राष्ट्रीय खेलों का आयोजन कभी समय से न होना हैरानी की बात

गुजरात में होगा 36वां संस्करण, 98 साल पहले हुआ था आगाज
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
यह भारतीय ओलम्पिक संघ और सरकार के लिए शर्म की बात होनी चाहिए कि वे कभी भी नेशनल गेम्स तय समय पर नहीं करा सके। अलबत्ता नई-नई प्रतियोगिताएं न केवल शुरू की गईं बल्कि उनका जमकर प्रचार-प्रसार करते हुए अरबों रुपए पानी की तरह बहाए गए। खैर, इन खेलों का 36वां सस्करण अब गोवा की बजाय गुजरात में होने जा रहा है।
2015 के बाद राष्ट्रीय खेलों का आयोजन 22 सितम्बर से 10 अक्टूबर के बीच गुजरात में होने जा रहा है। यह खेल गुजरात के पांच शहरों (अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, भावनगर और वड़ोदरा) में आयोजित किए जाएंगे। खेलों का उद्घाटन और समापन समारोह अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में होगा। 
नेशनल गेम्स का यह 36वां संस्करण होगा। गेम्स 98 साल का हो गया है, लेकिन यह कभी निरंतर नहीं हुआ। बीच-बीच में इन गेम्स का आयोजन ब्रेक होता रहा है। पहली बार इन खेलों का आयोजन 1924 में लाहौर (आज पाकिस्तान की राजधानी) में हुआ था। 21वीं सदी में गेम्स के छह संस्करण ही हो सके हैं। इनके निरंतर न होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है इसका बड़ा स्वरूप। इनमें देश भर के खिलाड़ी सभी खेलों में हिस्सा लेते हैं। ऐसे में खिलाड़ियों की संख्या ज्यादा होने के कारण इस आयोजन के लिए बड़े बजट और इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है, जो सरकार उपलब्ध नहीं करा पाती है। इसके अलावा ज्यादा संसाधन भी लगते हैं। कई राज्यों के पास तो इतना इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है कि वो नेशनल गेम्स करा सकें।
यद्यपि प्रधानमंत्री मोदी सरकार में खेल मंत्री अनुराग ठाकुर कहते हैं कि भारत दुनिया का हर खेल आयोजन करा सकता है। सरकार तो ओलम्पिक खेलों के आयोजन तक का दम्भ भर रही है। इसके लिए अहमदाबाद को अधोसंरचना की दृष्टि से सबसे उपयुक्त माना जा रहा है। जो भी हो राष्ट्रीय खेलों का आयोजन हमारी सरकारों के लिए प्राथमिकता सूची में होना चाहिए।

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