के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम बना अय्याशी का अड्डा
आनंदेश्वर पांडेय खेल रहा खिलाड़ी बेटियों के साथ हैवानियत का खेल
खेल निदेशालय के अधिकारियों की आंख के नीचे लुट रही बेटियों की अस्मत
श्रीप्रकाश शुक्ला
लखनऊ। मैं हर पल घुट-घुट कर जी रही हूं। मैंने देश के लिए खेलने का सपना देखा था लेकिन 26 मार्च, 2022 को लखनऊ के के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में मेरे साथ आनंदेश्वर पांडेय ने जिस तरह की ओछी हरकतें कीं उससे मैं सहम सी गई हूं। मैं उन क्षणों को तब तक नहीं भूल सकती जब तक कि मुझे इंसाफ नहीं मिल जाता। यह वेदना और अश्रुपूरित कहानी उस राष्ट्रीय हैंडबॉल खिलाड़ी बेटी की है, जिसे आनंदेश्वर पांडेय जैसे राक्षस ने न केवल अपनी हवस का शिकार बनाना चाहा बल्कि किसी तरह की आवाज उठाने पर उसका करिअर तबाह करने की भी धमकी दी है।
एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेटियों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने की प्राणपण से कोशिशें कर रहे हैं तो दूसरी तरफ राजधानी लखनऊ के के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में खेल निदेशालय के अधिकारियों की आंख के नीचे आनंदेश्वर पांडेय जैसे भेड़िये खिलाड़ी बेटियों को इंटरनेशनल खिलाड़ी बनाने का ख्वाब दिखाते हुए उनकी अस्मत लूटने की कुचेष्टा कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से सोशल मीडिया में उत्तर प्रदेश ओलम्पिक एसोसिएशन के सचिव आनंदेश्वर पांडेय अपनी ओछी कारगुजारियों से सुर्खियों में हैं। उनकी आपत्तिजनक फोटोज ने हर खेलप्रेमी को पशोपेश में डाल रखा है।
क्या लम्बे समय से खेलों से जुड़ा यह शख्स इतना नीच हो सकता है, इस बात के कयास लगाए ही जा रहे थे कि एक राष्ट्रीय हैंडबॉल खिलाड़ी बेटी ने 26 मार्च, 2022 को के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में उसके साथ भारतीय ओलम्पिक संघ के कोषाध्यक्ष रहे आनंदेश्वर पांडेय ने जो कुछ किया उसका खुलासा उसने 31 जुलाई, 2022 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रेषित पत्र में किया है। इस पत्र की प्रतियां इस खिलाड़ी बेटी ने केन्द्रीय खेल एवं युवा कल्याण मंत्री अनुराग ठाकुर, सचिव केन्द्रीय खेल मंत्रालय भारत सरकार सुजाता चतुर्वेदी, उप सचिव केन्द्रीय खेल मंत्रालय भारत सरकार शिव प्रताप सिंह तोमर तथा निदेशक भारतीय खेल प्राधिकरण संदीप प्रधान को भी भेजी हैं।
ढाई पेज के पत्र में इस खिलाड़ी बेटी ने जो आपबीती लिखी है, उसे पढ़कर न केवल दुख होता है बल्कि इस बात के संकेत भी मिलते हैं कि खेलों में बेटियां उन हाथों का खिलौना बन चुकी हैं, जिन पर खेलों के बेहतर संचालन का जिम्मा है। आनंदेश्वर पांडेय और के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम लखनऊ के तार जुड़े लम्बा अर्सा बीत चुका है। खेल निदेशालय की अनुमति से ही आनंदेश्वर पांडेय का लखनऊ में स्वयं का मकान होने के बावजूद के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम उनका आशियाना बना हुआ है। इस आशियाने में इस शख्स की न केवल आशिकी परवान चढ़ती है बल्कि सोमरस का भी बेखौफ पान होता है।
दरअसल, इस राष्ट्रीय हैंडबॉल खिलाड़ी बेटी ने दूरभाष पर हुई बातचीत में बताया कि मैं 12 मार्च, 2022 को अपने विभाग की अनुमति के बाद के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में ट्रायल देने गई थी। यह ट्रायल 29 मार्च से 3 अप्रैल तक हैदराबाद में हुई 50वीं राष्ट्रीय महिला हैंडबॉल चैम्पियनशिप के लिए उत्तर प्रदेश की टीम चयन के वास्ते आहूत की गई थी। बकौल खिलाड़ी बेटी मैं पहली बार 12 मार्च को ही आनंदेश्वर पांडेय से मिली। इस मुलाकात की वजह मुझे दो साल से परेशान कर रहे मेरे विभागीय प्रशिक्षक प्रभाकर पांडेय की शिकायत करना था। मैंने आनंदेश्वर पांडेय से जैसे ही प्रभाकर पांडेय की शिकायत की उन्होंने कहा मैं सब देख लूंगा और अपना फोन नम्बर देकर मुझसे बात करते रहने को कहा। उसके बाद मेरा चयन 15 से 26 मार्च तक के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में हुए प्रशिक्षण शिविर के लिए कर लिया गया तथा मैंने प्रशिक्षण शिविर में पूरे समय सहभागिता भी की।
इस बेटी ने बताया कि प्रदेश टीम चयन के अंतिम दिन 26 मार्च को आनंदेश्वर पांडेय 20 मिनट के लिए मैदान में आए और वापस चले गए। उसके बाद मेरे कोच प्रभाकर पांडेय ने मुझसे कहा कि पांडेयजी तुम्हें आफिस में बुला रहे हैं। पांडेय का यह आफिस के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में ही है। मैं जब वहां पहुंची तो आनंदेश्वर पांडेय ने मुझे सामने वाले कमरे में बैठने को कहा। मैं वहां पहुंची तो मेरे होश उड़ गए क्योंकि वहां शराब की बोतल टेबल पर रखी थी। मैं वापस लौटने लगी उसी समय वहां आनंदेश्वर पांडेय आ गए और मुझसे बैठने को कहा। मैं उस समय अवाक रह गई जब उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा कि चिन्ता नहीं करो, मैंने बहुत सी लड़कियों को इंटरनेशनल बनाया है।
इसके बाद इस भेड़िये ने मेरे शरीर को छूने का दुस्साहस करते हुए दो साल तक शारीरिक सम्बन्ध बनाते रहने की बात कही। जैसे-तैसे मैंने इस राक्षस से अपने आपको छुड़ाया और कहा आप मेरे पिता समान हैं आपको शर्म आनी चाहिए। यह कहकर मैं जैसे ही वापस आने लगी उसने मुझे धमकी देते हुए कहा कि तुम मेरी ताकत को नहीं जानती तुम्हारी सारा खेल करिअर बर्बाद कर दूंगा, अब तुम कहीं से नहीं खेल पाओगी। इस वाक्ये के बाद मुझे चार महीने तक मानसिक संत्रास का सामना करना पड़ा। यद्यपि मैंने अपने विभाग के अधिकारियों को सूचित कर दिया था कि इस पूरे मामले में प्रभाकर पांडेय की भूमिका संदिग्ध है, जिसकी जांच चल रही है।
मुझे तनाव और परेशानी में देखकर मेरी बहन ने एक दिन पूछा कि आखिर किस वजह से तुम तनाव में हो। बहन को सारी आपबीती बताने के बाद मैंने निश्चय कर लिया कि जब तक मुझे इंसाफ नहीं मिल जाता मैं चैन से नहीं बैठूंगी। यह मामला काफी गम्भीर है। क्या इस खिलाड़ी बेटी को इंसाफ मिलेगा या फिर आनंदेश्वर पांडेय जैसे इंसान के रूप में खेलों को अपना आरामगाह बनाए भेड़िए यूं ही अपनी हैवानियत का खेल खेलते रहेंगे।