कर रही हैं। कुश्ती में कांस्य जीतने वाली दिव्या काकरान भी नार्दर्न रेलवे शाहदरा में तैनात हैं। पदक विजेताओं में शामिल जूडोका विजय यादव (कांस्य) एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जो वर्तमान में जॉब नहीं कर रहे हैं। 
राजपत्रित अधिकारी के लिए 30 खिलाड़ियों ने किया आवेदन 
टोक्यो ओलम्पिक (वर्ष 2021) में पदक विजेताओं के सम्मान समारोह के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा को लेकर कागजी कार्यवाही शुरू हो चुकी है  पर, साल भर से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी अभी तक प्रक्रिया ही चल रही है। राजपत्रित अधिकारी बनने के लिए खेल विभाग के पास अब तक 30 आवेदन भी आ चुके हैं। इनमें दिग्गज निशानेबाज सौरभ चौधरी, हॉकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय, पैरा एथलीट वरुण सिंह भाटी और हाल ही में बर्मिंघम में सम्पन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों के कांस्य पदक विजेता जूडोका विजय यादव जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं।
खेल मंत्री बोले-जल्द भरे जाएंगे खाली पद
प्रदेश के खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव ने कहा कि उनकी सरकार खिलाड़ियों को नौकरी देने के लिए कटिबद्ध है। खेल विभाग में सीधी भर्ती से जल्द ही खाली पद भरे जाएंगे। साथ ही राजपत्रित अधिकारी बनाए जाने की प्रक्रिया भी चल रही है। जहां तक 11 विभागों से खेल विभाग के समन्वय की बात है तो खेल विभाग में खाली पद भरने के अलावा राजपत्रित अधिकारी बनने की प्रक्रिया के बाद इस दिशा में भी काम किया जाएगा।

 

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