खेलों में ऐसी बेईमानी को लानत है
हॉकी बेटियों को आस्ट्रेलिया से हार जाने का मलाल
श्रीप्रकाश शुक्ला
ग्वालियर। आज जब खेल पूरी तरह से तकनीक के साये में चल रहे हों ऐसे समय में शुक्रवार को बर्मिंघम में भारतीय हॉकी बेटियों का फूट-फूट कर रोना समूचे खेलतंत्र के गाल पर तमाचा है। ऐसे बेईमानों को लानत है जोकि एक तरफ खेलभावना की दुहाई देते हैं तो दूसरी तरफ बेटियों को खून के आंसू रुलाते हैं।
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारतीय खिलाड़ियों को एक बार फिर अन्याय का सामना करना पड़ा है। महिला हॉकी के सेमीफाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, इस मैच में भारतीय महिलाओं का खेल कहीं से भी ऑस्ट्रेलिया से कमतर नहीं कहा जा सकता। नियमित समय पर दोनों टीमें 1-1 की बराबरी पर थीं, लेकिन पेनाल्टी शूटआउट की शुरुआत में ही भारतीय टीम के साथ बेईमानी हो गई। इसके बाद भारतीय खिलाड़ियों का हौंसला टूट गया और अंत में टीम इंडिया 3-0 से न केवल मुकाबला हारी बल्कि उसके स्वर्णिम सपने भी चूर-चूर हो गए।
भारत की हार के बाद कंगारू खिलाड़ी फाइनल में पहुंचने की जीत का जश्न मनाने लगे और भारत के बेटियां मैदान में फूट-फूटकर रोने लगीं। टीम की सीनियर खिलाड़ी कप्तान सविता पूनिया भी अपने आंसू नहीं रोक पाईं। भारतीय टीम की कोच भी सभी खिलाड़ियों को गले लगाकर उन्हें सांत्वना देती रहीं, लेकिन बेईमानी से मिली हार का दुख कुछ ऐसा था कि खिलाड़ियों के आंसू रुके ही नहीं। अब एफआईएच ने इस मामले पर माफी मांगकर समीक्षा की बात कही है और नियमों का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया है, जोकि गलत है।
भारत और ऑस्ट्रेलिया की महिला टीम के बीच सेमीफाइनल मैच 1-1 की बराबरी पर छूटा था। इसके बाद पेनाल्टी शूटआउट के जरिए मैच का नतीजा निकालने का फैसला किया गया। पहला प्रयास ऑस्ट्रेलिया की मेलोन ने किया और भारतीय कप्तान सविता पूनिया ने गोल नहीं होने दिया। इसके बाद भारतीय खिलाड़ी गोल करने के लिए तैयार हुईं तो रेफरी ने उन्हें रोक दिया और बताया कि घड़ी चालू नहीं हुई थी। इस वजह से ऑस्ट्रेलिया का पहला प्रयास मान्य नहीं होगा और कंगारू टीम फिर से गोल का प्रयास करेगी। अब सवाल यह उठता है कि घड़ी चालू नहीं हुई थी तो क्या उनकी आंखें भी अंधिया गई थीं।
भारतीय कोच सहित कई खिलाड़ियों ने इस फैसले की आलोचना की, लेकिन कुछ नहीं बदला। ऑस्ट्रेलिया को दूसरा मौका मिला और इस बार मेलोन नहीं चूकीं। उन्होंने गोल किया और यहीं से भारतीय खिलाड़ियों का मनोबल टूट गया। इसके बाद भारतीय टीम कोई गोल नहीं कर सकी और मैच हार गई। मैच खत्म होने के बाद भारतीय खिलाड़ी रोती रहीं और काफी निराश नजर आईं।
कप्तान सविता पूनिया भी रोती रहीं, लेकिन खेलभावना दिखाते हुए उन्होंने कहा कि यह खेल का हिस्सा है और हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। इसे मैनेजमेंट को देखना है। वहीं, भारतीय टीम की कोच शोपमैन ने साफतौर पर आयोजकों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना नहीं होनी चाहिए। उस एक घटना से मनोबल टूटा और हम हार गए। आगे हमें कांस्य के लिए मैच खेलना है और भारतीय खिलाड़ियों में फिर से हिम्मत जगानी होगी, जिनका मनोबल टूट चुका है।